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Bhairav Chalisa | श्री भैरव चालीसा | PDF

Lord Bhairav surrounded by dogs and cats in a serene temple setting, embodying harmony and compassion in nature.

दोहा

श्री गणपति गुरु गौरि पद प्रेम सहित धरि माथ।
चालीसा वन्दन करौं श्री शिव भैरवनाथ॥

अर्थ: मैं गणेशजी, गुरु और माता गौरी के चरणों में प्रेमपूर्वक सिर झुकाता हूं और श्री शिव भैरवनाथ की वंदना करते हुए इस चालीसा का पाठ आरंभ करता हूं।

चौपाई

श्री भैरव संकट हरण मङ्गल करण कृपाल।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥

अर्थ: हे श्री भैरव, आप संकट हरने वाले, मंगल करने वाले और दयालु हैं। आपका शरीर श्यामवर्ण का है, विकराल रूप है और आपकी विशाल लाल आंखें अत्यंत प्रभावशाली हैं।

जय जय श्री काली के लाला।
जयति जयति काशी-कुतवाला॥

अर्थ: हे मां काली के प्रिय पुत्र, आपकी जय हो। हे काशी के कोतवाल, आपकी बार-बार विजय हो।

जयति बटुक-भैरव भय हारी।
जयति काल-भैरव बलकारी॥

अर्थ: हे बटुक भैरव, आप भय हरने वाले हैं। हे काल भैरव, आप बल प्रदान करने वाले हैं।

जयति नाथ-भैरव विख्याता।
जयति सर्व-भैरव सुखदाता॥

अर्थ: हे नाथ भैरव, आपकी ख्याति चारों ओर फैली हुई है। आप सभी के लिए सुख के दाता हैं।

भैरव रूप कियो शिव धारण।
भव के भार उतारण कारण॥

अर्थ: भगवान शिव ने संसार के दुखों को दूर करने के लिए भैरव का रूप धारण किया।

भैरव रव सुनि ह्वै भय दूरी।
सब विधि होय कामना पूरी॥

अर्थ: भैरव जी के नाम का स्मरण करते ही सभी भय समाप्त हो जाते हैं और हर इच्छा पूरी होती है।

शेष महेश आदि गुण गायो।
काशी-कोतवाल कहलायो॥

अर्थ: भगवान शेषनाग और महेश्वर ने आपके गुणों की स्तुति की है। आप काशी के कोतवाल के रूप में विख्यात हैं।

जटा जूट शिर चन्द्र विराजत।
बाला मुकुट बिजायठ साजत॥

अर्थ: आपकी जटाओं में चंद्रमा सुशोभित है और आपके बालों में मुकुट शोभा बढ़ाता है।

कटि करधनी घूँघरू बाजत।
दर्शन करत सकल भय भाजत॥

अर्थ: आपकी कटि पर बंधी करधनी में घुंघरू बजते हैं। आपके दर्शन से सभी प्रकार के भय समाप्त हो जाते हैं।

जीवन दान दास को दीन्ह्यो।
कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥

अर्थ: आपने अपने भक्तों को जीवनदान दिया। आपकी कृपा पाकर ही आपके स्वरूप को पहचाना जा सकता है।

वसि रसना बनि सारद-काली।
दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥

अर्थ: आपकी कृपा से वाणी में सरस्वती और काली का निवास होता है। आपने भक्तों को वरदान देकर उनका मान बढ़ाया।

धन्य धन्य भैरव भय भञ्जन।
जय मनरञ्जन खल दल भञ्जन॥

अर्थ: हे भय हरने वाले भैरव जी, आप धन्य हैं। आप मन को प्रसन्न करते हैं और दुष्टों का नाश करते हैं।

कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा।
कृपा कटाक्श सुयश नहिं थोडा॥

अर्थ: आपके हाथ में त्रिशूल, डमरू और कोड़ा है। आपकी कृपादृष्टि से अपार यश मिलता है।

जो भैरव निर्भय गुण गावत।
अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥

अर्थ: जो व्यक्ति निर्भय होकर आपके गुण गाता है, वह आठों सिद्धियों और नौ निधियों का फल प्राप्त करता है।

रूप विशाल कठिन दुख मोचन।
क्रोध कराल लाल दुहुँ लोचन॥

अर्थ: आपका विशाल रूप कठिन से कठिन दुखों का नाश करता है। आपकी क्रोध से भरी लाल आंखें दुष्टों का संहार करती हैं।

अगणित भूत प्रेत सङ्ग डोलत।
बं बं बं शिव बं बं बोलत॥

अर्थ: आपके साथ अनगिनत भूत-प्रेत चलते हैं, और वे “बं बं बं” का उच्चारण करते हैं।

रुद्रकाय काली के लाला।
महा कालहू के हो काला॥

अर्थ: आपका शरीर रुद्र जैसा है। आप मां काली के प्रिय पुत्र और महाकाल से भी प्रबल हैं।

देयँ काल भैरव जब सोटा।
नसै पाप मोटा से मोटा॥

अर्थ: जब काल भैरव अपनी सोटा चलाते हैं, तो बड़े से बड़े पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

जनकर निर्मल होय शरीरा।
मिटै सकल सङ्कट भव पीरा॥

अर्थ: आपकी कृपा से मनुष्य का शरीर निर्मल हो जाता है और जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

श्री भैरव भूतोङ्के राजा।
बाधा हरत करत शुभ काजा॥

अर्थ: हे श्री भैरव जी, आप भूतों के स्वामी और राजा हैं। आप अपने भक्तों की सभी बाधाओं को हरते हैं और शुभ कार्यों को सफल बनाते हैं।

ऐलादी के दुःख निवारयो।
सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥

अर्थ: आपने ऐलादी और अन्य भक्तों के दुःख दूर किए। आप सदैव अपनी कृपा से भक्तों के कार्यों को संभालते और सफल बनाते हैं।

सुन्दर दास सहित अनुरागा।
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥

अर्थ: सुन्दर दास जैसे भक्तों के साथ आपका विशेष प्रेम रहा है। प्रयाग में आपने ऋषि दुर्वासा को भी अपनी कृपा से प्रसन्न किया।

श्री भैरव जी की जय लेख्यो।
सकल कामना पूरण देख्यो॥

अर्थ: श्री भैरव जी की जय-जयकार करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। जिन्होंने भी उनकी आराधना की, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।

दोहा

जय जय जय भैरव बटुक स्वामी सङ्कट टार।
कृपा दास पर कीजि‍ए शङ्कर के अवतार॥

अर्थ: हे बटुक भैरव स्वामी, आपकी जय हो। कृपया अपने दास पर कृपा करें और मेरे सभी संकट हर लें। आप भगवान शिव के अवतार हैं।

 

भैरव चालीसा के लाभ

श्री भैरव चालीसा का पाठ भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। इसके नियमित पाठ से भक्त को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. भय और कष्टों से मुक्ति: भैरव चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाले हर प्रकार के भय, भूत-प्रेत, और नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा होती है।
  2. सभी बाधाओं का नाश: भगवान भैरव को बाधा निवारण का देवता माना जाता है। इस चालीसा का पाठ करने से सभी कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
  3. न्याय और सुरक्षा: भगवान भैरव को ‘काशी के कोतवाल' के रूप में जाना जाता है। वे न्याय के रक्षक हैं और अपने भक्तों की हर प्रकार से रक्षा करते हैं।
  4. मानसिक शांति और सुख: भैरव चालीसा का पाठ करने से मन शांत होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. धन और समृद्धि: भैरव जी की पूजा से जीवन में धन, समृद्धि और खुशहाली आती है। यह व्यापार और नौकरी में सफलता प्रदान करता है।
  6. रोग और कष्टों से राहत: चालीसा के पाठ से शारीरिक और मानसिक रोगों में राहत मिलती है। भैरव जी के आशीर्वाद से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: भैरव चालीसा का पाठ व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है। यह साधक को आत्मज्ञान और भक्ति के मार्ग पर प्रेरित करता है।
  8. इच्छाओं की पूर्ति: भैरव चालीसा के नियमित पाठ से भगवान भैरव अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।
  9. कठिन परिस्थितियों में सहारा: यह चालीसा उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जो जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।
  10. दुश्मनों से रक्षा: भैरव जी को दुश्मनों का नाश करने वाला देवता माना जाता है। उनकी स्तुति करने से शत्रु और विरोधी शांत हो जाते हैं।
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