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Navratri 2025 – Navratri 6th Day | नवरात्रि का छठा दिन – माँ कात्यायनी | PDF

Navratri 6th Day

नवरात्रि के छठे दिन माँ दुर्गा के छठे स्वरूप माँ कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। माँ कात्यायनी को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। उनका जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा गया। माँ कात्यायनी के रूप की पूजा करने से भक्तों को शत्रुओं पर विजय और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है।

माँ कात्यायनी का स्वरूप

माँ कात्यायनी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, माँ कात्यायनी ने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया था। महिषासुर के अत्याचारों से त्रस्त होकर देवताओं ने माँ से सहायता की प्रार्थना की। तब माँ कात्यायनी ने महिषासुर का संहार कर देवताओं को मुक्त किया। वे नारी शक्ति और साहस का सर्वोच्च उदाहरण हैं, जो अधर्म और अन्याय के खिलाफ खड़ी होती हैं।

माँ कात्यायनी की पूजा विधि

    1. स्नान और शुद्ध वस्त्र: सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को स्वच्छ करें।
    2. कलश स्थापना: माँ कात्यायनी की मूर्ति या चित्र के समक्ष कलश स्थापित करें।
    3. पूजा सामग्री: सफेद फूल, अक्षत (चावल), सिंदूर, कुमकुम, घी का दीपक, और धूप का प्रयोग करें।
    4. मंत्र जप: माँ कात्यायनी की पूजा में निम्नलिखित मंत्र का जप करें:
      • ध्यान मंत्र:
        चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
        कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
      • मूल मंत्र:
        ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
    5. भोग: माँ कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं, क्योंकि शहद उन्हें प्रिय है।
    6. आरती: पूजा के अंत में माँ की आरती करें और घी का दीपक जलाएं।

माँ कात्यायनी का स्तोत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

पूजा का उद्देश्य और लाभ

उपासना का फल

नवरात्रि में माँ कात्यायनी की उपासना से साधक को शक्ति, साहस, और धैर्य प्राप्त होता है। वे अपने भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का संचार करती हैं। शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने और कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करती हैं। उनकी पूजा से भक्त के जीवन में सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और उसे हर कार्य में सफलता मिलती है।

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