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Kaal Bhairav Jayanti 2024 | काल भैरव जयंती | PDF

A multi-armed figure with ornate jewelry and weapons against a moody, supernatural backdrop.

Kaal Bhairav Jayanti

भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव (Kaal Bhairav) की जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।  काल भैरव जयंती के दिन ब्रह्म योग बन रहा है।

काल भैरव जयंती की तिथि 

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार अष्टमी तिथि का आरंभ 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगा और इसका समापन 23 नवंबर दिन शनिवार को सुबह 7 बजकर 56 मिनट पर होगा। ऐसे में 2024 में काल भैरव जयंती 22 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।

काल भैरव जयंती का महत्व

इसी दिन भगवान शिव के स्वरूप कालभैरव का जन्म हुआ था। जब उनकी माता सती ने उनके पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपनी बलि दे दी, तो भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए और दक्ष को दंडित करने के लिए काल भैरव (Kaal Bhairav) का रूप धारण किया। काल भैरव ने राजा दक्ष को भगवान शिव का अपमान करने और सती के आत्मदाह के लिए दंडित किया।
काल भैरव की पूजा करने से नकारात्मकता और बुरी शक्तियां खत्म हो जाती हैं। ग्रह दोष, रोग और मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है।

कालभैरव का व्रत रखने के फायदे

भैरव को भगवान शिव का गण बताया गया है जिनका आवागमन का साधन कुत्ता है। कालभैरव व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बटुक भैरव और काल भैरव (Kaal Bhairav) के रूप में भैरव की पूजा बहुत लोकप्रिय है। अगर हम अन्य तांत्रिक साधनाओं की बात करें तो हम भैरव के आठ रूपों की पूजा के बारे में बात कर रहे हैं। इनके रूप हैं असितांग भैरव, रुद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव, संहार भैरव। इस दिन व्रत करने वाले साधक को पूरे दिन “ॐ कालभैरवाय नमः” का जाप करना चाहिए।

संपूर्ण व्रत विधि

काल भैरव के पूजन से भूत-प्रेत बाधा का नाश

काल भैरव को भगवान शिव के रौद्र रूप का अवतार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वह स्वयं काल का अवतार हैं। इनकी पूजा से व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार मार्गशीर्ष या अगहन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव का अवतार हुआ था। इस दिन को काल भैरव (Kaal Bhairav) जयंती के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन काल भैरव की पूजा करने से तंत्र, मंत्र और भूत-प्रेत जैसी बाधाओं का नाश होता है। इस दिन व्रत रखना चाहिए और विधि-विधान से काल भैरव (Kaal Bhairav) की पूजा करनी चाहिए।

भगवान भैरव की पूजा से जुड़े कुछ उपाय 

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