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Maa Skandmata Aarti | माँ स्कंद माता आरती | PDF

Maa Skandmata Aarti

Maa Skandmata Aarti

जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

अर्थ — स्कंद माता की जय हो। वे नवदुर्गा के नौ रूपों में से पांचवां रूप हैं जो माँ आदिशक्ति के मातृत्व के गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥

अर्थ — स्कंदमाता हम सभी के मन की बात को जानती हैं अर्थात उन्हें हमारा हर रहस्य पता है। वे ही इस सृष्टि की रचना करने वाली हैं और हम सभी की ईश्वरी हैं।

तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुम्हें ध्याता रहू मैं॥

अर्थ — हे स्कंद माता!! मैं हमेशा आपके नाम की ज्योति जलाता रहूँ और आपके नाम का ध्यान करता रहूँ। एक तरह से मैं स्कंदमाता की भक्ति में डूबा रहता हूँ।

कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥

अर्थ — स्कंद माता के तो कई नाम हैं और उसी के अनुसार ही उनके रूप हैं। हर रूप में वे अपने भिन्न-भिन्न गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं। मुझे तो केवल स्कंद माता का ही आश्रय है और मैं उन्हीं की शरण में आया हुआ हूँ।

कहीं पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥

अर्थ — स्कंदमाता अपने किसी रूप में तो पहाड़ों पर निवास करती हैं जैसे कि वैष्णो देवी, नैना देवी इत्यादि तो वहीं दूसरी ओर, अपने कई रूपों में इनका शहरों में भी वास है जैसे कि कलकत्ता काली मंदिर।

हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥

अर्थ — मातारानी के हर मंदिर में भक्ति का अलग ही नजारा देखने को मिलता है। स्कंदमाता के मंदिर में तो सभी भक्तगण मातारानी के नाम का ही गुणगान करते हुए पाए जाते हैं।

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

अर्थ — हे स्कंद माता!! आप मुझ पर कृपा कर मुझे अपनी भक्ति दे दीजिये अर्थात मुझे अपना भक्त बना लीजिये। साथ ही मेरे सभी बिगड़े हुए कामो को बना दीजिये।

इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

अर्थ — स्वर्ग लोक में सभी देवता इंद्र सहित आपके द्वार पर आकर खड़े हो गए हैं और आपके नाम का ही जय-जयकार कर रहे हैं।

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तुम ही खंडा हाथ उठाए॥

अर्थ — जब कभी भी अधर्म की बढ़ोत्तरी हुई है और धर्म की हानि हुई है तब-तब आपने अस्त्र-शस्त्र उठाकर दुष्टों, दानवों, दैत्यों व असुरों का वध कर दिया है।

दास को सदा बचाने आयी।
चमन की आस पुजाने आयी॥

अर्थ — आप हमेशा से ही अपने सेवकों, भक्तों व दासों की रक्षा करने के लिए आगे आयी हैं। आपने ही इस स्कंदमाता आरती के रचयिता चमन की इच्छा को पूरा किया है।

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