श्री चंद्र देव चालीसा

Shri Chandra Dev Chalisa

हिंदू धर्म में चंद्र का महत्वपूर्ण स्थान है। चंद्र देव को शांति और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है, और उनका संबंध मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक संतुलन से होता है। वे वैदिक ज्योतिष में मन और मानसिक स्थिति के प्रतिनिधि हैं। चंद्र की पूजा और व्रत, जैसे करवा चौथ, उनके प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट करते हैं। चंद्र के विभिन्न चरणों को धार्मिक और आध्यात्मिक क्रियाओं के लिए शुभ माना जाता है। इस प्रकार, चंद्र का पूजन मानसिक शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है। तो आइए जानते हैं चंद्र देव की चालीसा, जिसका जप करने से आपको चंद्र देव की कृपा प्राप्त होती है।

|| दोहा ||

जय जय चन्द्रमाऽमरनाथ।
जय जय जयत सुत गुनगाथ॥

अर्थ: हे अमरनाथ चंद्रमा, तुम्हारी जय हो। तुम्हारे पुत्र की स्तुति और गुणगान की जय हो।

|| चौपाई||

1.  जय जय जय चंद्र भगवाना।
सप्तशत भूमि तेरी माना॥

अर्थ: हे चंद्र देवता, तुम्हारी जय हो। तुम्हारी भूमि को सप्तशति (सात सौ) मानते हैं।

2. श्वेत किरण करुणा के सागर।
शीतलता दे मन को उजागर॥

अर्थ: तुम्हारी श्वेत किरणें करुणा के सागर हैं, जो मन को शीतलता और उजाला प्रदान करती हैं।

3. वशिष्ठ तुझे देव मन माना।
सोमश्रेष्ठ तुझसे ही जाना॥

अर्थ: ऋषि वशिष्ठ ने तुम्हें देवता मान लिया है और सोम के श्रेष्ठ होने की पहचान तुम्हारी है।

4. अमृत मयी रश्मि तेरी प्यारी।
शीतलता दे जगत संवारी॥

अर्थ: तुम्हारी अमृतमयी रश्मियाँ प्यारी हैं और जगत को शीतलता और सुकून प्रदान करती हैं।

5. द्विजपति कहे तुझे मुनि ग्यानी।
चंद्रराशि में तू महा प्राणी॥

अर्थ: मुनि और ज्ञानी लोग तुम्हें द्विजपति (ब्राह्मणों के राजा) मानते हैं, और चंद्र राशि में तुम महा प्राणी हो।

6. देव दानव तुझे शीश नवावें।
तेरा पूजन शांति दिलावें॥

अर्थ: देवता और दानव तुम्हें नमन करते हैं और तुम्हारी पूजा से शांति प्राप्त होती है।

7. सोमप्रिया प्रियपति तेरा।
ज्योतिषियों ने तू ही घेरा॥

अर्थ: हे सोमप्रिय, प्रियपति, ज्योतिषी लोग तुम्हें ही ध्यान में रखते हैं।

8. श्वेताम्बर धारी करुणानिधि।
तेरी महिमा अतुलित निधि॥

अर्थ: तुम श्वेत वस्त्र पहनने वाले करुणानिधि हो, तुम्हारी महिमा अतुलनीय है।

9 व्रत सोमवार तुझे प्रसन्न करे।
तुझसे जीवन धन्य भरे॥

अर्थ: सोमवार का व्रत तुम्हें प्रसन्न करता है और तुम्हारी कृपा से जीवन धन्य हो जाता है।

10 श्वेत वर्ण की तू ज्योति।
तुझसे मिलता नित शांति॥

अर्थ: तुम श्वेत वर्ण की ज्योति हो और तुम्हारी पूजा से नित्य शांति मिलती है।

11. चंद्रकिरण सजीव को पोषे।
जल को भी तुझसे ही जोषे॥

अर्थ: तुम्हारी चंद्रकिरणें जीवों को पोषण देती हैं और जल को भी जीवन प्रदान करती हैं।

12. शरद पूर्णिमा में तेरी महिमा।
तुझसे ही हो सृष्टि की गरिमा॥

अर्थ: शरद पूर्णिमा के दिन तुम्हारी महिमा विशेष होती है और तुम्हारे कारण ही सृष्टि की गरिमा है।

13. चंद्र दोष का कर तू निवारण।
तेरे बिना ना हो कोई साक्षर॥

अर्थ: चंद्र दोष को दूर करने वाले हो, तुम्हारे बिना कोई भी वस्तु संपन्न नहीं होती।

14. चंद्रग्रस्ति का कर हर निवारण।
तुझसे मिलता सबको उद्धारण॥

अर्थ: चंद्र ग्रहण के दोष को दूर करने वाले हो और तुम्हारी कृपा से सभी को उद्धार मिलता है।

15. सोमप्रिया जो तुझे निहारें।
उनका संकट तू ही टारे॥

अर्थ: हे सोमप्रिय, जो लोग तुम्हें निहारते हैं, उनके संकट दूर होते हैं।

16. चंद्र धारण कर शिव शंकर।
नीलकंठ का रूप सँवारे॥

अर्थ: शिव शंकर चंद्र को धारण करते हैं और नीलकंठ के रूप में प्रकट होते हैं।

17. तुझे अर्पण जलधारा।
दुखों का करता तू निवारण॥

अर्थ: हम तुम्हें जल अर्पित करते हैं, और तुम हमारे दुखों का निवारण करते हो।

18. चंद्रमयी धरा तुझे ध्यावें।
सागर भी तुझसे जुड़ जावें॥

अर्थ: चंद्रमयी धरती तुम्हारी पूजा करती है और समुद्र भी तुम्हारे साथ जुड़ जाता है।

19. चंद्र किरण तुझे नित वंदना।
तुझसे ही हो जीवन वंदना॥

अर्थ: हम चंद्र किरणों को नित्य वंदन करते हैं और तुम्हारी पूजा से जीवन में सम्मान प्राप्त होता है।

20. ज्योतिषियों की तू रखवाला।
तेरी महिमा अतुलित प्याला॥

अर्थ: तुम ज्योतिषियों के रखवाले हो और तुम्हारी महिमा एक अतुलनीय प्याले की तरह है।

21. जल के भी तू ही रखवाला।
सृष्टि का तू ही संभाला॥

अर्थ: तुम जल के भी रखवाले हो और सृष्टि का संरक्षण भी तुम ही करते हो।

22. चंद्रमा से शांति का मेल।
तुझसे ही जीवन का खेल॥

अर्थ: चंद्रमा से शांति मिलती है और तुम्हारे कारण जीवन में खेल भी है।

23. चंद्र किरण की महिमा न्यारी।
सागर भी तुझसे ही प्यारी॥

अर्थ: चंद्र किरणों की महिमा अनूठी है और समुद्र भी तुम्हारे कारण प्यारा है।

24. तेरा पूजन फलदायी हो।
दुख-दरिद्र ना सताई हो॥

अर्थ: तुम्हारी पूजा फलदायी हो और कोई दुख-दरिद्र न सताए।

25. चंद्र दर्शन सुख दे भारी।
दुखियों की करता तू सँवारी॥

अर्थ: चंद्र दर्शन से भारी सुख मिलता है और दुखियों की तुम सहायता करते हो।

26. जिनके सिर पर तेरा हाथ।
उनके पास ना हो कोई अनाथ॥

अर्थ: जिनके सिर पर तुम्हारा हाथ होता है, उनके पास कोई भी अनाथ नहीं होता।

27. करुणा तेरी सदा शीतल।
तेरा पूजन जग में अमृतल॥

अर्थ: तुम्हारी करुणा सदा शीतल रहती है और तुम्हारी पूजा जग में अमृत की तरह है।

28. चंद्र देवता सबको तारें।
संकट से सबकी रक्षा करें॥

अर्थ: चंद्र देवता सभी को तारते हैं और संकट से सभी की रक्षा करते हैं।

29. तेरे पूजन से हो संतोष।
संकटों का होवे नाश॥

अर्थ: तुम्हारी पूजा से संतोष प्राप्त होता है और संकटों का नाश होता है।

30. सोमप्रिया जो व्रत रखे।
संकट से वो सब रक्षा करे॥

अर्थ: हे सोमप्रिय, जो लोग तुम्हारा व्रत रखते हैं, उनके सभी संकट दूर होते हैं।

31. चंद्रमयी तुझसे हो तेज।
तुझसे जीवन का हो गेज॥

अर्थ: चंद्रमयी की कृपा से जीवन में तेज और गेज (उत्कर्ष) प्राप्त होता है।

32. श्वेत पुष्प से हो तेरा पूजन।
तुझसे ही दूर हो जीवन सृजन॥

अर्थ: श्वेत पुष्प से तुम्हारी पूजा की जाती है और तुम्हारी कृपा से जीवन में हर प्रकार की सृजनात्मकता दूर होती है।

33. सोमप्रिया का तू रखवाला।
तुझसे ही हो जीवन का पाला॥

अर्थ: हे सोमप्रिय, तुम जीवन के रक्षक हो और तुम्हारी कृपा से जीवन सुरक्षित रहता है।

34. चंद्रमयी तू कर कृपा।
तुझसे हो जीवन की सृजन धारा॥

अर्थ: हे चंद्रमयी, कृपा करो। तुम्हारी कृपा से जीवन की सृजन धारा बहती है।

35. सोमप्रिया तेरी आरती गाये।
संकटों का हर निवारण पाये॥

अर्थ: जो लोग तुम्हारी आरती गाते हैं, उनके सभी संकट दूर हो जाते हैं।

36. चंद्रमयी तुझसे ही निहारें।
तुझसे हो जीवन की सब प्यारी॥

अर्थ: जो लोग चंद्रमयी को निहारते हैं, उनके जीवन में सब कुछ प्यारा हो जाता है।

37. चंद्रमयी धरा को जो जाने।
तुझसे ही सृष्टि की सुहाने॥

अर्थ: जो लोग चंद्रमयी धरा को समझते हैं, उनके लिए सृष्टि सुहावनी हो जाती है।

38. चंद्रमा की महिमा अतुलित।
तुझसे ही हो जीवन की शक्ति॥

अर्थ: चंद्रमा की महिमा अतुलनीय है और तुम्हारी कृपा से जीवन में शक्ति प्राप्त होती है।

39. चंद्रमा से हो जीवन में उजाला।
तुझसे ही हो जीवन का प्याला॥

अर्थ: चंद्रमा के माध्यम से जीवन में उजाला मिलता है और तुम्हारी कृपा से जीवन का प्याला भरता है।

40. तुझसे सृष्टि का सृजन हो।
तुझसे ही जीवन का पवन हो॥

अर्थ: तुम्हारे माध्यम से सृष्टि का सृजन होता है और तुम्हारी कृपा से जीवन की प्राणवायु मिलती है।

यह चालीसा चंद्र देव की उपासना और उनके द्वारा प्रदान किए गए लाभों की अभिव्यक्ति है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मानसिक शांति, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति होती है।