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Annapurna Jayanti 2024 | अन्नपूर्णा जयंती | PDF

Date, time, and auspicious muhurat for the celebration of wealth and prosperity.

अन्नपूर्णा जयंती भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है, जिन्हें अन्न, समृद्धि, और सौभाग्य की देवी माना जाता है। “अन्नपूर्णा” का अर्थ है “अन्न की पूर्णता,” और यह पर्व इस तथ्य को उजागर करता है कि अन्न हमारे जीवन का आधार है। अन्नपूर्णा जयंती हर साल मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन देवी अन्नपूर्णा की पूजा करते हुए भक्त सुख-शांति, समृद्धि और पोषण की प्रार्थना करते हैं।

अन्नपूर्णा जयंती की तिथि व समय

अन्नपूर्णा जयंती का पर्व 2024 14 दिसंबर की रात 9:30 बजे से प्रारंभ होकर 15 दिसंबर की रात 11:17 बजे तक रहेगी। इस दिन देवी अन्नपूर्णा की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 6:30 बजे से 8:30 बजे तक और सायं 5:00 बजे से 7:00 बजे तक है। इन समयों में देवी अन्नपूर्णा की पूजा और अन्नदान करना विशेष शुभ और फलदायी माना जाता है।

देवी अन्नपूर्णा की पौराणिक कथा

देवी अन्नपूर्णा से जुड़ी एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा है, जो इस पर्व के महत्व को रेखांकित करती है। एक बार भगवान शिव ने देवी पार्वती से मजाक में कहा कि यह संसार मात्र एक माया है और अन्न का कोई महत्व नहीं है। यह सुनकर देवी पार्वती ने पृथ्वी से अन्न को हटा दिया। अन्न के अभाव में पूरे संसार में भुखमरी और त्राहि-त्राहि मच गई।

जब भगवान शिव ने इस स्थिति को देखा, तो उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और देवी पार्वती से क्षमा मांगी। तब देवी ने अन्न को वापस पृथ्वी पर स्थापित किया और स्वयं अन्नपूर्णा देवी के रूप में प्रकट हुईं। यह कथा हमें सिखाती है कि अन्न केवल शारीरिक पोषण का स्रोत नहीं है, बल्कि यह आत्मा और समाज का आधार भी है।

अन्नपूर्णा जयंती का धार्मिक महत्व

1. अन्न का महत्व: अन्नपूर्णा जयंती हमें यह सिखाती है कि अन्न का सम्मान करना चाहिए। यह केवल भोजन नहीं, बल्कि जीवन का सार है। यह पर्व इस बात की याद दिलाता है कि हमें अन्न को कभी बर्बाद नहीं करना चाहिए और इसका संरक्षण करना चाहिए।

2. धार्मिक अनुष्ठान: अन्नपूर्णा जयंती के दिन भक्तजन सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और शुद्ध मन से देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र की पूजा करते हैं। पूजा में धूप, दीप, फूल, फल, और अनाज का विशेष महत्व होता है। भक्त देवी से प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवार में कभी भी अन्न की कमी न हो।

3. अन्नदान का महत्व: अन्नपूर्णा जयंती पर अन्नदान करना सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। यह कहा जाता है कि इस दिन अन्नदान करने से देवी अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख-शांति और समृद्धि का वरदान देती हैं।

अन्नपूर्णा जयंती कैसे मनाई जाती है?

1. मंदिरों में उत्सव: अन्नपूर्णा जयंती के अवसर पर देवी के मंदिरों में विशेष पूजा और उत्सव का आयोजन होता है। भजन-कीर्तन और आरती का आयोजन होता है। भक्तजन बड़ी संख्या में मंदिरों में एकत्रित होकर देवी की आराधना करते हैं।

2. पारिवारिक पूजा: घर-घर में अन्नपूर्णा देवी की पूजा की जाती है। लोग अपने घरों को स्वच्छ और सुसज्जित करते हैं और देवी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाकर पूजा करते हैं। पूजा के बाद प्रसाद वितरण और गरीबों में अन्न का दान किया जाता है।

3. भंडारे और अन्नदान: इस दिन भंडारे का आयोजन किया जाता है, जहां गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराया जाता है। समाज के हर वर्ग के लोग इस पुण्य कार्य में भाग लेते हैं।

अन्नपूर्णा जयंती और पर्यावरण

अन्नपूर्णा जयंती हमें पर्यावरण के संरक्षण की भी प्रेरणा देती है। अन्न का उत्पादन सीधे प्रकृति से जुड़ा हुआ है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें धरती और प्रकृति का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वे ही हमारे लिए अन्न का स्रोत हैं।

आधुनिक युग में अन्नपूर्णा जयंती का महत्व

आज के समय में, जब दुनिया में भूखमरी और खाद्य अपव्यय बढ़ रहे हैं, अन्नपूर्णा जयंती का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने संसाधनों का सही उपयोग करना चाहिए और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।

अन्नपूर्णा जयंती पर क्या करें?

1. अन्नदान करें: इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन और अनाज दान करें।

2. भोजन का अपव्यय रोकें: यह सुनिश्चित करें कि आपके घर में भोजन बर्बाद न हो।

3. समाजसेवा करें: इस दिन भंडारे का आयोजन करके समाजसेवा में भाग लें।

4. पर्यावरण का संरक्षण करें: जैविक खेती और स्थायी कृषि पद्धतियों को अपनाएं।

5. आध्यात्मिक चिंतन करें: देवी अन्नपूर्णा की पूजा और ध्यान करें और अन्न के महत्व को समझें।

अन्नपूर्णा जयंती हमें यह सिखाती है कि अन्न का सम्मान करना हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन देवी अन्नपूर्णा की पूजा करके और अन्नदान करके हम न केवल पुण्य अर्जित करते हैं, बल्कि समाज और प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभाते हैं।

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