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Maa Brahmacharini 2025 | नवरात्रि का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी | PDF

Navratri 2nd Day

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी का नाम उनके तपस्विनी रूप से लिया गया है। “ब्रह्म” का अर्थ होता है तपस्या, और “चारिणी” का अर्थ होता है आचरण करने वाली। माँ ब्रह्मचारिणी ने कठिन तपस्या की थी ताकि वे भगवान शिव को प्राप्त कर सकें। इस रूप में माँ श्वेत वस्त्र धारण किए हुए होती हैं और उनके एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है।

माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

माँ ब्रह्मचारिणी का महत्व

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

माँ ब्रह्मचारिणी की कथा

माँ ब्रह्मचारिणी के इस स्वरूप से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सती ने अपने अगले जन्म में हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी इस तपस्या के कारण ही उन्हें “ब्रह्मचारिणी” कहा गया। उन्होंने हज़ारों वर्षों तक कठिन तप किया और सिर्फ फल-फूलों का सेवन किया। इस तपस्या की वजह से माँ ने ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया और अंततः भगवान शिव से उनका विवाह हुआ।

माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान मंत्र

दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

माँ ब्रह्मचारिणी का स्तोत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माँ ब्रह्मचारिणी का मूल मंत्र

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

माँ ब्रह्मचारिणी की आरती

पूजा का उद्देश्य और लाभ

माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना का फल

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से व्यक्ति में सहनशीलता, धैर्य, और मानसिक शक्ति का विकास होता है। उनकी उपासना से भक्तों के जीवन में आत्म-संयम, आत्मविश्वास, और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। कठिन परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखने की शक्ति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना से साधक का स्वाधिष्ठान चक्र जागृत होता है, जो जीवन में सृजनात्मकता और आत्मिक शक्ति प्रदान करता है।

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