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Govind Dwadashi 2025 | गोविंद द्वादशी व्रत करने से बैकुंठ धाम की प्राप्ति – जानिए इसकी विधि | PDF

A vibrant temple scene with deity in colorful attire, golden decor, and oil lamps, surrounded by devotees and a serene lake at twilight.

गोविंद द्वादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत और पर्व है, जिसे विशेष रूप से भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। यह व्रत मार्गशीर्ष मास (अगहन) या फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को आता है। इसे “वैकुंठ द्वादशी” और “भोगी द्वादशी” के नाम से भी जाना जाता है। गोविंद द्वादशी को व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति, पापों से मुक्ति और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

गोविंद द्वादशी का महत्व

गोविंद द्वादशी का विशेष महत्व है क्योंकि यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन व्रत और उपासना करता है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है और वह बैकुंठ धाम की यात्रा करता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है जो सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर भगवान की भक्ति में लीन होना चाहते हैं।

धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथा

गोविंद द्वादशी से जुड़ी एक प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार राजा नृग ने अपने जीवनकाल में अनेक दान-पुण्य किए थे, लेकिन एक छोटी सी भूल के कारण उन्हें श्राप मिल गया और वह गिरगिट बन गए। बाद में भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने कर-कमलों से मुक्ति प्रदान की। ऐसा माना जाता है कि राजा नृग ने गोविंद द्वादशी के दिन व्रत और पूजा की थी, जिससे उन्हें विष्णु लोक की प्राप्ति हुई। इसीलिए, इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
इस समय पर पिंडदान कुंवारा पंचमी पर राहुकाल को छोड़कर किसी भी समय किया जा सकता है।

गोविंद द्वादशी व्रत की पूजा विधि

गोविंद द्वादशी व्रत को विधि-विधान से करने से अधिकतम लाभ मिलता है। यह व्रत श्रद्धालु भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी होता है। नीचे इसकी संपूर्ण पूजा विधि दी गई है—

1. व्रत की तैयारी

2. पूजा सामग्री

3. पूजा विधि

4. गोविंद द्वादशी व्रत का पारण

गोविंद द्वादशी का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

गोविंद द्वादशी केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

1. आध्यात्मिक महत्व

2. वैज्ञानिक महत्व

गोविंद द्वादशी पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं?

करने योग्य कार्य:

निषेध कार्य:

गोविंद द्वादशी व्रत एक दिव्य पर्व है, जिसे करने से जीवन में शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करने का एक माध्यम है। इसके द्वारा व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों के पापों से मुक्त हो सकता है और बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त कर सकता है। गोविंद द्वादशी केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धा और समर्पण के साथ इस व्रत को धारण करना चाहिए और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

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