Kabirdas Jayanti
हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा के दिन पूरे देश में भक्तिभाव से संत कबीर दास जयंती मनाई जाती है। इस साल ये तिथि 22-6-2024 को पड़ेगी। आइए जानते हैं कैसे आप इस विशेष दिन को सार्थक बना सकते हैं और समाज में कबीर के संदेशों को फैला सकते हैं।
कबीर के जीवन और उपदेशों को याद करें
कबीर दास जी का जीवन सादगी और सत्यनिष्ठा का प्रतीक है। उनका जन्म किसी धर्म विशेष में नहीं हुआ था, बल्कि उन्हें एक जुलाहे के परिवार में पाया गया था। बचपन से ही आध्यात्मिक जिज्ञासा रखने वाले कबीर को संत रामानंद का शिष्य बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के सार को ग्रहण किया और अपने दोहों के माध्यम से सामाजिक बुराइयों, पाखंड और भेदभाव का खंडन किया। इस जयंती पर आप कबीर के जीवन वृतांत को पढ़ सकते हैं या फिर उनके दोहों का वाचन कर सकते हैं।
भजन-कीर्तन और सत्संग का आयोजन करें
कबीर दास जी ने ईश्वर प्राप्ति का मार्ग भक्ति और प्रेम को बताया। उनके भजनों में प्रेम, सद्भाव और मानवता का संदेश छिपा है। आप इस दिन अपने घर या आस-पड़ोस में मिलकर भजन-कीर्तन का आयोजन कर सकते हैं। इससे न केवल वातावरण भक्तिमय होगा बल्कि सामूहिक रूप से कबीर के विचारों को भी साझा किया जा सकेगा। साथ ही, आप कबीर के जीवन और उनकी रचनाओं पर आधारित सत्संग का भी आयोजन कर सकते हैं।
कबीर के दोहे
- बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय||
- ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोए, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए||
- बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर||
समाज में सद्भाव फैलाने का संकल्प लें
कबीर दास जी ने अपने उपदेशों में हमेशा प्रेम, सहिष्णुता और भाईचारे पर बल दिया। उन्होंने जाति-पाति और ऊंच-नीच के भेदभाव को गलत बताया। इस जयंती के मौके पर आप समाज में सद्भाव फैलाने का संकल्प ले सकते हैं। अपने आसपास के लोगों से प्रेम और सम्मान से पेश आएं। गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें। यही कबीर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बच्चों को कबीर के दोहे सिखाएं
कबीर के दोहे सरल भाषा में गूढ़ अर्थ समेटे हुए होते हैं। इन दोहों को बच्चों को याद कराना उन्हें बचपन से ही सच्चे इंसान बनने की सीख देगा। आप स्कूलों या फिर अपने मोहल्ले में बच्चों के लिए कविता पाठ या भाषण प्रतियोगिता का आयोजन कर सकते हैं। विषय कबीर के दोहे रखें। इससे बच्चों में कबीर के विचारों को लेकर रुचि पैदा होगी।
कबीर दास जयंती सिर्फ एक उत्सव नहीं बल्कि उनके आदर्शों को अपनाने का अवसर है। आइए मिलकर कबीर के संदेशों को हर घर तक पहुंचाएं और एक सशक्त व सद्भावपूर्ण समाज का निर्माण करें।