Maa Kushmanda Aarti
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
अर्थ — कूष्मांडा माता जो सभी को सुख प्रदान करती हैं, उनकी जय हो। हे कूष्मांडा माता!! अब आप अपने इस भक्त पर दया कर इसका उद्धार कर दीजिये।
पिंगला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
अर्थ — माता कूष्मांडा हमारी सूर्य नाड़ी में वास करती हैं जो हठयोग की नाड़ी भी कही जाती हैं। वे सूर्य नाड़ी को मजबूत करने का कार्य करती हैं। शाकम्भरी माता के रूप में उनका रूप बहुत ही भोला भाला सा है।
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
अर्थ — माँ कुष्मांडा के तो लाखों नाम हैं और उसी के अनुसार ही उनके अनेक रूप हैं। उनके भक्तगण माँ की भक्ति में मतवाले हुए फिरते हैं।
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
अर्थ — भीमा पर्वत पर माँ कूष्मांडा शाकम्भरी माता के रूप में विराजमान हैं और वहीं से अपने भक्तों का उद्धार करती हैं। हे कूष्मांडा मां!! अब आप अपने इस भक्त का प्रणाम स्वीकार कर कल्याण कीजिये।
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचाती हो माँ अंबे॥
अर्थ — माँ कूष्मांडा अपने भक्तों के मन की बात को सुन लेती हैं और उन्हें सुख प्रदान करती हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो भी सच्चे मन के साथ माँ जगदंबे से कुछ भी मांगता है तो उसकी हरेक मनोकामना पूरी हो जाती है।
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
अर्थ — हे मां कुष्मांडा!! आपका यह भक्त आपके दर्शनों को तरस रहा है और आप मेरी इस इच्छा को पूरी कर मुझे अपने दर्शन दीजिये।
माँ के मन में ममता भरी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमरी॥
अर्थ — मातारानी के मन में तो हमारे प्रति ममता भरी हुई है और वे क्यों हमारी इच्छा को नहीं सुनेगी अर्थात कुष्मांडा मां हमारी इच्छा को अवश्य सुनेंगी और उसे पूरा करेंगी।
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
अर्थ — मैंने तो आपके मंदिर के बाहर ही डेरा डाला हुआ है और आपकी भक्ति कर रहा हूँ। अब तो आप मेरे जीवन में आये संकटों को दूर कर मेरा उद्धार कर दीजिये।
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
अर्थ — हे माँ कूष्मांडा!! अब आप मेरे सभी बिगड़े हुए कामों को बना दीजिये और मेरे घर को अन्न-धन के भंडार से भर कर मुझे सुख प्रदान कीजिये।
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
अर्थ — आपका यह सेवक आपका ही ध्यान करता है और आपके सभी भक्तगण आपके सामने अपना सिर झुकाकर आपको प्रणाम करते हैं।