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Mahananda Navami 2025 | देवी दुर्गा की आराधना का पवित्र दिन | PDF

Devotees gather around a serene temple during sunset, engaged in rituals, surrounded by ornate structures and floral offerings in water.

महानंदा नवमी एक पवित्र हिंदू त्योहार है जिसे विशेष रूप से देवी दुर्गा की आराधना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार ‘माघ', ‘भाद्रपद' और ‘मार्गशीर्ष' महीनों के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है।

इस बार महानंदा नवमी 8 फरवरी को मनाई जाएगी। इसे ताला नवमी के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन भक्तगण पवित्र नदियों में स्नान कर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन के सभी दुखों का नाश होता है।

महानंदा नवमी पर क्या करें

1. स्नान और शुद्धिकरण

महानंदा नवमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

2. पूजा विधि

3. उपवास

4. दान और कन्या पूजन

महानंदा नवमी पर क्या न करें

महानंदा नवमी की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार, एक साहूकार की धार्मिक प्रवृत्ति वाली बेटी प्रतिदिन पीपल के वृक्ष की पूजा करती थी। उस वृक्ष में देवी लक्ष्मी का वास था। एक दिन देवी लक्ष्मी ने प्रसन्न होकर उस कन्या से मित्रता कर ली और उसे अपने लोक में ले गईं। वहां उन्होंने कन्या को विभिन्न उपहार दिए और कहा कि वह भी उन्हें अपने घर आने का निमंत्रण दे।

जब कन्या ने अपने पिता को यह बात बताई तो उन्होंने कहा कि हमारे पास देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए कुछ नहीं है। तभी एक चील ने घर में हीरे का हार गिरा दिया। उस हार को बेचकर साहूकार ने सोने की चौकी और थाली खरीदी। जब देवी लक्ष्मी गणेश जी के साथ उनके घर आईं, तो साहूकार की बेटी ने पूरी श्रद्धा से उनकी सेवा की। देवी लक्ष्मी ने प्रसन्न होकर उन्हें समृद्धि का आशीर्वाद दिया।

महानंदा नवमी का महत्व

यह  नवमी का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन देवी दुर्गा की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

महानंदा नवमी का उत्सव

ओडिशा के बिजारा मंदिर और पश्चिम बंगाल के कनक दुर्गा मंदिर में इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।

महानंदा नवमी की पूजा विधि संक्षेप में

  1. सूर्योदय से पहले स्नान करें।
  2. पूजा स्थल को साफ करें और देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
  3. दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें।
  4. दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  5. भोग अर्पित करें और कन्या पूजन करें।
  6. रात भर जागरण कर देवी का स्मरण करें।
  7. चंद्र दर्शन के बाद व्रत तोड़ें।

महानंदा नवमी का संदेश

महानंदा नवमी हमें यह संदेश देती है कि जीवन में शुद्धता, भक्ति और समर्पण का कितना महत्व है। देवी दुर्गा की आराधना से न केवल बाहरी बल्कि आंतरिक शांति और शक्ति प्राप्त होती है। यह दिन हमें बुराइयों से दूर रहने और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

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