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Parashuram Jayanti | परशुराम जयंती का इतिहास, महत्व और पूजा विधि | PDF

A powerful figure with long hair, clad in orange and gold, wielding an ornate axe against a mystical forest backdrop.

परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है।
यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रितीया तिथि को आता है।
इसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है, जो अपने आप में अत्यंत शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कार्यों, दान और पूजा का फल कभी क्षीण नहीं होता।
इसलिए इसे “अक्षय” कहा जाता है।

भगवान परशुराम को शस्त्र विद्या, धर्म रक्षा और अन्याय के विरुद्ध युद्ध का प्रतीक माना जाता है।
उन्होंने क्षत्रियों के अत्याचार को समाप्त किया और धर्म की स्थापना की।
इसी कारण परशुराम जयंती केवल एक जन्मोत्सव नहीं है।
यह धर्म और न्याय के समर्थन का भी पर्व है।

परशुराम जयंती क्यों मनाई जाती है?

परशुराम जी का जन्म भृगु ऋषि वंश में हुआ था।
उनके पिता का नाम महर्षि जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था।
वे भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं।
उनमें क्रोध, तपस्या और न्याय का अद्भुत संगम था।

यह जयंती उनके आदर्शों को याद करने के लिए मनाई जाती है।
उन्होंने सिखाया कि धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाना भी आवश्यक हो सकता है।
ब्राह्मण होते हुए भी उन्होंने क्षत्रिय धर्म निभाया और अन्याय के खिलाफ वीरता से लड़े।

इस दिन श्रद्धालु भगवान परशुराम की पूजा करते हैं।
उनकी कथाओं का पाठ करते हैं और धर्म तथा सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।

परशुराम जयंती की पौराणिक कथा

परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है।
यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है।
इस दिन को अक्षय तृतीया भी कहते हैं, जो अत्यंत शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन किया गया पुण्य कार्य और दान कभी क्षीण नहीं होता।

भगवान परशुराम को शस्त्र विद्या, धर्म रक्षा, और अन्याय के विरुद्ध युद्ध का प्रतीक माना जाता है।
वे क्षत्रियों के अत्याचार को समाप्त कर धर्म की स्थापना के लिए प्रसिद्ध हैं।
इसलिए परशुराम जयंती केवल जन्मोत्सव नहीं, बल्कि धर्म और न्याय का पर्व भी है।

परशुराम जयंती पर क्या-क्या किया जाता है?

1. व्रत और उपवास:
2. पूजा विधि:
3. कथा और सत्संग:
4. दान-पुण्य:
5. अन्य धार्मिक कार्य:

परशुराम जी के प्रमुख गुण और शिक्षाएँ

भगवान परशुराम जी से जुड़ी कुछ रोचक बातें

परशुराम जयंती न केवल भगवान परशुराम के जन्म का उत्सव है, बल्कि यह धर्म, वीरता और न्याय का प्रतीक भी है। यह दिन हमें सिखाता है कि धर्म की रक्षा के लिए तप, त्याग और बलिदान का मार्ग अपनाना आवश्यक है। परशुराम जी की शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी प्राचीन काल में थीं।

उनकी भक्ति, शक्ति और न्यायप्रियता से प्रेरणा लेकर हम अपने जीवन को धर्ममय और सत्यनिष्ठ बना सकते हैं। परशुराम जयंती के इस शुभ अवसर पर आइए हम सभी अन्याय के खिलाफ खड़े होने और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लें।

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