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Shukrawar Aarti | शुक्रवार आरती | PDF

People in traditional attire praying before a golden deity statue in an ornate temple.

शुक्रवार का नाम ग्रह ‘शुक्र' पर आधारित है, जिसे सुख, ऐश्वर्य, प्रेम और रचनात्मकता का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं, कला, सौंदर्य और वैवाहिक जीवन में संतोष का कारक माना गया है।

इस दिन विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। सफेद और गुलाबी रंग के वस्त्र पहनकर देवी के मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं। मान्यता है कि शुक्रवार को विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से घर में धन-धान्य और खुशहाली आती है।

इसके अलावा, शुक्रवार को भगवान लक्ष्मण जी की आरती और पूजन भी महत्वपूर्ण माना जाता है। लक्ष्मण जी, जो भगवान राम के अनुज और शेषनाग के अवतार हैं, अनुशासन, सेवा और बलिदान के प्रतीक हैं। उनकी आरती करने से भक्तों को न केवल भौतिक सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि आध्यात्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है।

आरती लक्ष्मण बालजती की, असुर संहारण प्राणपति की।
आरती उन लक्ष्मण जी की है जो बाल्यावस्था में भी वीरता के प्रतीक हैं। उन्होंने असुरों का नाश कर धर्म की स्थापना की।

जगत जोति अवधपुर राजे, शेषाचल पै आप विराजे।
लक्ष्मण जी, जो अवधपुर के राजा के परिवार के सदस्य हैं, समस्त ब्रह्मांड की ज्योति और शक्ति का प्रतीक हैं। वे स्वयं भगवान शेषनाग का अवतार हैं।

घंटा ताल पखावज बाजे, कोटि देव मुनि आरती साजे।
घंटा, ताल और पखावज जैसे वाद्ययंत्रों के मधुर स्वर में करोड़ों देवता और मुनि उनकी आरती करते हैं।

क्रीट मुकुट कर धनुष विराजे, तीन लोक जाकि शोभा राजे।
उनके सिर पर मुकुट और हाथ में धनुष शोभायमान हैं। उनकी महिमा तीनों लोकों में व्याप्त है।

कंचन थार कपूर सुहाई, आरती करत सुमित्रा माई।
सोने के थाल में कपूर जलाकर माता सुमित्रा अपने पुत्र की आरती कर रही हैं।

आरती कीजैं हरि की तैसी, ध्रुव प्रहलाद विभीषण जैसी।
भगवान लक्ष्मण की आरती उसी श्रद्धा और प्रेम से करनी चाहिए जैसे ध्रुव, प्रहलाद, और विभीषण ने भगवान की भक्ति की थी।

प्रेम मगन होय आरती गावैं, बसि बैकुण्ड बहुरि नहिं आवैं।
प्रेम और भक्ति में डूबकर जो आरती गाता है, वह बैकुंठ धाम में निवास करता है और पुनः जन्म-मृत्यु के चक्र में नहीं आता।

भक्ति हेतु लाड लडावै, जन घनश्याम परम पद पावै।
भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान अपने भक्तों को स्नेह देते हैं और उन्हें मोक्ष प्रदान करते हैं।

शुक्रवार आरती के लाभ

शुक्रवार आरती का नियमित रूप से गायन करने और इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करने से भक्तों को आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक लाभ मिलते हैं।

1. आध्यात्मिक लाभ

2. मानसिक लाभ

3. आध्यात्मिक ऊर्जा का जागरण

शुक्रवार को लक्ष्मण जी की आरती विशेष रूप से की जाती है। इसे करने से:

4. धार्मिक लाभ

आरती का प्रभाव

आरती न केवल भगवान की महिमा का गुणगान है, बल्कि यह ध्यान और ध्यानस्थापन का भी एक माध्यम है। इसे नियमित रूप से करने से:

  1. चेतना का उत्थान: आरती के हर शब्द में भक्त का समर्पण झलकता है, जिससे आत्मिक चेतना जाग्रत होती है।
  2. समाज में धर्म का प्रचार-प्रसार: आरती सामूहिक रूप से करने पर धार्मिक विचारों और संस्कारों का प्रचार होता है।
  3. संतुष्ट जीवन: जो व्यक्ति इस आरती को श्रद्धा से करता है, उसका जीवन संतोषपूर्ण और आनंदमय हो जाता है।

शुक्रवार आरती भगवान लक्ष्मण जी की महिमा को गाने का एक अद्भुत माध्यम है। यह आरती भक्तों को आध्यात्मिक, मानसिक, और भौतिक लाभ प्रदान करती है। इसे नियमित रूप से करने से न केवल व्यक्ति का जीवन शुद्ध और सफल होता है, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। आरती का गायन प्रेम, श्रद्धा और भक्ति से करना चाहिए,

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