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Varaha Jayanti | वराह जयंती में क्या करें और क्या न करें | PDF

Varaha Jayanti

Shri Varaha Jayanti 2024

वराह जयंती एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो सामान्यतः सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है। वराह जयंती भगवान विष्णु के वराह रूप के अवतरण को समर्पित है।

पौराणिक महत्व: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, वराह अवतार की कहानी भगवद पुराण में वर्णित है। राक्षस हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को अगाध समुद्र में डुबो दिया था। पृथ्वी को पुनः स्थापित करने और सृष्टि का संतुलन बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु ने वराह (सूअर) के रूप में अवतार लिया। वराह ने अपनी दो तोंकों पर पृथ्वी को उठाया और राक्षस हिरण्याक्ष को पराजित कर पृथ्वी को उसके स्थान पर वापस स्थापित किया।

वराह जयंती का महत्व:

उपलब्धि और अनुष्ठान:

 

1. तैयारी और शुद्धिकरण:

2. पूजा :

3. व्रत और भोजन:

4. विशेष अनुष्ठान:

क्या करें और क्या न करें:

करें:

न करें:

क्षेत्रीय भिन्नताएँ:

वराह जयंती भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा और सम्मान का दिन है, जो सृष्टि के संतुलन को पुनर्स्थापित करने के लिए उनके दिव्य हस्तक्षेप का प्रतीक है। इस दिन पूजा और अनुष्ठान को विधिपूर्वक करके भक्त भगवान वराह की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुरक्षा, समृद्धि, और स्थिरता की प्राप्ति कर सकते हैं।

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