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Vrishabha Sankranti | सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश का पर्व – वृषभ संक्रांति का संपूर्ण मार्गदर्शन | PDF

संक्रांति का अर्थ होता है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। जब सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करता है, तो उसे वृषभ संक्रांति कहा जाता है। यह दिन हिंदू पंचांग के अनुसार विशेष धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व रखता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है और लोग इस दिन पूजा-पाठ, दान-पुण्य, व्रत आदि करते हैं। इस दिन सूर्य का राशि परिवर्तन नया ऊर्जा चक्र आरंभ करता है, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

वृषभ संक्रांति क्या है?

वृषभ संक्रांति सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश करने का दिन है। यह आमतौर पर हर साल मई महीने के मध्य में आता है। इस दिन से ही सूर्य उत्तर की ओर बढ़ना शुरू करता है और गर्मी अपने चरम पर होती है। ज्योतिष के अनुसार, यह समय प्रकृति में तेज ऊर्जा और परिवर्तन का संकेत देता है। यह एक शुभ संक्रांति मानी जाती है, जिसमें धार्मिक कार्य करना विशेष फलदायी होता है।

इस संक्रांति का धार्मिक महत्व

  1. धार्मिक ग्रंथों में स्थान:
    वृषभ संक्रांति का उल्लेख हिंदू धर्मग्रंथों और पुराणों में मिलता है। इसे एक पुण्यकाल माना गया है, जिसमें धार्मिक कार्य, जप, तप, और दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है।
  2. पितृ कार्य के लिए उत्तम समय:
    इस दिन तर्पण और पितरों के लिए जलदान करना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है।
  3. दान-पुण्य की विशेष महत्ता:
    वृषभ संक्रांति को “दान संक्रांति” भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन जो भी दान किया जाता है, वह कई गुणा फलदायक होता है। विशेष रूप से अन्न, जल, वस्त्र और छाता का दान करने से विशेष पुण्य मिलता है।

इस दिन किस भगवान की पूजा की जाती है?

  1. सूर्य देव की पूजा:
    वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य देव का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। प्रातःकाल स्नान कर सूर्य को जल चढ़ाना और आदित्य ह्रदय स्तोत्र या सूर्य मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ फल देता है।
  2. गायत्री माता की पूजा:
    इस दिन गायत्री मंत्र का जाप और गायत्री यज्ञ करने से मानसिक शांति और तेज बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  3. पितरों की पूजा व तर्पण:
    इस दिन पूर्वजों के नाम पर जलदान और पिंडदान करने की परंपरा भी है। यह पितृ शांति के लिए अत्यंत आवश्यक माना गया है।

वृषभ संक्रांति के लाभ

  1. पुण्य की प्राप्ति:
    इस दिन किए गए धार्मिक कार्य, जप-तप, और दान से विशेष पुण्य प्राप्त होता है, जो कई जन्मों के पापों को नष्ट कर सकता है।
  2. पितृ दोष से मुक्ति:
    पितरों के लिए किए गए तर्पण से व्यक्ति पितृ दोष से मुक्त होता है और जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
  3. सुख-समृद्धि में वृद्धि:
    इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से घर में धन, स्वास्थ्य, और सफलता में वृद्धि होती है।
  4. रोगों से मुक्ति:
    सूर्य पूजा और दान से शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है और रोग दूर होते हैं।
  5. मानसिक और आत्मिक शांति:
    धार्मिक क्रियाएं और मंत्र जाप से मानसिक तनाव दूर होता है और आत्मा को शांति मिलती है।

इस दिन क्या करें (क्या करना चाहिए)

  1. स्नान और सूर्य को अर्घ्य दें:
    सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, अक्षत (चावल), और रोली डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
  2. सूर्य मंत्रों का जाप करें:
    “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करना बहुत लाभकारी होता है।
  3. दान-पुण्य करें:
    गरीबों को अन्न, जल, कपड़े, पंखा, छाता, चप्पल आदि का दान करें।
  4. पितरों का तर्पण करें:
    अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए जल तर्पण करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
  5. व्रत रखें:
    कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं और शाम को फलाहार करते हैं। इससे आत्मिक बल और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  6. गाय को चारा दें:
    इस दिन गाय को हरा चारा, गुड़ आदि खिलाना पुण्यदायी माना जाता है।
  7. ध्यान और साधना करें:
    मानसिक शांति और ईश्वरीय कृपा के लिए ध्यान लगाना और साधना करना विशेष फल देता है।

इस दिन क्या न करें (क्या नहीं करना चाहिए)

  1. क्रोध और कलह से बचें:
    इस दिन घर में झगड़ा, गाली-गलौज या किसी से कटु व्यवहार नहीं करना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
  2. मांस और शराब का सेवन वर्जित है:
    वृषभ संक्रांति जैसे शुभ दिन पर मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
  3. बाल कटवाना या शेविंग न करें:
    धार्मिक दृष्टि से इस दिन शरीर पर छुरा चलाना यानी बाल कटवाना, नाखून काटना आदि वर्जित माना जाता है।
  4. नकारात्मक विचारों से दूर रहें:
    मन में ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध जैसे विचारों को स्थान न दें। यह शुभ फल में बाधक बनते हैं।
  5. तामसी भोजन न करें:
    प्याज, लहसुन, अधिक मसालेदार या बासी भोजन से बचें।

वृषभ संक्रांति से जुड़ी कुछ मान्यताएं

  1. गंगा स्नान का महत्व:
    इस दिन गंगा स्नान करने से कई जन्मों के पाप समाप्त होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  2. भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति:
    ऐसा माना जाता है कि इस दिन विशेष यज्ञ और पूजन करने से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
  3. सूर्य की ऊर्जा का लाभ:
    वृषभ संक्रांति से सूर्य की स्थिति ऐसी होती है कि उसका प्रभाव स्वास्थ्य और कृषि दोनों पर अच्छा पड़ता है।

वृषभ संक्रांति एक अत्यंत पवित्र और शुभ अवसर है, जो धार्मिक कार्यों, पूजा-पाठ, दान और आत्मिक शुद्धि के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करके, पितरों का तर्पण करके और जरूरतमंदों की सेवा करके न केवल आत्मिक संतोष प्राप्त होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और सुख-शांति भी आती है।

इस दिन हमारे कर्म और आस्था ही हमें फल प्रदान करते हैं। अतः इस अवसर का सही उपयोग करके हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

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