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Dev Prabodhini Ekadashi | देव प्रबोधिनी एकादशी का महत्व | PDF

Dev Prabodhini Ekadashi

Dev Prabodhini Ekadashi

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन से ही शुभ और मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं और इसी दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह भी होता है। आज के दिन कुछ ऐसी चीजें हैं जिन पर आपको ध्यान देने की जरूरत है, नहीं तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं देव प्रबोधिनी एकादशी पर क्या करें और क्या न करें।

देव प्रबोधिनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान नारायण योग निद्रा त्याग देते हैं और सृष्टि की जिम्मेदारी लेते हैं। इसके बाद चार्तुमास समाप्त हो जाता है और शुभ और मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। पुराण कहते हैं कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है और वैकुंठ को प्राप्त होता है। देव प्रबोधिनी एकादशी को लेकर शास्त्रों में कुछ विशेष नियम बताए गए हैं और इन नियमों का पालन करने से आपके भाग्य में वृद्धि होगी और जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होगी। अगर इन नियमों की अनदेखी की गई तो आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

देव प्रबोधिनी एकादशी पर क्या करें?

देव प्रबोधिनी एकादशी पर क्या न करें

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