नवमी श्राद्ध एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो पितृ पक्ष के नवमी तिथि को किया जाता है। इसे विशेष रूप से उन महिलाओं के श्राद्ध के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु उनके पतियों के जीवित रहते हुई हो। यह श्राद्ध मुख्य रूप से महिलाओं को समर्पित होता है, और इसलिए इसे “आविदवा नवमी” भी कहा जाता है। आइए इसके बारे में और विस्तार से जानते हैं:
नवमी श्राद्ध का महत्व:
- आविदवा महिलाओं का सम्मान: यह दिन उन विवाहित महिलाओं के सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक है, जिनकी मृत्यु उनके पति की मृत्यु से पहले हुई थी। इसे करके उनकी आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।
- परिवार की समृद्धि: नवमी श्राद्ध के अनुष्ठान करने से परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- पितृ दोष से मुक्ति: नवमी तिथि पर श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति होती है।
नवमी श्राद्ध की मुख्य विधि:
1. पिंडदान और तर्पण:
- पिंडदान में तिल, जौ और चावल से पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किया जाता है।
- तर्पण में जल में तिल मिलाकर पितरों को जल अर्पित किया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
2. दान और ब्राह्मण भोज: श्राद्ध के बाद, ब्राह्मणों को भोजन कराने और उन्हें वस्त्र, धन, अन्न आदि का दान करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही विधवाओं को भी दान और भोजन कराया जाता है।
3. भगवान की पूजा: इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है ताकि पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त हो सके। विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया जाता है और शिव जी को बेलपत्र और जल अर्पित किया जाता है।
नवमी श्राद्ध में पूजा के लिए:
- पितर देवता (पितृगण): प्रमुख रूप से पूर्वजों या पितरों की पूजा की जाती है। यह पूजा पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है।
- गणेश जी: कुछ प्रथाओं के अनुसार, गणेश जी की पूजा भी की जाती है ताकि अनुष्ठान में कोई विघ्न न आए।
- भगवान विष्णु: भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है, क्योंकि उन्हें पितरों का पालनकर्ता माना जाता है।
मंत्रों का जाप:
1. पितृ मन्त्र:
- ॐ पितृभ्यो नमः
- ॐ श्री पितृदेवाय नमः
2. विष्णु मन्त्र:
- ॐ श्री विष्णवे नमः
- ॐ नारायणाय नमः
3. गणेश मन्त्र:
- ॐ गणेशाय नमः
- ॐ विघ्नेश्वराय नमः
अनुष्ठान के दौरान:
- पश्चिम की ओर मुख करके: पितृ पूजा में पश्चिम की ओर मुख करके पूजा करने की परंपरा है।
- तर्पण विधि: पितरों के लिए तर्पण करना एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें जल, आहूति, और तर्पण सामग्री का उपयोग किया जाता है।
विशेष नियम:
- पवित्रता का पालन: श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए और पूरे विधि-विधान से अनुष्ठान संपन्न करना चाहिए।
- तामसिक भोजन वर्जित: इस दिन मांसाहार और अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन वर्जित होता है। श्राद्ध करने वाले को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
नवमी श्राद्ध के अनुष्ठानों का उद्देश्य:
नवमी श्राद्ध का मुख्य उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करना और उनके लिए तर्पण और पिंडदान द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करना है। परिवार के सभी सदस्य, विशेषकर पुत्र या पुत्रवत सदस्य, इस अनुष्ठान में शामिल होते हैं।
नवमी श्राद्ध को श्रद्धा और पवित्रता से संपन्न करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।