Sita Navami
यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो देवी सीता, भगवान राम की पत्नी, को समर्पित है। सीता नवमी, देवी सीता के त्याग, समर्पण और पतिव्रता धर्म के गुणों का स्मरण करने का अवसर है।
सीता नवमी का महत्व
- देवी सीता का जन्म: इस दिन माना जाता है कि देवी सीता का जन्म हुआ था।
- त्याग और समर्पण का प्रतीक: देवी सीता को त्याग और समर्पण की देवी माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और वैवाहिक सुख प्राप्त होता है।
- महिलाओं के लिए प्रेरणा: देवी सीता महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। उनकी पतिव्रता और साहस सभी महिलाओं के लिए आदर्श हैं।
- विघ्नों का नाश: यह माना जाता है कि इस दिन देवी सीता की पूजा करने से सभी विघ्नों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सीता नवमी की पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- घर की साफ-सफाई करें।
- पूजा की थाल तैयार करें। इसमें फल, फूल, धूप, दीप, दूर्वा और मोदक रखें।
- देवी सीता की प्रतिमा स्थापित करें।
- देवी सीता का ध्यान करें और उनकी पूजा करें।
- ॐ सीतायै नमः” मंत्र का जाप करें।
- आरती करें।
- दान-पुण्य करें।
सीता नवमी के व्रत नियम
- इस दिन निर्जला या फलाहारी व्रत रखा जाता है।
- सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
- दिन भर भगवान राम और देवी सीता का ध्यान करें।
- नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
सीता नवमी के दिन क्या करें
- देवी सीता की पूजा करें।
- व्रत रखें।
- दान-पुण्य करें।
- रामायण का पाठ करें।
- सत्य और अहिंसा का पालन करें।
सीता नवमी के दिन क्या न करें
- मांस, मदिरा और तंबाकू का सेवन न करें।
- झूठ न बोलें और किसी से झगड़ा न करें।
- नकारात्मक विचार न रखें।
यह पर्व हमें देवी सीता के त्याग और समर्पण की याद दिलाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से हमें जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त होती है।