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Tritiya Shraddha 2025 | तृतीया श्राद्ध तिथि, मुहूर्त, विधि और महत्व | PDF

तृतीया श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए होता है जिनका निधन चंद्र मास की तृतीया तिथि को हुआ था। हिंदू धर्म में, प्रत्येक तिथि का एक विशेष महत्व होता है और मृतकों की आत्मा को शांति देने के लिए विभिन्न तिथियों पर श्राद्ध किए जाते हैं। तृतीया श्राद्ध का उद्देश्य उन पितरों को सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करना है जिनका निधन इस विशेष तिथि को हुआ था।

तृतीया श्राद्ध कब है?

2025 में तृतीया श्राद्ध बुधवार, 10 सितंबर को है

पंचांग के अनुसार, यह तिथि 9 सितंबर की शाम 6:28 बजे से शुरू होकर 10 सितंबर दोपहर 3:37 बजे तक रहेगी

तृतीया श्राद्ध क्यों किया जाता है:

तृतीया श्राद्ध की प्रक्रिया:

तृतीया श्राद्ध के दिन विशेष महत्व:

  1. मुहूर्त (अभिजित, कुतुप, रोहिणी मुहूर्त):
    • अभिजित मुहूर्त – दिन का मध्य समय, श्राद्ध के लिए अत्यंत शुभ।
    • कुतुप मुहूर्तसूर्य की विशेष स्थिति का समय, श्राद्ध कर्म के लिए उत्तम।
    • रोहिणी मुहूर्त – तिथि व नक्षत्र के आधार पर शुभ माना गया।
  2. पितृ के निमित्त लक्ष्मीपति का ध्यान:
    तृतीया श्राद्ध के दौरान भगवान विष्णु (लक्ष्मीपति) का ध्यान करने से पितरों को मोक्ष और शांति प्राप्त होती है।
  3. गीता के तीसरे अध्याय का पाठ:
    कर्मयोग पर आधारित तीसरे अध्याय का पाठ पितरों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण है। इससे श्राद्ध करने वाले को भी आध्यात्मिक लाभ होता है।

पितृ को प्रसन्न करने के मंत्र :

तृतीया श्राद्ध का आध्यात्मिक महत्व:

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