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Shri Hanuman Ji Aarti

।। आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।

अर्थ- आरती कीजिए, हनुमान लला की, दुष्टों का संहार करने वाले श्री रघुनाथ जी के परम भक्त हनुमान जी की।

।। जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके ।।

अर्थ- जिनके बल के आगे बड़े-बड़े पर्वत भी कांप उठते है। जो भक्त रोजाना हनुमान जी  के नाम का जाप करते है रोग और दोष उनके निकट झांककर भी नहीं देखते।

।। अंजनि पुत्र महाबलदायी।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई ।।

अर्थ- माता अंजनी के पुत्र श्री हनुमान (Shri Hanuman ji) जी महाबली होने के साथ-साथ महादायी भी है अर्थात जो भक्त हनुमान जी का सच्चे मन से ध्यान करते है हनुमान जी उन्हें आशीर्वाद में मनचाहा वरदान देते है। सच्चे मन से की हनुमंत की भक्ति भक्त को आशीर्वाद में कुछ भी दिला सकती है। हनुमान जी हमेशा संत लोगों की सहायता करते है। 

।। दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुध लाए ।।

अर्थ- रघुनाथ शी राम ने हनुमान जी को माता सीता को ढूंढने का महान कार्य दिया था जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक किया।  हनुमान जी ने रावण की नगरी लंका जाकर माता सीता का पता लगाया।

।। लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई ।।

अर्थ- लंका के चारों तरफ समुद्र जैसी गहरी खाई थी जो अभेद थी, जिसे कोई भी आसानी से पार नहीं कर सकता था लेकिन वायु पुत्र हनुमान शीघ्र अति शीघ्र हवा से भी तेज गति से समुद्र को लांघकर, गहरी खाई को पार करके लंका पहुंचकर माता सीता की खबर लाते है।

।। लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज संवारे ।।

अर्थ- बजरंगबली ने लंका जाकर असुरों का संहार किया और माता सीता से मिलकर
सियावर श्री राम जी के सीता माता की खोज के कार्य को बखूबी पूरा किया।

।। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आणि संजीवन प्राण उबारे ।।

अर्थ- रावण से युद्ध के दौरान श्री लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए तब हनुमान जी सुबह होने से पहले संजीवनी बूटी के लिए पूरे पर्वत को लाकर लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की थी।

Shri Hanuman Ji Aarti

।। पैठी पताल तोरि यमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे ।।

अर्थ- जब अहिरावण श्रीराम व लक्ष्मण जी को पाताल लोक ले गया तब आप ने ही अहिरावण का वध करके प्रभु को उसके बंधन से मुक्त कराया था।

।। बाएं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे ।।

अर्थ- श्री हनुमान जी (Shri Hanuman ji) अपने एक (बाएं) हाथ से असुरों को मार गिराते है और दूसरे (दाएं) हाथ से हमेशा संत लोगों और सच्चे भक्तों की सहायता करते है।

।। सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे।
जै जै जै हनुमान उचारे ।।

अर्थ-  देवता, मनुष्य और ऋषि मुनि जन सदैव आपकी आरती उतारते है और आपके नाम का जय कार करते हुए जय हनुमान, जय हनुमान का जाप करते है।

।। कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई ।।

अर्थ- माता अंजना सदैव सोने की थाली में कपूर की लौ से आप की आरती उतारती है। इसलिए भक्तजनों श्री हनुमान जी की आरती  में सदैव कपूर अवश्य जलाएं।

।। लंका विध्वंस किए रघुराई।
तुलसीदास स्वामी हरि आरती गाई ।।

अर्थ- रघुवीर के परम भक्त श्री हनुमान जी ने रावण की लंका को जलाकर तबाह कर दिया था और श्रीराम ने रावण का वध कर संपूर्ण लंका को राक्षसों सहित विध्वंस कर दिया था। गोस्वामी तुलसीदास जी स्वयं उनकी कीर्ति का बखान करते है।

।। इति आरती बजरंगबली की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।

अर्थ- यह आरती संपन्न हुई, बजरंगबली की। दुष्टों का नाश करने वाले रघुनाथ जी के परम भक्त श्री हनुमान (Shri Hanuman ji) जी की।

।। जो हनुमानजी की आरती गावै।
बसि बैकुंठ परमपद पावै ।।

अर्थ- जो भक्त सच्चे मन और पूरी निष्ठा से हनुमान जी की आरती  गाते है वह इस लोक में सब सुखों को भोगते हुए अंत में सर्वश्रेष्ठ बैकुंठ का निवास पाते है।