Shri Hanuman Bahuk || श्री हनुमान बाहुक ||

Shri Hanuman Bahuk ॥ छप्पय ॥ सिंधु-तरन, सिय-सोच-हरन, रबि-बालबरन-तनु। भुज बिसाल, मूरति कराल कालहुको काल जनु॥ गहन-दहन-निरदहन-लंक नि:संक, बंक-भुव। जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव॥ कह तुलसिदास सेवत सुलभ, सेवक हित संतत निकट। गुनगनत,…