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Chaturdashi Shradh

चतुर्दशी श्राद्ध तिथि 12 अक्तूबर 2023 रात 07 बजकर 53 मिनट से प्रारंभ होगी और 13 अक्तूबर रात 09 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी।

पितृ पक्ष के समापन से एक दिन पहले यानी चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध की विशेष तिथि माना जाता है और इस दिन उन लोगों की याद में श्राद्ध किया जाता है जिनकी अचानक या किसी दुर्घटना से मृत्यु हो जाती है। इस दिन उन लोगों का भी श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु आत्महत्या, भय या किसी अन्य कारण से हुई हो। श्राद्ध की इस विशेष तिथि का उल्लेख महाभारत में भी किया गया है।

शास्त्रों में कहा गया है कि चतुर्दशी के दिन उन लोगों के लिए श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु हथियार या जहरीले सांप के काटने से हुई हो, जो लोग युद्ध में मारे गए हों या जो लोग आत्महत्या कर चुके हों। इसके अलावा मारे गए व्यक्तियों का श्राद्ध भी इसी दिन करना चाहिए।

चतुर्दशी श्राद्ध की विधि

पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने की विशेष विधि बताई गई है। सबसे पहले हाथ में जौ, कुशा, काले तिल, अक्षत और जल लेकर संकल्‍प करें। संकल्‍प लेने के बाद “ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त समस्त सांसारिक सुख-समृद्धि के लिए, वंश वृद्धि के लिए, देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणं च अहं करिष्ये” मंत्र का जाप करें। पूजा करें, फिर पितरों के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराएं और फिर गाय, कुत्ते और कौए के लिए भोजन निकालें। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पशु-पक्षियों के रूप में हमारे परिवार में आते है।

चतुर्दशी श्राद्ध का महाभारत में भी किया गया है जिक्र 

भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर से कहा कि श्राद्ध उन लोगों के लिए है जिनकी अकाल मृत्यु हुई है। यानी जिनकी मृत्यु स्वाभाविक तरीके से न हुई हो, उनका श्राद्ध केवल पितृ पक्ष की चतुर्दशी के दिन ही करना चाहिए।
जिनकी मृत्यु स्वाभाविक रूप से हुई हो उनका श्राद्ध इस तिथि पर नहीं किया जाता है। पंडितों के अनुसार स्वभाविक मौत मरने वालों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करने से श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं।
कूर्म पुराण में भी इस बात का जिक्र है कि चतुर्दशी पर स्वाभाविक रूप से मृत लोगों का श्राद्ध करना संतान के लिए शुभ नहीं होता है।

चतुर्दशी श्राद्ध के दिन यह कार्यविधियां की जाती हैं:

  • तिथि और मुहूर्त: चतुर्दशी श्राद्ध को उपयुक्त तिथि और मुहूर्त में करने के लिए शुभ मुहूर्त का पालन करें।
  • संकल्प: श्राद्ध करते समय, मन से संकल्प लें, यानि आपके पूर्वजों की आत्माओं की शांति और मोक्ष की कामना करें।
  • पिण्ड दान: पिण्ड दान में पूर्वजों की आत्माओं के लिए भोजन का पिण्ड बनाएं और इसे जल के साथ दें।
  • तर्पण: तर्पण कार्यक्रम के दौरान पूर्वजों की आत्मा के नाम पुष्प और जल अर्पण करें।
  • भगवान की पूजा: पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए भगवान की पूजा करें।
  • दान: गरीबों, पंडितों, या जिन्होंने आपकी पूजा में मदद की है, को दान दें।
  • भोजन: पूर्वजों की आत्मा के लिए सात्विक भोजन तैयार करें और इसे दान करें।
  • पानी का अर्पण: तर्पण के दौरान जल का अर्पण करें।

चतुर्दशी श्राद्ध के दिन यह कार्य नहीं करने चाहिए:

  • व्रत तोड़ना: इस दिन श्राद्ध का आयोजन हो रहा है, इसलिए आपको उपवास करना और अन्य व्रतों का पालन करना चाहिए।
  • अशुद्ध खानपान: श्राद्ध के दिन अशुद्ध खानपान न करें। अशुद्ध खानपान से तात्कालिक पितृ दोष हो सकता है।
  • प्रसाद का अपमान: यदि आप भोजन का प्रसाद बनाते हैं, तो इसे खाने से पहले या छूने से परहेज करें।
  • अश्लील या अधर्मिक कार्यों से बचें: इस दिन धार्मिकता की ओर ध्यान केंद्रित करें और अश्लील या अधर्मिक कार्यों से दूर रहें।
  • विवाद या तनाव: इस दिन किसी भी प्रकार के विवाद या तनाव से बचें। शांति और सुख बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है।
  • जैविक संबंध: इस दिन जैविक संबंध न बनाएं, क्योंकि यह श्राद्ध कार्य में अवरोधक हो सकता है।
  • पशुओं का नुकसान: पशुओं के प्रति दया और करूणा बनाए रखें, और उनका किसी तरह का नुकसान न करें।