नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयानक है, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए बेहद शुभ और मंगलकारी मानी जाती हैं। इसी कारण उन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। उनका यह रूप राक्षसों और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाला है। वे सभी प्रकार के भय को दूर करती हैं और अपने भक्तों को साहस, शक्ति और सुरक्षा प्रदान करती हैं।
माँ कालरात्रि का स्वरूप
- रूप: माँ कालरात्रि का स्वरूप काला और भयानक है। उनकी तीन आंखें हैं, जो ब्रह्मांडीय अग्नि की तरह चमकती हैं। उनकी सांसों से अग्नि निकलती है।
- बाल: उनके लंबे, बिखरे हुए बाल होते हैं, और वे आभूषण के रूप में बिजली की माला पहनती हैं।
- हाथों में अस्त्र: माँ के चार हाथ होते हैं। वे एक हाथ में खड्ग (तलवार) और दूसरे में लौह-अस्त्र धारण करती हैं, जबकि दो हाथों में अभय मुद्रा और वर मुद्रा होती है।
- वाहन: माँ कालरात्रि का वाहन गधा है, जो विनम्रता और सेवा का प्रतीक है।
- मुद्रा: उनके एक हाथ में भय दूर करने की मुद्रा (अभय मुद्रा) और दूसरे हाथ में वरदान देने की मुद्रा (वर मुद्रा) होती है।
माँ कालरात्रि की कथा
माँ कालरात्रि की पौराणिक कथा के अनुसार, जब दानवों और राक्षसों ने देवताओं और पृथ्वीवासियों को परेशान करना शुरू किया, तब देवी ने अपने रौद्र रूप को धारण किया और माँ कालरात्रि के रूप में प्रकट हुईं। उनका यह रूप इतना भयानक था कि राक्षस उनके नाम से ही डरने लगे। उन्होंने अनेक राक्षसों का संहार किया और देवताओं और मनुष्यों को भय से मुक्त किया।
माँ कालरात्रि की पूजा विधि
- स्नान और शुद्ध वस्त्र: सुबह स्नान करके स्वच्छ और शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और जल का छिड़काव करें।
- कलश स्थापना: माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र के सामने कलश स्थापित करें। कलश में गंगाजल, सुपारी, सिक्का, और नारियल रखें।
- धूप-दीप जलाना: धूप, दीप जलाकर माँ का ध्यान करें और उन्हें पुष्प, अक्षत (चावल), और कुमकुम अर्पित करें।
- मंत्र जाप: माँ कालरात्रि के निम्न मंत्र का जाप करें:
- ध्यान मंत्र:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥ - मूल मंत्र:
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
- ध्यान मंत्र:
- भोग: माँ को गुड़ या jaggery और उससे बने व्यंजन का भोग लगाएं। माँ कालरात्रि का यह प्रिय भोग माना जाता है।
- आरती: पूजा के अंत में माँ की आरती करें और घी का दीपक जलाकर माँ को समर्पित करें।
माँ कालरात्रि का ध्यान मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
माँ कालरात्रि का स्तोत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पूजा का उद्देश्य और लाभ
- माँ कालरात्रि की पूजा से सभी प्रकार के भय, बाधाओं, और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
- वे अपने भक्तों को साहस, आत्मविश्वास, और शक्ति प्रदान करती हैं।
- माँ की कृपा से जीवन में शांति, सुरक्षा, और मानसिक शांति का संचार होता है।
- उनकी पूजा से साधक का सहस्रार चक्र जागृत होता है, जो आत्मिक उन्नति और ज्ञान का प्रतीक है।
उपासना का फल
नवरात्रि में माँ कालरात्रि की पूजा से भक्तों को हर प्रकार के संकट से मुक्ति मिलती है और वे साहस, शक्ति, और धैर्य प्राप्त करते हैं। माँ कालरात्रि की कृपा से भक्त को शत्रुओं पर विजय, मानसिक शांति, और आत्मिक विकास की प्राप्ति होती है।