Navratri 7th Day

शास्त्रों के अनुसार माता काली, माता पार्वती और माता सीता का रौद्र रूप हैं। वह भगवान शिव के रुद्रावतार महाकाल की पत्नी हैं। मां काली और महाकाल दोनों ही निराकार रूप में विद्यमान हैं और उनके पिंडी रूप की पूजा की जाती है।
मां काली ने कई राक्षसों का वध किया जिनमें महिषासुर, चंड-मुंड, धम्राक्ष, रक्तबीज आदि राक्षस शामिल थे। क्योंकि माँ काली एक तामसिक देवी हैं और उनके उपासक अधिकतर आदिवासी लोग हैं।

सबसे ज्‍यादा प्रचलित है मां काली का ये रूप
रक्‍तबीज राक्षस का वध करने के लिए जब मां पार्वती ने मां काली का रूप रखा तो युद्ध के दौरान मां काली ने रक्‍तबीज का वध कर दिया। हालाँकि, राक्षस को मारने के बाद भी, माता पार्वती का क्रोध शांत नहीं हुआ और तब देवताओं के आह्वान पर, शिव जी उन्‍हें रोकने के लिए नीचे लेट गए और मां काली ने उन पर अपना पैर रख दिया। इसके बाद मां काली शांत हुईं।

मां कालरात्रि की पूजा का महत्त्व
माता कालरात्रि की पूजा करने से सभी समस्याएँ दूर हो जाती हैं। इस स्वरूप में माँ दुष्ट लोगों और शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी माँ की पूजा से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। माँ की पूजा-अर्चना सुबह भी होती है, लेकिन शाम की प्रार्थना का एक विशेष अर्थ होता है। ऐसा माना जाता है कि माँ कालरात्रि की पूजा करने से साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थिर हो जाता है।

माँ कालरात्रि की पूजा विधि
माँ कालरात्रि की पूजा (Navratri) के लिए सुबह जल्दी उठना चाहिए, स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। माना जाता है कि माता को लाल रंग प्रिय है। इसलिए माँ को लाल वस्त्र अर्पित करना चाहिए। स्नान के बाद माँ को फूल चढ़ाने चाहिए। माँ को मिठाई, सूखे मेवे और 5 प्रकार के फल अर्पित करने चाहिए। माता कालरात्रि को रोली कुमकुम लगाना चाहिए।

माँ कालरात्रि की स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै-नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अर्थ – “जो देवी सभी प्राणियों में स्थित हैं, उनका नाम कूष्माण्डा है। हे माता, हम आपको प्रणाम करते हैं, हम आपको नमस्कार करते हैं।”

माँ कालरात्रि का कवच
ऊँ क्लीं में हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानी च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि में देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

माँ कालरात्रि की साधना के लाभ
माना जाता है कि यह देवी तमाम सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। इनकी साधना करने से भविष्य देखने की क्षमता का विकास होता है। मन से भय दूर हो जाता है। देवी कालरात्रि अपने भक्तों को आनंद और मोक्ष प्रदान करती हैं। मां दुर्गा की इस शक्ति को कालरात्रि कहा जाता है। देवी माँ की पूजा करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ होता है और नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है। माँ अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और शत्रुओं का नाश करती हैं। परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

माँ कालरात्रि का प्रसाद
नवरात्रि के सातवें दिन देवी को खीर का भोग लगाना चाहिए। रात्रि के भोजन में माँ को खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए।

माँ कालरात्रि का प्रिय पुष्प
माता कालरात्रि की पूजा में लाल गुड़हल के फूलों का विशेष महत्त्व है। देवी को लालांबरीके फूल अत्यंत प्रिय हैं। यदि संभव हो तो आपको 108 लालांबरी के फूलों की माला बनाकर देवी को अर्पित करनी चाहिए। इससे देवी कालरात्रि अत्यंत प्रसन्न होती हैं।