Navratri 1st Day

आज नवरात्रि का पहला दिन है और इस दिन घटस्थापना के बाद माँ दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा, आराधना और स्तुति की जाती है। शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इन्हें भगवान शंकर की पत्नी पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। चूँकि वृषभ (बैल) उनका वाहन है, इसलिए उन्हें वृषभारूढा भी कहा जाता है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है।

माँ शैलपुत्री का मंत्र:

या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

माँ शैलपुत्री का स्वरूप :

माता आदि शक्ति ने इसी रूप में शैल हिमालय के घर में जन्म लिया था इसलिए उनका नाम शैल पुत्री रखा गया। शैलपुत्री नंदी नामक बैल की सवारी करती हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता है।

माँ शैलपुत्री की पूजा विधि

  • नवरात्रि (Navratri) के पहले दिन सुबह स्नान करे।
  • फिर देवी मां का ध्यान करते हुए कलश स्थापित करें।
  • कलश स्थापित करने के बाद मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें।
  • मां शैलपुत्री को कुमकुम और अक्षत लगाएं।
  • मां शैलपुत्री का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
  • मां शैलपुत्री को सफेद फूल चढ़ाएं।
  • मां शैलपुत्री की आरती करें और भोग लगाएं।

माँ शैलपुत्री का प्रिय रंग

शैल पुत्री की मां की त्वचा गोरी है, इसलिए उनका पसंदीदा रंग सफेद है। इस कारण से नवरात्रि (Navratri) के पहले दिन धरती माता को सफेद वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए।

शैलपुत्री देवी स्तोत्र पाठ

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥

त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।

सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।

मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

अर्थ: आप प्रथम दुर्गा हैं, भवसागर को पार करने वाली। आप धन और ऐश्वर्य की प्रदान करने वाली हैं, हे शैलपुत्री, हम आपको प्रणाम करते हैं। आप त्रिलोचना हैं और परमानंद का दान करने वाली हैं। आप सौभाग्य और रोग मुक्ति की प्रदान करने वाली हैं, हे शैलपुत्री, हम आपको प्रणाम करते हैं। आप सभी चराचर जगत की ईश्वरी हैं और महामोह को नाश करने वाली हैं। आप मुक्ति और भुक्ति की प्रदान करने वाली हैं, हे शैलपुत्री, हम आपको प्रणाम करते हैं।

माता शैलपुत्री देवी कवच

ओमकार:में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।

हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥

श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।

हूकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥

फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।

मां शैलपुत्री का भोग

देवी शैलपुत्री के चरणों में गौघृत अर्पित करने से भक्तों को स्वास्थ्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है और उनका मन और शरीर  निरोगी रहता है। ऐसा करते हुए वे गौघृत अखंड दीपक भी जलाते हैं।

मां शैलपुत्री आशीर्वाद

माता शैल पुत्री के आशीवार्द से विचारो में गम्भीरता आती है और हर तरह की बीमारी दूर होती है और दीर्घ आयु का आशीर्वाद मिलता है। आत्मविश्वास की जाग्रति भी होती है |