kuber-chalisa

Shri Kuber Chalisa

॥ दोहा ॥

जैसे अटल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर॥
विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर॥

अर्थ – जिस प्रकार हिमालय पर्वत व समुंद्र अपनी जगह पर अडिग रहते हैं और उन्हें कोई हिला नहीं सकता है, ठीक उसी तरह स्वर्ग लोक के द्वार पर कुबेर देवता रक्षक के रूप में खड़े हैं। कुबेर देवता हमारे संकटों को दूर कर हमारा मंगल करते हैं और अब वे अपनी शरण में आये हुए भक्तों की पुकार सुन लें। हे कुबेर देवता!! आप अपने भक्तों की भलाई के लिए उन्हें धन व माया प्रदान कीजिये।

॥ चौपाई ॥

जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी, धन माया के तुम अधिकारी।
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी, पवन वेग सम सम तनु बलधारी।
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी, सेवक इन्द्र देव के आज्ञाकारी।
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी, सेनापति बने युद्ध में धनुधारी।

अर्थ – हे कुबेर देवता!! आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप ही धन व माया के स्वामी हो और आपके पास इसके भंडार लगे हुए हैं। आपका तेज बहुत ही ज्यादा है और आप निर्भय भी हैं। आप भय का नाश करने वाले, वायु की गति से चलने वाले तथा शक्तिशाली शरीर वाले हैं। आप स्वर्ग लोक की पहरेदारी करते हैं और इंद्र देव की हर आज्ञा का पालन करते हैं। आपकी यक्ष सेना बहुत ही विशाल है और आप युद्ध में उस सेना के सेनापति हैं।

महा योद्धा बन शस्त्र धारैं, युद्ध करैं शत्रु को मारैं।
सदा विजयी कभी ना हारैं, भगत जनों के संकट टारैं।
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता, पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता।
विश्रवा पिता इडविडा जी माता, विभीषण भगत आपके भ्राता।

अर्थ – आप युद्ध भूमि में महान योद्धा की भूमिका निभाते हैं और शत्रुओं को मार गिराते हैं। आप हमेशा ही युद्ध में विजयी रहते हैं और अपने भक्तों के संकटों को दूर कर देते हैं। आप ही अपने विधाता हैं और आपका जन्म पुलस्त्य ऋषि के वंश में हुआ है। महान ऋषि विश्रवा आपके पिता हैं तो इडविडा आपकी माता हैं। दूसरी ओर, श्रीराम के भक्त विभीषण आपके भाई हैं।

शिव चरणों में जब ध्यान लगाया, घोर तपस्या करी तन को सुखाया।
शिव वरदान मिले देवत्य पाया, अमृत पान करी अमर हुई काया।
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में, देवी देवता सब फिरैं साथ में।
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में, बल शक्ति पूरी यक्ष जात में।

अर्थ – आपने भगवान शिव के चरणों का ध्यान लगाकर उनकी घनघोर तपस्या की और इसमें आपने अपने शरीर को लगभग सुखा ही लिया। आपकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने आपको देवता बनने का आशीर्वाद दे दिया और आपको अमृत पान करवा कर अमर कर दिया। आपके साथ तो सभी देवी-देवता अपने हाथ में धर्म ध्वजा लेकर विचरण करते हैं। आप पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं और आपकी यक्ष जाति बहुत ही बलशाली है।

स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं, त्रिशूल गदा हाथ में साजैं।
शंख मृदंग नगारे बाजैं, गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं।
चौंसठ योगनी मंगल गावैं, ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं।
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं, यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं।

अर्थ – आप स्वर्ण के सिंहासन पर बैठते हैं और अपने हाथों में त्रिशूल व गदा पकड़ कर रखते हैं। आपके स्वागत में तो शंख, मृदंग व नगाड़े बजाये जाते हैं और उसकी धुन पर गंधर्व भजन गायन करते हैं। दूसरी ओर, चौसंठ योगिनियाँ मंगलगान करती हैं और रिद्धि-सिद्धि आपको प्रतिदिन भोग लगाती हैं। आपके सेवक आपके सिर पर छत्र करते हैं तो वहीं यक्ष-यक्षिनियाँ आपको चंवर करती हैं।

ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं, देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं।
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं, यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं।
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं, पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं।
नागों में जैसे शेष बड़े हैं, वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं।

अर्थ – जिस प्रकार ऋषि-मुनि में भगवान परशुराम बलशाली हैं, देवताओं में हनुमान शक्तिशाली हैं, मनुष्यों में भीम बलशाली हैं, ठीक उसी तरह यक्षों में आप वीर योद्धा हैं। जिस प्रकार भक्तों में प्रह्लाद की महिमा है, पक्षियों में गरुड़ देव महान हैं, नागों में शेषनाग सबसे बड़े हैं, ठीक उसी तरह आपकी भी महिमा बहुत ज्यादा है।

कांधे धनुष हाथ में भाला, गले फूलों की पहनी माला।
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला, दूर दूर तक होए उजाला।
कुबेर देव को जो मन में धारे, सदा विजय हो कभी न हारे।
बिगड़े काम बन जाएं सारे, अन्न धन के रहें भरे भण्डारे।

अर्थ – आपने अपने कंधों पर धनुष, हाथ में भाला व गले में पुष्पों की माला पहनी हुई है। आपके सिर पर सोने का मुकुट तथा शरीर बहुत ही विशाल है। आपके तेज से तो दूर-दूर तक प्रकाश फैल जाता है। जो कोई भी कुबेर देवता का ध्यान करता है, उसकी सदा विजय होती है। इसके साथ ही उसके सभी बिगड़े हुए काम बन जाते हैं तथा घर-परिवार में अन्न-धन के भंडार भर जाते हैं।

कुबेर गरीब को आप उभारैं, कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं।
कुबेर भगत के संकट टारैं, कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं।
शीघ्र धनी जो होना चाहे, क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं।
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं, दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं।

अर्थ – कुबेर देवता की कृपा से गरीब व्यक्ति को धन मिलता है, व्यक्ति का कर्ज उतर जाता है, भक्तों के संकट मिट जाते हैं तथा हमारे शत्रुओं का नाश हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति जल्दी धनवान बनना चाहता है तो उसे कुबेर देवता की पूजा करनी चाहिए। जो व्यक्ति इस कुबेर चालीसा का पाठ करता है या इसे पढ़वाता है तो उसके व्यापार में दुगुनी उन्नति देखने को मिलती है।

भूत प्रेत को कुबेर भगावैं, अड़े काम को कुबेर बनावैं।
रोग शोक को कुबेर नशावैं, कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं।
कुबेर चढ़े को और चढ़ादे, कुबेर गिरे को पुनः उठा दे।
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे, कुबेर भूले को राह बता दे।

अर्थ – कुबेर देवता भूत, प्रेत को भगा देते हैं, अटके हुए काम को बना देते हैं, बीमारियों व दुखों को दूर कर देते हैं तथा कूबड़ शरीर को ठीक कर देते हैं। कुबेर देवता की कृपा से सफल व्यक्ति को और सफलता मिलती है तथा हताश व्यक्ति को नयी दिशा मिलती है। उनकी कृपा से हमारा भाग्य बन जाता है तथा वे हमें सही मार्ग दिखाते हैं।

प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे, भूखे की भूख कुबेर मिटा दे।
रोगी का रोग कुबेर घटा दे, दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे।
बांझ की गोद कुबेर भरा दे, कारोबार को कुबेर बढ़ा दे।
कारागार से कुबेर छुड़ा दे, चोर ठगों से कुबेर बचा दे।

अर्थ – कुबेर देवता अपनी शक्ति से प्यासे को जल देते हैं, भूखे व्यक्ति को भोजन उपलब्ध करवाते हैं, रोगी व्यक्ति की बीमारी दूर कर देते हैं, दुखी लोगों के दुःख दूर करते हैं, बाँझ नारी को संतान प्रदान करते हैं, व्यापार में उन्नति करवाते हैं, कारावास से मुक्त करवाते हैं तथा चोरों व ठगों से हमारे धन की रक्षा करते हैं।

कोर्ट केस में कुबेर जितावै, जो कुबेर को मन में ध्यावै।
चनाव में जीत कुबेर करावैं, मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं।
पाठ करे जो नित मन लाई, उसकी कला हो सदा सवाई।
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई, उसका जीवन चले सुखदाई।

अर्थ – जो कुबेर देवता का अपने मन में ध्यान करता है, उसे कोर्ट केस में जीत मिलती है। चुनावों में कुबेर देवता ही विजय दिलवाते हैं और उनकी ही कृपा से चुनाव जीते हुए व्यक्ति को मंत्रीपद मिलता है। जो कोई भी श्री कुबेर चालीसा का पाठ करता है, उसकी प्रसिद्धि बढ़ती ही जाती है। जिस किसी पर भी कुबेर भगवान प्रसन्न हो जाते हैं, वे उसके जीवन में सुख ही सुख भर देते हैं।

जो कुबेर का पाठ करावै, उसका बेड़ा पार लगावै।
उजड़े घर को पुनः बसावै, शत्रु को भी मित्र बनावै।
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई, सब सुख भोग पदार्थ पाई।
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई, मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई।

अर्थ – जो कोई भी कुबेर चालीसा का पाठ अपने घर में करवाता है, कुबेर देव उसका बेड़ा पार लगा देते हैं। वे उजड़े हुए घर को भी फिर से बसाने का कार्य करते हैं और शत्रुता को भी मित्रता में बदल देते हैं। जो भी कुबेर चालीसा की एक हज़ार पुस्तकों का दान करता है, उसे सभी प्रकार का सुख मिलता है। जो व्यक्ति अपने परिवार सहित कुबेर देवता की कीर्ति का वर्णन करता है, वह मृत्यु के पश्चात स्वर्ग लोक में निवास करता है।

॥ दोहा ॥

शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर॥

अर्थ – शिव भक्तों में मुख्य नाम यक्षों के राजा कुबेर का लिया जाता है जो शिव भक्तों की पंक्ति में सबसे आगे खड़े हैं। हे कुबेर देवता!! आप मेरे हृदय में ज्ञान का प्रकाश भर कर अज्ञानता का अँधेरा दूर कर दो। आप इस अँधेरे को दूर करने में अब बिल्कुल भी देरी मत कीजिये। मैं आपकी शरण में आया हुआ हूँ और अब आप मुझ पर अपनी दया की दृष्टि डालिए।॥ दोहा ॥

जैसे अटल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर॥
विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर॥

अर्थ – जिस प्रकार हिमालय पर्वत व समुंद्र अपनी जगह पर अडिग रहते हैं और उन्हें कोई हिला नहीं सकता है, ठीक उसी तरह स्वर्ग लोक के द्वार पर कुबेर देवता रक्षक के रूप में खड़े हैं। कुबेर देवता हमारे संकटों को दूर कर हमारा मंगल करते हैं और अब वे अपनी शरण में आये हुए भक्तों की पुकार सुन लें। हे कुबेर देवता!! आप अपने भक्तों की भलाई के लिए उन्हें धन व माया प्रदान कीजिये।

॥ चौपाई ॥

जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी, धन माया के तुम अधिकारी।
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी, पवन वेग सम सम तनु बलधारी।
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी, सेवक इन्द्र देव के आज्ञाकारी।
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी, सेनापति बने युद्ध में धनुधारी।

अर्थ – हे कुबेर देवता!! आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप ही धन व माया के स्वामी हो और आपके पास इसके भंडार लगे हुए हैं। आपका तेज बहुत ही ज्यादा है और आप निर्भय भी हैं। आप भय का नाश करने वाले, वायु की गति से चलने वाले तथा शक्तिशाली शरीर वाले हैं। आप स्वर्ग लोक की पहरेदारी करते हैं और इंद्र देव की हर आज्ञा का पालन करते हैं। आपकी यक्ष सेना बहुत ही विशाल है और आप युद्ध में उस सेना के सेनापति हैं।

महा योद्धा बन शस्त्र धारैं, युद्ध करैं शत्रु को मारैं।
सदा विजयी कभी ना हारैं, भगत जनों के संकट टारैं।
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता, पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता।
विश्रवा पिता इडविडा जी माता, विभीषण भगत आपके भ्राता।

अर्थ – आप युद्ध भूमि में महान योद्धा की भूमिका निभाते हैं और शत्रुओं को मार गिराते हैं। आप हमेशा ही युद्ध में विजयी रहते हैं और अपने भक्तों के संकटों को दूर कर देते हैं। आप ही अपने विधाता हैं और आपका जन्म पुलस्त्य ऋषि के वंश में हुआ है। महान ऋषि विश्रवा आपके पिता हैं तो इडविडा आपकी माता हैं। दूसरी ओर, श्रीराम के भक्त विभीषण आपके भाई हैं।

शिव चरणों में जब ध्यान लगाया, घोर तपस्या करी तन को सुखाया।
शिव वरदान मिले देवत्य पाया, अमृत पान करी अमर हुई काया।
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में, देवी देवता सब फिरैं साथ में।
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में, बल शक्ति पूरी यक्ष जात में।

अर्थ – आपने भगवान शिव के चरणों का ध्यान लगाकर उनकी घनघोर तपस्या की और इसमें आपने अपने शरीर को लगभग सुखा ही लिया। आपकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने आपको देवता बनने का आशीर्वाद दे दिया और आपको अमृत पान करवा कर अमर कर दिया। आपके साथ तो सभी देवी-देवता अपने हाथ में धर्म ध्वजा लेकर विचरण करते हैं। आप पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं और आपकी यक्ष जाति बहुत ही बलशाली है।

स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं, त्रिशूल गदा हाथ में साजैं।
शंख मृदंग नगारे बाजैं, गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं।
चौंसठ योगनी मंगल गावैं, ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं।
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं, यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं।

अर्थ – आप स्वर्ण के सिंहासन पर बैठते हैं और अपने हाथों में त्रिशूल व गदा पकड़ कर रखते हैं। आपके स्वागत में तो शंख, मृदंग व नगाड़े बजाये जाते हैं और उसकी धुन पर गंधर्व भजन गायन करते हैं। दूसरी ओर, चौसंठ योगिनियाँ मंगलगान करती हैं और रिद्धि-सिद्धि आपको प्रतिदिन भोग लगाती हैं। आपके सेवक आपके सिर पर छत्र करते हैं तो वहीं यक्ष-यक्षिनियाँ आपको चंवर करती हैं।

ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं, देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं।
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं, यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं।
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं, पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं।
नागों में जैसे शेष बड़े हैं, वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं।

अर्थ – जिस प्रकार ऋषि-मुनि में भगवान परशुराम बलशाली हैं, देवताओं में हनुमान शक्तिशाली हैं, मनुष्यों में भीम बलशाली हैं, ठीक उसी तरह यक्षों में आप वीर योद्धा हैं। जिस प्रकार भक्तों में प्रह्लाद की महिमा है, पक्षियों में गरुड़ देव महान हैं, नागों में शेषनाग सबसे बड़े हैं, ठीक उसी तरह आपकी भी महिमा बहुत ज्यादा है।

कांधे धनुष हाथ में भाला, गले फूलों की पहनी माला।
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला, दूर दूर तक होए उजाला।
कुबेर देव को जो मन में धारे, सदा विजय हो कभी न हारे।
बिगड़े काम बन जाएं सारे, अन्न धन के रहें भरे भण्डारे।

अर्थ – आपने अपने कंधों पर धनुष, हाथ में भाला व गले में पुष्पों की माला पहनी हुई है। आपके सिर पर सोने का मुकुट तथा शरीर बहुत ही विशाल है। आपके तेज से तो दूर-दूर तक प्रकाश फैल जाता है। जो कोई भी कुबेर देवता का ध्यान करता है, उसकी सदा विजय होती है। इसके साथ ही उसके सभी बिगड़े हुए काम बन जाते हैं तथा घर-परिवार में अन्न-धन के भंडार भर जाते हैं।

कुबेर गरीब को आप उभारैं, कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं।
कुबेर भगत के संकट टारैं, कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं।
शीघ्र धनी जो होना चाहे, क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं।
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं, दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं।

अर्थ – कुबेर देवता की कृपा से गरीब व्यक्ति को धन मिलता है, व्यक्ति का कर्ज उतर जाता है, भक्तों के संकट मिट जाते हैं तथा हमारे शत्रुओं का नाश हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति जल्दी धनवान बनना चाहता है तो उसे कुबेर देवता की पूजा करनी चाहिए। जो व्यक्ति इस कुबेर चालीसा का पाठ करता है या इसे पढ़वाता है तो उसके व्यापार में दुगुनी उन्नति देखने को मिलती है।

भूत प्रेत को कुबेर भगावैं, अड़े काम को कुबेर बनावैं।
रोग शोक को कुबेर नशावैं, कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं।
कुबेर चढ़े को और चढ़ादे, कुबेर गिरे को पुनः उठा दे।
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे, कुबेर भूले को राह बता दे।

अर्थ – कुबेर देवता भूत, प्रेत को भगा देते हैं, अटके हुए काम को बना देते हैं, बीमारियों व दुखों को दूर कर देते हैं तथा कूबड़ शरीर को ठीक कर देते हैं। कुबेर देवता की कृपा से सफल व्यक्ति को और सफलता मिलती है तथा हताश व्यक्ति को नयी दिशा मिलती है। उनकी कृपा से हमारा भाग्य बन जाता है तथा वे हमें सही मार्ग दिखाते हैं।

प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे, भूखे की भूख कुबेर मिटा दे।
रोगी का रोग कुबेर घटा दे, दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे।
बांझ की गोद कुबेर भरा दे, कारोबार को कुबेर बढ़ा दे।
कारागार से कुबेर छुड़ा दे, चोर ठगों से कुबेर बचा दे।

अर्थ – कुबेर देवता अपनी शक्ति से प्यासे को जल देते हैं, भूखे व्यक्ति को भोजन उपलब्ध करवाते हैं, रोगी व्यक्ति की बीमारी दूर कर देते हैं, दुखी लोगों के दुःख दूर करते हैं, बाँझ नारी को संतान प्रदान करते हैं, व्यापार में उन्नति करवाते हैं, कारावास से मुक्त करवाते हैं तथा चोरों व ठगों से हमारे धन की रक्षा करते हैं।

कोर्ट केस में कुबेर जितावै, जो कुबेर को मन में ध्यावै।
चुनाव में जीत कुबेर करावैं, मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं।
पाठ करे जो नित मन लाई, उसकी कला हो सदा सवाई।
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई, उसका जीवन चले सुखदाई।

अर्थ – जो कुबेर देवता का अपने मन में ध्यान करता है, उसे कोर्ट केस में जीत मिलती है। चुनावों में कुबेर देवता ही विजय दिलवाते हैं और उनकी ही कृपा से चुनाव जीते हुए व्यक्ति को मंत्रीपद मिलता है। जो कोई भी श्री कुबेर चालीसा का पाठ करता है, उसकी प्रसिद्धि बढ़ती ही जाती है। जिस किसी पर भी कुबेर भगवान प्रसन्न हो जाते हैं, वे उसके जीवन में सुख ही सुख भर देते हैं।

जो कुबेर का पाठ करावै, उसका बेड़ा पार लगावै।
उजड़े घर को पुनः बसावै, शत्रु को भी मित्र बनावै।
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई, सब सुख भोग पदार्थ पाई।
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई, मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई।

अर्थ – जो कोई भी कुबेर चालीसा का पाठ अपने घर में करवाता है, कुबेर देव उसका बेड़ा पार लगा देते हैं। वे उजड़े हुए घर को भी फिर से बसाने का कार्य करते हैं और शत्रुता को भी मित्रता में बदल देते हैं। जो भी कुबेर चालीसा की एक हज़ार पुस्तकों का दान करता है, उसे सभी प्रकार का सुख मिलता है। जो व्यक्ति अपने परिवार सहित कुबेर देवता की कीर्ति का वर्णन करता है, वह मृत्यु के पश्चात स्वर्ग लोक में निवास करता है।

॥ दोहा ॥

शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर।
हदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर॥

अर्थ – शिव भक्तों में मुख्य नाम यक्षों के राजा कुबेर का लिया जाता है जो शिव भक्तों की पंक्ति में सबसे आगे खड़े हैं। हे कुबेर देवता!! आप मेरे हृदय में ज्ञान का प्रकाश भर कर अज्ञानता का अँधेरा दूर कर दो। आप इस अँधेरे को दूर करने में अब बिल्कुल भी देरी मत कीजिये। मैं आपकी शरण में आया हुआ हूँ और अब आप मुझ पर अपनी दया की दृष्टि डालिए।