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Shri Ram Chalisa

।। चौपाई ।।

श्री रघुवीर भक्त हितकारी, सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।

अर्थ – हे रघुकुल के वीर योद्धा, हे भक्तों के हितों का ध्यान रखने वाले श्रीराम, हमारी प्राथना को सुने।

निशि दिन ध्यान धरै जो कोई, ता सम भक्त और नहिं होई।

अर्थ – जो भक्तगण दिन और रात केवल आपका ही ध्यान करते हैं, उनके समान कोई दूसरा भक्त नही है।

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं, ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं।

अर्थ – महादेव भी मन ही मन में आपका ध्यान करते हैं। भगवान ब्रह्मा व देव इंद्र भी पूरी तरह से आपकी महिमा को नही जान सके हैं।

जय जय जय रघुनाथ कृपाला, सदा करो सन्तन प्रतिपाला।

अर्थ – आप हमेशा संतों और धर्म की रक्षा करते हो, ऐसे रघुनाथ और सभी पर कृपादृष्टि रखने वाले श्रीराम की सदैव जय हो, जय हो, जय हो।

दूत तुम्हार वीर हनुमाना, जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना।

अर्थ – आपके दूत व सेवक वीर हनुमान हैं और उनका बल तीनों लोकों में किसी से भी छुपा हुआ नही है।

तव भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला, रावण मारि सुरन प्रतिपाला।

अर्थ – आपकी भुजाओं में अथाह शक्ति है लेकिन इससे आपने केवल विश्व का कल्याण ही किया है। आपने रावण जैसे राक्षस का वध कर देवताओं के हितों की रक्षा की है।

तुम अनाथ के नाथ गोसाईं, दीनन के हो सदा सहाई।

अर्थ – आप अनाथ लोगों को हमेशा आश्रय देते हो तथा दीनों-याचकों के सदैव सहायक रहे हो।

ब्रह्मादिक तव पार न पावैं, सदा ईश तुम्हरो यश गावैं।

अर्थ – भगवान ब्रह्मा भी आपसे आगे नही निकल सके और सभी भगवान आपके यश का गुणगान करते हैं।

चारिउ वेद भरत हैं साखी, तुम भक्तन की लज्जा राखी।

अर्थ – आपने हमेशा अपने भक्तों के सम्मान की रक्षा की है और इसके साक्षी चारों वेद हैं।

गुण गावत शारद मन माहीं, सुरपति ताको पार न पाहीं।

अर्थ – माँ शारदा भी मन ही मन आपका गुणगान करती हैं और देवलोक के राजा इंद्र भी आपको पार नही सके।

नाम तुम्हार लेत जो कोई, ता सम धन्य और नहिं होई।

अर्थ – जो भी भक्तगण आपके नाम का स्मरण करते हैं, उनके जैसा धन्य कोई और नही है।

राम नाम है अपरम्पारा, चारिउ वेदन जाहि पुकारा।

अर्थ – राम का नाम सभी का उद्धार करता है और इसी बात को चारों वेद भी कहते हैं।

गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों, तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों।

अर्थ – भगवान गणेश भी आपका नाम लेते हैं, उन्हें प्रथम पूजनीय आपने ही बनाया है।

शेष रटत नित नाम तुम्हारा, महि को भार शीश पर धारा।

अर्थ – शेषनाग भी नित्य आपके नाम का ही जाप करते हैं और इसी कारण वे पृथ्वी के भार को अपने ऊपर उठा पाने में सक्षम हैं।

फूल समान रहत सो भारा, पावत कोउ न तुम्हरो पारा।

अर्थ – आपके स्मरण मात्र से बड़ी से बड़ी दुविधा भी फूल के समान हल्की लगती है और आपकी संपूर्ण महिमा को कोई नही जान सकता।

भरत नाम तुम्हरो उर धारो, तासों कबहुं न रण में हारो।

अर्थ – आपके भ्राता भरत ने हमेशा आपके नाम का स्मरण किया है, इसी कारण उन्हें युद्ध में कोई नही हरा सका।

नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा, सुमिरत होत शत्रु कर नाशा।

अर्थ – शत्रुघ्न के हृदय में भी आपके नाम का ही प्रकाश है, इसलिए उनके स्मरण मात्र से ही शत्रुओं का नाश हो जाता है।

लषन तुम्हारे आज्ञाकारी, सदा करत सन्तन रखवारी।

अर्थ – आपके कर्मनिष्ठ भाई लक्ष्मण सदैव आपके आज्ञाकारी रहे हैं और इसी कारण उन्होंने संतों के अधिकारों की रक्षा की है।

ताते रण जीते नहिं कोई, युद्ध जुरे यमहूँ किन होई।

अर्थ – युद्ध में यदि स्वयं यमराज भी लड़ रहे हो तब भी उनसे (लक्ष्मण) कोई युद्ध नही जीत सकता था।

महालक्ष्मी धर अवतारा, सब विधि करत पाप को छारा।

अर्थ – जब आपने मृत्यु लोक पर मनुष्य रूप में अवतार लिया तब आपके साथ माँ लक्ष्मी भी मृत्युलोक पर आई और उन्होंने सब विधियों से पाप का नाश किया।

सीता राम पुनीता गायो, भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो।

अर्थ – इसलिए मात्र माँ सीता व श्रीराम का नाम लेने से ही माँ पृथ्वी अपना उचित प्रभाव दिखाती हैं।

घट सों प्रकट भई सो आई, जाको देखत चन्द्र लजाई।

अर्थ – माँ सीता ने जब इस मृत्यु लोक पर जन्म लिया तब वे एक घड़े से निकली थी और उन्हें देखकर स्वयं चंद्रमा भी शर्मा गए थे।

सो तुमरे नित पाँव पलोटत, नवों निद्धि चरणन में लोटत।

अर्थ – जो भक्त प्रतिदिन आपके चरणों को धोता है, नौ निधियां उसके चरणों में विराजती हैं।

सिद्धि अठारह मंगलकारी, सो तुम पर जावै बलिहारी।

अर्थ – अठारह सिद्धियाँ जो कि किसी के लिए भी मंगलकारी हैं, वे भी आप पर न्यौछावर हैं।

औरहु जो अनेक प्रभुताई, सो सीतापति तुमहिं बनाई।

अर्थ – अन्य जो भी देवी या देवता हैं वे सभी सीता माँ के पति भगवान श्रीराम ने ही बनाए हैं।

इच्छा ते कोटिन संसारा, रचत न लागत पल की वारा।

अर्थ – आपकी इच्छा मात्र से करोड़ो संसारों का निर्माण हो सकता है जिसमें एक क्षण भी नही लगेगा।

जो तुम्हरे चरणन चित लावै, ताको मुक्ति अवसि हो जावै।

अर्थ – जो भक्तगण आपके चरणों में ध्यान लगाता है, उसकी मुक्ति अवश्य ही होगी।

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा, निर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा।

अर्थ – हे प्रभु, आप प्रकाश के स्वरुप हो, आप सभी गुणों से रहित हो, आप ही ब्रह्म हो, आप अविभाजित हो, आप बहुत ही आकर्षक हो, आपकी सदैव जय हो, जय हो, जय हो।

सत्य सत्य सत्यव्रत स्वामी, सत्य सनातन अंतर्यामी।

अर्थ – आप ही सत्य हो, आप ही सत्य हो, आप ही सत्य के स्वामी हो, आप ही सनातन के सत्य हो, आप ही ईश्वर हो।

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै, सो निश्चय चारों फल पावै।

अर्थ – जो भी भक्तगण सच्चे मन से आपकी सेवा करता है। उसे चारों फलों की प्राप्ति होती है।

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं, तुमने भक्तिहिं सब सिद्धि दीन्हीं।

अर्थ – इसी सत्य की पालना माँ गौरी के पति भगवान शंकर ने की और इसी कारण आपने उन्हें सभी सिद्धियाँ प्रदान की।

सुनहु राम तुम तात हमारे, तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे।

अर्थ – हे श्रीराम, आप हमारे पिता समान हैं और आप ही संपूर्ण भारतवर्ष में पूजनीय हैं।

तुमहिं देव कुल देव हमारे, तुम गुरु देव प्राण के प्यारे।

अर्थ – हे श्रीराम! आप ही हमारे देवता व कुलदेवता हैं, आप ही हमारे गुरु हैं व आप ही हमारे लिए प्राणों से अधिक प्रिय हैं।

जो कुछ हो सो तुमहिं राजा, जय जय जय प्रभु राखो लाजा।

अर्थ – हे प्रभु श्रीराम! यदि हम पर कोई दुविधा या संकट आये तब आप ही उसका समाधान करेंगे। हे प्रभु! अपने भक्तों के सम्मान की रक्षा कीजिए, आपकी सदैव जय हो, जय हो, जय हो।

रामा आत्मा पोषण हारे, जय जय जय दशरथ के दुलारे।

अर्थ – हे श्रीराम! आप ही हमारी आत्मा को भोजन प्रदान करते हो अर्थात उसे तृप्त करते हो, आप ही राजा दशरथ के दुलारे पुत्र हो, आपकी सदैव जय हो, जय हो, जय हो।

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा, नमो नमो जय जगपति भूपा।

अर्थ – हे ज्ञान के दाता, मेरे हृदय में भी ज्ञान का प्रकाश भर दो, आप ही इस जगत के पिता हैं, आपको नमन, आपको नमन, आपकी जय हो।

धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा, नाम तुम्हार हरत संतापा।

अर्थ – हे श्रीराम! आपकी महिमा धन्य है, आप धन्य हैं, आप धन्य हैं, आपका नाम लेने मात्र से ही सभी संकट दूर हो जाते हैं।

सत्य शुद्ध देवन मुख गाया, बजी दुन्दुभी शंख बजाया।

अर्थ – आपकी सत्य और शुद्धता को देवताओं ने अपने मुख से गाया था और उसके बाद शंखनाद हुआ था।

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन, तुमहिं हो हमरे तन मन धन।

अर्थ – आप ही सनातन का सत्य हो, आप ही परम सत्य हो, आप ही हमारे लिए तन, मन व धन हो।

याको पाठ करे जो कोई, ज्ञान प्रकट ताके उर होई।

अर्थ – जो भी राम चालीसा का पाठ करता है, उसके हृदय में ज्ञान का प्रकाश होता है।

आवागमन मिटै तिहिं केरा, सत्य वचन माने शिव मेरा।

अर्थ – आपका नाम लेने से मनुष्य के जीवन चक्र का आवागमन मिट जाता है अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मेरी इस बात को स्वयं भगवान शिव भी मानते हैं।

और आस मन में जो होई, मनवांछित फल पावे सोई।

अर्थ – आपके भक्तों के मन में यदि कोई इच्छा होती है तो उसे भी मनचाहा फल प्राप्त होता है।

तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावैं, तुलसी दल अरु फूल चढ़ावैं।

साग पात्र सो भोग लगावैं, सो नर सकल सिद्धता पावैं।

अर्थ – जो तीनों समयकाल (दिन के तीनों प्रहर) में आपका स्मरण करता है, आपको तुलसी, पुष्प अर्पित करता है, आपको साग आदि का भोग लगाता है, उस मनुष्य को यश व सिद्धता प्राप्त होती है।

अन्त समय रघुवर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई।

अर्थ – अपने अंत समय में वह बैकुण्ठ में जन्म लेता है जहाँ जन्म लेने मात्र से ही वह हरि भक्त कहलाता है।

श्री हरिदास कहै अरु गावै, सो बैकुण्ठ धाम को जावैं।

अर्थ – श्री हरिदास भी गाते हुए यह कहते हैं कि वह बैकुण्ठ धाम को प्राप्त करता है।

।। दोहा ।।

सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।

हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय।।

अर्थ – जो सातों दिन तक आपके नाम का मन लगाकर पाठ करता है तो हरिदास कहते हैं कि उसे भगवान विष्णु की कृपा से भक्ति मिलती है।

राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।

जो इच्छा मन में करैं, सकल सिद्ध हो जाय।।

अर्थ – भगवान श्रीराम में ध्यान लगाकर जो भी यह राम चालीसा का पाठ करता है, उसके मन की हर इच्छा पूर्ण होती है।