bhai-dooj

Bhai Dooj

प्रमुख हिंदू त्योहारों में भाईदूज का भी बहुत महत्व है। भाईदूज (Bhai Dooj) का त्यौहार दिवाली के दो दिन बाद आता है।
इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाती है और यमराज से उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर प्रार्थना भी करती है।
स्कंदपुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से भक्तों को मनोवांछित फल मिलता है।

भाईदूज का धार्मिक महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार,कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना ने अपने भाई यम को आदर-सत्कार स्वरूप वरदान प्राप्त किया था, जिस वजह से भाईदूज (Bhai Dooj) को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, जो लोग इस दिन यमुना में स्नान करने के बाद यम की पूजा करते हैं, उन्हें यमराज की इच्छा के अनुसार मृत्यु के बाद यमलोक नहीं जाना पड़ता है।
सूर्य पुत्री यमुना सभी संकटों को दूर करने वाली देवी स्वरूपा मानी जाती हैं।
इसलिए यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में गोता लगाकर यमुना और यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है।
इस दिन छोटी बहन अपने छोटे भाई को तिलक करती है, हाथ जोड़कर यमराज से उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती है।
पुराणों के अनुसार इस दिन की पूजा से यमराज प्रसन्न होते हैं और सकारात्मक परिणाम देते हैं।

भाई यम और बहन यमुना से संबंधित है यह रोचक किस्सा

पौराणिक कथाओं के अनुसार यम अर्थात यमराज और उनकी बहन यमुना भगवान सूर्य और छाया की संतान हैं।
दोनों भाई-बहनों में बहुत प्यार था। हालाँकि, यमराज अपने काम में इतने व्यस्त थे कि उनके पास यमुना जाने का समय नहीं था।
जब बहुत देर तक यमराज नहीं मिले तो बहन यमुना क्रोधित हो गईं। एक दिन अचानक भाई यमराज अपनी बहन यमुना के पास पहुंचे।
अपने भाई को सामने देखकर यमुना बहुत प्रसन्न हुई। उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया थी।

यमुना ने भाई यम का बहुत आदर-सत्कार किया और विदाई के समय उन्हें एक नारियल दिया।
जब यम ने पूछा कि नारियल क्यों? तो यमुना ने कहा कि यह नारियल तुम्हें सदैव मेरी याद दिलाता रहेगा।

इसके बाद यमुना ने अपने भाई से वचन लिया कि चाहे वे कितने भी व्यस्त क्यों न हो, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यानी भैया दूज को मिलने अवश्य आएंगे।
यमराज ने बहन को आश्वासन दिया। मान्यता है कि तभी से भाई दूज (Bhai Dooj) के दिन भाई अपनी विवाहित बहन के घर टीका लगवाने जाते हैं।
बहन अपने भाई को नारियल का गोला भेंट में देती है।

भाई दूज पर ऐसे लगाएं तिलक

1. जब भाई के माथे पर तिलक लगाएं तो बड़े भाई का मुख उत्तर या उत्तर पश्चिम की ओर तथा बहन का मुख उत्तर पूर्व या पूर्व की ओर होना चाहिए।
2. भाई दूज (Bhai Dooj) की पूजा करते समय भाई को लकड़ी की चौकी पर बिठाना चाहिए , कुर्सी पर नहीं बैठना चाहिए और न ही खड़े होकर तिलक लगाना चाहिए।
3. टीका करने के बाद भाई की कलाई पर मौली धागा अवश्य बांधना चाहिए और आरती करनी चाहिए।
4. माना जाता है कि भाई दूज के दौरान शुभ समय पर तिलक किया जाता है।
5. बहनों को अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाने से पहले उपहार स्वीकार नहीं करना चाहिए।
6. भाई दूज के दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए।
7. भाई दूज (Bhai Dooj) के दौरान मांसाहारी भोजन से बचें।
8. आख़िरकार, यह एक धन्य दिन है, इसलिए भाइयों और बहनों को झगड़ा न करने का प्रयास करना चाहिए।

बहन हो तो जरूर करना चाह‍िए ये काम

अगर आपकी कोई बहन है तो भाई दूज (Bhai Dooj) के दिन भाई को घर भोजन नहीं करना चाहिए।
यदि बहन के पास पहुंचना संभव न हो सके तो गाय के समीप बैठकर भोजन करना चाह‍िए।
साथ ही भाई दूज के दिन किसी भी बहन को अपने भाई से और किसी भी भाई को अपनी बहन से झगड़ा नहीं करना चाहिए।

भाई दूज पर त‍िलक के बाद न भूलें ऐसा करना

भाई दूज (Bhai Dooj) में बहन को अपने भाई को तिलक लगाने से पहले कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।
इसका मतलब यह है कि जब तक भाई तिलक न कर लें तब तक उन्हें पानी नहीं पीना चाहिए।
भाई दूज में अपने छोटे भाई को तिलक लगाना और मिठाई खिलाना न भूलें। इस तरह आप दोनों के बीच प्यार और स्नेह बना रहेगा।
इसलिए इस दिन बहनों को वही खाना बनाना चाहिए जो उनके भाई ने चुना हो।
इससे भाई-बहन के बीच प्यार और स्नेह का बंधन मजबूत होता है।