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Chhath Pooja

मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव की पूजा के साथ-साथ गायत्री मंत्र का जाप करना भी शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य षष्ठी के दिन यदि कोई व्यक्ति सूर्य देव की पूजा करता है तो उसके जीवन की सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं।

यह व्रत भगवान सूर्य की पूजा से जुड़ा है। मान्यता के अनुसार सूर्य देव की पूजा के साथ-साथ गायत्री मंत्र का जाप करना भी शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य षष्ठी के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से न सिर्फ जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं बल्कि व्यक्ति का भाग्य भी चमक जाता है।

सूर्य देव को जगत के संरक्षक के रूप में अंतरिक्ष में रखा गया है। सूर्य देव का प्रकाश सभी जीवित चीजों और पौधों का पोषण करता है। इसलिए, जो भक्त इस दिन सूर्य देव की विधिवत पूजा करते हैं उन्हें संतान, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है।

सूर्य देव की शक्ति के बारे में वेद, पुराण, योग शास्त्र आदि में विस्तार से बताया गया है। सूर्य पूजा सदैव शुभ फलदायी होती है। इसलिए, जो कोई भी सूर्य षष्ठी के दिन सूर्य देव की पूजा करेगा उसे हमेशा दुखों से मुक्ति मिलेगी।

प्राचीन ग्रंथों में सूर्य को उपचारक तथा आत्मा और जीवन शक्ति का स्रोत माना गया है। कहा जाता है कि पुत्र संतान के लिए भी इस व्रत का महत्व बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को पूरी तरह से करता है, उसके बच्चों या उसके भविष्य पर कोई दुख नहीं होगा और उसका चरित्र उज्ज्वल हो जाएगा।

यदि इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाए तो पिता-पुत्र के बीच प्रेम बना रहता है। सूरज की रोशनी के बिना दुनिया में कुछ भी नहीं होता। सूर्य की किरणें जीवन का संचार करती हैं तथा प्राणियों में शक्ति एवं प्रकाश प्रकट करती हैं। सूर्य उपासना से शरीर स्वस्थ रहता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य षष्ठी के दिन व्रत करने से ना सिर्फ पुरानी बीमारियां दूर होती हैं बल्कि शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी बना रहता है।

जो लोग सूर्य की पूजा करते हैं और सूर्य षष्ठी का व्रत करते हैं उनके सभी रोग दूर हो जाते हैं। सूर्य चिकित्सा का प्रयोग आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों में किया जाता है। सूर्य षष्ठी के दिन सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति के मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है और व्यक्ति के जीवन से  किसी भी प्रकार का कलंक दूर हो जाता है।

शारीरिक कमजोरी, हड्डियों की कमजोरी और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं का इलाज धूप से किया जा सकता है। सूर्य को धूप देने और उसकी पूजा करने से शारीरिक त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा इस दिन सूर्य की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। 

छठ पूजा (Chhath Pooja) का विशेष महत्व

छठ पूजा (Chhath Pooja) करने से परिवार धन, पति, पुत्र, सुख-समृद्धि से संतुष्ट रहता है।यह उपवास करने से त्वचा और नेत्र रोगों से शीघ्र मुक्ति मिल जाती है। यह उपवास की सबसे कठिन अवधियों में से एक है। यह व्रत 36 घंटे तक चलता है, लेकिन निर्जला व्रत 24 घंटे से भी ज्यादा समय तक चलता है. छठे व्रत की शुरुआत कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि से शुरू होती है और सप्तमी के दिन सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने के साथ समाप्त होती है।

छठ पूजा (Chhath Pooja) मंत्र 

ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:, ॐ भानवे नम:, ॐ खगाय नम:, ॐ घृणि सूर्याय नम:, ॐ पूष्णे नम:, ॐ हिरण्यगर्भाय नम:, ॐ मरीचये नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ सवित्रे नम:, ॐ अर्काय नम:, ॐ भास्कराय नम:, ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

सूर्यदेव मंत्र

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते।।

सूर्य अर्घ्य विधि 

  • उगते या डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पानी में ही तीन बार परिक्रमा करें।
  • सूर्य देव को अर्घ्य देते समय “ओम सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • इस बात का विशेष ध्यान रखें कि सूर्य अर्घ्य के समय दोनों हाथ सिर से ऊपर हों।
  • यदि संभव हो तो सूर्य अर्घ्य के दौरान लाल वस्त्र पहनें।
  • अर्घ्य देने के लिए जल में रोली, गुलाब की पंखुड़ियां और  लाल रंग का फूल डालना शुभ रहेगा।
  • जल चढ़ाने के बाद धूप जलाएं और सूर्य देव की पूजा करें।
  • सूर्य देव को फल अर्पित करें और भोग लगाएं।
  • अंत में फलों को प्रसाद के रूप में परिवार के सदस्यों में बांट दें।

छठ पूजा (Chhath Pooja) का मुख्य प्रसाद

छठ पूजा (Chhath Pooja) का मुख्य प्रसाद केले और नारियल हैं। इस पर्व के महाप्रसाद को ठेकुआ भी कहा जाता है. यह ठेकुआ आटा, गुड़ और शुद्ध घी से बनाया जाता है. जो काफी मशहूर है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा को बहुत ही कठिन त्योहार माना जाता है। इस त्योहार के दौरान महिलाएं तीन दिनों तक निर्जला व्रत रखती हैं। छठ पूजा के दौरान छठ माता और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, जो भी जातक पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करती है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।