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Tulsi Vivah

इस वर्ष तुलसी विवाह 23 नवंबर को आयोजित किया जाएगा। देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) कराने की परंपरा है।
हिंदू धर्म में कार्तिक माह की एकादशी का बहुत महत्व है। इस एकादशी के दिन तुलसी का विवाह मनाया जाता है।
मान्यता है कि तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) करने से कन्या दान के समान फल मिलता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता तुलसी ने क्रोधित होकर भगवान विष्णु को चेतावनी दी थी कि वह एक काले पत्थर में बदल जायेंगे।
इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान ने शालिग्राम शिला के रूप में अवतार लिया।
शालिग्राम को भगवान विष्णु का अवतार और तुलसी को माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। तुलसी का विवाह एकादशी के दिन होता है।
ऐसा माना जाता है कि तुलसी माता की पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है।
तो आइए जानते हैं तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता को क्या चढ़ाएं और कैसे करें उनकी पूजा।

मां तुलसी का पूजा मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

भगवान विष्णु का मंत्र

ॐ नमोः नारायणाय नमः
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः

तुलसी विवाह का महत्व

सनातन धर्म में तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) का बड़ा धार्मिक महत्व है।
हर साल इस खास दिन पर तुलसी बिभा मनाया जाता है।
सभी भगवान कृष्ण मंदिरों को फूलों और रोशनी से सजाया गया है।
साथ ही देवी तुलसी के पौधे का 16 बार श्रृंगार किया जाता है जिसके बाद भगवान विष्णु शालिग्राम के रूप में मंत्रोच्चारण करते हुए मां तुलसी से विवाह करते हैं।
यह त्यौहार वृन्दावन, मथुरा और नाथद्वारा में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
इस विवाह समारोह को देखने के लिए कई भक्त प्रमुख स्थानों पर जाते हैं।
यह पवित्र त्योहार ब्रह्मांडीय संतुलन को बनाए रखता है और भक्त जीवन में पवित्रता, भक्ति और समृद्धि की कामना के साथ इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लेते हैं और देवी तुलसी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेते हैं।
इस शुभ दिन पर, जो भक्त व्रत रखते हैं और माता तुलसी के साथ श्री कृष्ण की पूजा करते हैं, उन्हें सभी बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है।

तुलसी को जल न चढ़ाएं

पूजा के दौरान हाथ में अक्षत लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके खड़े रहें और इसे भगवान विष्णु को अर्पित करें।
पंडित जी ने आगे बताया कि तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि तुलसी को जल न चढ़ाएं क्योंकि इस दिन देवी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

जितना हो सके तुलसी की परिक्रमा करें।

वहीं सभी महिलाओं को तुलसी जी के विवाह में तिल का प्रयोग करना चाहिए। जिस गमले में माता तुलसी ने पौधा लगाया हो, उस गमले में भगवान शिव के शालिग्राम को रखना चाहिए और तिल चढ़ाना चाहिए।
तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) के दौरान तुलसी के पौधे को 11 बार घुमाना चाहिए। इससे दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रह सकती हैं।