shri-khatu-shyam-ji-aarti

ॐ जय श्रीश्याम हरे, प्रभु जय श्रीश्याम हरे।
निज भक्तन के तुमने पूरण काम करे।।

अर्थ – हे श्याम बाबा!! आपकी जय हो। हे हम सभी के प्रभु!! आपकी जय हो। आपने अपने भक्तों के सभी तरह के काम पूरे किये हैं और उनका उद्धार किया है, इसलिए आपकी जय हो।

गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे।
पीत बसन पीताम्बर, कुण्डल कर्ण पड़े।।

अर्थ – आपने अपने गले में फूलों की माला पहनी हुई है और सिर पर मुकुट धारण किया हुआ है। आपने पीले रंग के वस्त्र पहने हुए हैं और कानो में कुंडल लटक रहे हैं।

रत्नसिंहासन राजत, सेवक भक्त खड़े।
खेवत धूप अग्नि पर, दीपक ज्योति जरे।।

अर्थ – आप तरह-तरह के रत्नों से जड़े हुए सिंहासन पर बैठे हुए हैं और आपकी सेवा में सभी भक्तजन खड़े हुए हैं। हम सभी धूप, दीप इत्यादि के द्वारा आपकी पूजा-अर्चना करते हैं।

मोदक खीर चूरमा, सुवर्ण थाल भरे।
सेवक भोग लगावत, सिर पर चंवर ढुरे।।

अर्थ – हम सभी आपकी पूजा करने के लिए थाली को लड्डुओं, खीर, चूरमा इत्यादि से भर देते हैं और सिर पर चंवर चढ़ा कर आपको इन सभी का भोग लगाते हैं।

झांझ, नागारा और घड़ियावल, शंख मृदंग घुरे।
भक्त आरती गावें, जय जयकार करे।।

अर्थ – आपकी पूजा में झांझ, नगाड़े, घड़ियावल, शंख, मृदंग बज रहे हैं। इसी के साथ सभी भक्तगण श्याम बाबा की आरती कर रहे हैं।

जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।
सेवक जब निज मुख से, श्रीश्याम श्याम उचरे।।

अर्थ – जो कोई भी श्याम बाबा का ध्यान करता है, उसके सभी तरह के दुःख मिट जाते हैं। सभी भक्तगण अपने मुहं से हमेशा श्याम-श्याम का नाम ही रटते रहते हैं।

श्रीश्याम बिहारीजी की आरती, जो कोई नर गावे।
गावत दासमनोहर, मन वांछित फल पावे।।

अर्थ – श्री श्याम बिहारी जी की आरती जो कोई भी व्यक्ति करता है, दासमनोहर के अनुसार, उसे अपनी इच्छा अनुसार फल की प्राप्ति होती है।