maa-siddhidatri-aarti

जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥

अर्थ — सिद्धिदात्री माता की जय हो। वे ही हमें आठों तरह की सिद्धियाँ प्रदान कर हमारा उद्धार करती हैं। सिद्धिदात्री माँ अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और अपने सेवकों की माता हैं। सिद्धिदात्री माता का नाम लेते ही हमें सिद्धियाँ मिल जाती है। उनका नाम लेने से हमारा मन भी शुद्ध हो जाता है और उसमे सकारात्मक विचार आते हैं।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है॥

अर्थ — यदि कोई कार्य दिखने में कठिन लग रहा है तो वह भी सिद्धिदात्री माँ की कृपा से बन जाता है। वे अपने भक्तों पर कृपा कर उनके बिगड़े काम भी बना देती हैं। हम बिना कोई चिंता किये सिद्धिदात्री माता की पूजा कर सकते हैं। वे ही माँ जगदंबा का रूप हैं जो सभी सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥

अर्थ — जो भक्तगण रविवार के दिन अपने घर में सिद्धिदात्री माता की मूर्ति रखकर सच्चे मन के साथ उनका ध्यान करते हैं और सिद्धिदात्री माता की आरती करते हैं, माँ उनके सभी काम बना देती हैं। उनका कोई भी काम अधूरा नहीं रहता है व सभी काम पूर्ण हो जाते हैं।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली॥

अर्थ — माँ सिद्धिदात्री ही महामाया का रूप हैं जो हम पर दया दिखाती हैं। वे अपने भक्तों पर ममता की छांव करती हैं और उनका उद्धार कर देती हैं। वे ही हमें सभी तरह की सिद्धियाँ प्रदान कर हमारा भाग्य बना देती हैं। जो भी मातारानी के द्वार पर याचना करता है, माँ उसका कल्याण कर देती हैं।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥

अर्थ — मां सिद्धिदात्री का मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य में महानंदा के नाम से है जो भक्तों के बीच लोकप्रिय है। हे मां सिद्धिदात्री!! मुझे केवल आपका ही सहारा है और अब आप ही अपने इस भक्त का कल्याण कर उद्धार कीजिये।