
अध्याय 1 – अर्जुनविषादयोग
श्लोक 13
ततः शंखाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखाः ।
सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत् ॥१३॥
हिंदी भावार्थ:
इसके बाद शंख, नगाड़े, डमरू, भेरी और गोमुख आदि अनेक वाद्ययंत्र एक साथ अचानक बज उठे। उस वादन की ध्वनि अत्यंत भयंकर और गगनभेदी हो गई।
व्याख्या / विस्तृत अर्थ:
इस श्लोक में युद्ध की शुरुआत का गंभीर और जोशीला वातावरण प्रस्तुत किया गया है। जैसे ही सेनाएँ युद्ध के लिए तैयार हुईं, विभिन्न प्रकार के वाद्ययंत्र – शंख, नगाड़े, डमरू, भेरी, और गोमुख – एक साथ अचानक बजने लगे। यह ध्वनि इतनी तेज और ऊर्जावान थी कि पूरा वातावरण गूंज उठा।
यह केवल शारीरिक युद्ध की तैयारी नहीं थी, बल्कि एक मानसिक और भावनात्मक उत्तेजना भी थी – सेनाओं में जोश भरने के लिए, शत्रु को डराने के लिए और युद्ध का बिगुल बजाने के लिए। यह दृश्य अत्यंत भव्य और भयंकर रहा होगा।
भावार्थ की दृष्टि से सीख:
यह श्लोक यह दिखाता है कि किसी भी युद्ध या चुनौती में प्रवेश से पहले मनोबल और आत्मविश्वास को जाग्रत करना अत्यंत आवश्यक होता है। जैसे युद्ध में वाद्ययंत्रों की ध्वनि सैनिकों में जोश भरती है, वैसे ही जीवन में भी हमारे लिए प्रेरणा और उत्साह के स्रोत बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।






