Press ESC to close

VedicPrayersVedicPrayers Ancient Vedic Mantras and Rituals

Shrimad Bhagavad Gita Chapter -1 Shalok – 14 | श्रीमद् भगवदगीता अध्याय एक – श्लोक चोदह | PDF

  • जुलाई 2, 2025

अध्याय 1 – अर्जुनविषादयोग

श्लोक 14

ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ ।
माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शंखौ प्रदध्मतुः ॥१४॥

हिंदी भावार्थ:

इसके बाद, सफेद घोड़ों से जुते हुए भव्य रथ में स्थित श्रीकृष्ण (माधव) और अर्जुन (पार्थ) — दोनों ने अपने-अपने दिव्य शंखों को बजाया।

गूढ़ व्याख्या / विस्तार से समझाइए:

इस श्लोक में युद्ध के प्रारंभ से पहले का शंखनाद दर्शाया गया है।

  • अर्जुन और श्रीकृष्ण दोनों ही विशेष, दिव्य रथ पर सवार हैं, जो सफेद घोड़ों से जुड़ा है। सफेद घोड़े शुद्धता, शक्ति और आत्मविश्वास के प्रतीक माने जाते हैं।
  • माधव यानी श्रीकृष्ण, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं, और पार्थ यानी अर्जुन — दोनों ने युद्ध की घोषणा के रूप में अपने दिव्य शंख बजाए।
  • यहाँ शंखनाद केवल शारीरिक या बाहरी संकेत नहीं है, बल्कि यह एक आत्मिक और धार्मिक आह्वान है।
  • दिव्यौ शंखौ” शब्द यह दर्शाता है कि ये साधारण शंख नहीं थे, बल्कि इनमें कोई विशेष दैवी शक्ति या महत्व था।

यह श्लोक युद्ध की गंभीरता, आध्यात्मिकता और नैतिकता को भी दर्शाता है — क्योंकि एक ओर जहाँ कौरव पक्ष में अनेकों शूरवीर थे, वहीं दूसरी ओर अर्जुन के साथ भगवान श्रीकृष्ण स्वयं सारथी के रूप में उपस्थित हैं, जो धर्म और न्याय के प्रतीक हैं।

Stay Connected with Faith & Scriptures

"*" आवश्यक फ़ील्ड इंगित करता है

declaration*
यह फ़ील्ड सत्यापन उद्देश्यों के लिए है और इसे अपरिवर्तित छोड़ दिया जाना चाहिए।