Press ESC to close

VedicPrayersVedicPrayers Ancient Vedic Mantras and Rituals

Shrimad Bhagavad Gita Chapter -1 Shalok – 18 | श्रीमद् भगवदगीता अध्याय एक – श्लोक अठारह | PDF

  • जुलाई 4, 2025

अध्याय 1 – अर्जुनविषादयोग

श्लोक 18

द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वशः पृथिवीपते ।
सौभद्रश्च महाबाहुः शंखान्दध्मुः पृथक्पृथक्‌ ॥१८॥

हिंदी भावार्थ:

हे पृथ्वी के स्वामी (धृतराष्ट्र)! राजा द्रुपद, द्रौपदी के पुत्र और बलवान सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु – इन सभी ने भी अलग-अलग अपने-अपने शंख बजाए।

गूढ़ व्याख्या / विस्तार:

इस श्लोक में संजय पांडव पक्ष के कुछ और महत्त्वपूर्ण योद्धाओं का वर्णन कर रहे हैं जो युद्ध के लिए तैयार हैं और अपने-अपने शंख बजाकर उत्साह और वीरता का प्रदर्शन कर रहे हैं।

  1. राजा द्रुपद – ये राजा थे और एक महान क्षत्रिय योद्धा। इनका शंख बजाना पांडव पक्ष की शक्ति को दर्शाता है।
  2. द्रौपदेय – ये द्रौपदी और पांडवों के पाँच पुत्र हैं (प्रतिविन्ध्य, सुतसोम, श्रुतकीर्ति, शतानिक और श्रुतसेन)। वे सभी भी युद्ध में भाग ले रहे थे और अपने अपने शंख बजा रहे थे, जिससे यह पता चलता है कि पांडवों की अगली पीढ़ी भी युद्ध के लिए तैयार है।
  3. सौभद्र (अभिमन्यु) – अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र, अत्यंत वीर और तेजस्वी योद्धा, जिसे महाभारत में चक्रव्यूह भेदन के लिए प्रसिद्धि मिली। ‘महाबाहुः’ शब्द यह बताता है कि वह अत्यंत शक्तिशाली और पराक्रमी था।

इन सभी योद्धाओं का शंख बजाना केवल युद्ध की घोषणा नहीं, बल्कि उनके उत्साह, संकल्प, आत्मबल और पांडव पक्ष की रणनीतिक संगठित शक्ति को भी दर्शाता है।

निष्कर्ष:

यह श्लोक यह स्पष्ट करता है कि पांडवों की सेना में केवल पांडव ही नहीं, बल्कि उनके सहयोगी, पुत्रगण और अगली पीढ़ी के योद्धा भी पूरे जोश, आत्मविश्वास और बल के साथ युद्ध के लिए कटिबद्ध हैं। यह धृतराष्ट्र के मन में पांडव पक्ष की ताकत को लेकर चिंता और भय पैदा करने वाला एक दृश्य है।

Stay Connected with Faith & Scriptures

"*" आवश्यक फ़ील्ड इंगित करता है

declaration*
यह फ़ील्ड सत्यापन उद्देश्यों के लिए है और इसे अपरिवर्तित छोड़ दिया जाना चाहिए।