
हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। ये न केवल धार्मिक आस्था को मजबूती देते हैं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मानसिक शांति का भी माध्यम बनते हैं। ऐसे ही एक अत्यंत पुण्यदायक व्रत का नाम है – भौम प्रदोष व्रत। प्रदोष व्रत वैसे तो प्रत्येक त्रयोदशी तिथि को आता है, परंतु जब यह मंगलवार के दिन पड़ता है, तो इसे ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहा जाता है। यह व्रत मुख्यतः भगवान शिव की आराधना हेतु किया जाता है और यह श्रद्धालु को अनेक प्रकार के भौतिक तथा आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।
भौम प्रदोष व्रत क्या है?
प्रदोष व्रत का पालन हर माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। यह व्रत “प्रदोष काल” में किया जाता है जो सूर्यास्त के बाद लगभग 1.5 घंटे का समय होता है। इस काल को भगवान शिव का प्रिय समय माना गया है।
जब प्रदोष व्रत मंगलवार को आता है तो इसे “भौम प्रदोष व्रत” कहते हैं। “भौम” का अर्थ है मंगलवार, जो कि मंगल ग्रह (Mars) से जुड़ा हुआ है। यह ग्रह शक्ति, साहस, रक्त, युद्ध, भूमि आदि से संबंधित माना गया है। इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ मंगल ग्रह की भी विशेष पूजा की जाती है।
भौम प्रदोष व्रत का महत्व
भौम प्रदोष व्रत अत्यंत प्रभावशाली और फलदायक माना जाता है। इसके निम्नलिखित आध्यात्मिक, धार्मिक एवं सामाजिक लाभ बताए गए हैं:
- ऋण और कर्ज से मुक्ति:
यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो किसी भी प्रकार के ऋण, कर्ज या आर्थिक संकट से ग्रसित हैं। मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत करने से जीवन से ऋण का बोझ धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है। भूमि विवादों का समाधान:
भौम ग्रह भूमि का कारक होता है। अतः यह व्रत भूमि-संबंधी विवाद, कोर्ट केस आदि में विजय पाने में सहायता करता है।स्वास्थ्य लाभ:
मंगल ग्रह शरीर में रक्त, मांसपेशियों और ऊर्जा का प्रतीक होता है। इसलिए भौम प्रदोष व्रत करने से रक्त विकार, उच्च रक्तचाप, और मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियाँ दूर होती हैं।शत्रु नाश एवं संकटों से रक्षा:
यह व्रत जीवन में आ रहे संकटों, बाधाओं और शत्रुओं से रक्षा करता है। भगवान शिव और मंगल ग्रह की कृपा से साधक निर्भय और साहसी बनता है।मानसिक शांति और आत्मिक बल:
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से चित्त शांत होता है, मन की चंचलता समाप्त होती है और साधक को आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्राप्त होता है।
भौम प्रदोष व्रत की कथा
भौम प्रदोष व्रत से जुड़ी एक प्राचीन कथा के अनुसार एक विधवा ब्राह्मणी का एकमात्र पुत्र किसी रोग से पीड़ित था। वह अत्यंत निर्धन थी और अपने पुत्र के लिए जीवनदान की कामना करती थी। एक दिन उसे किसी साधु ने भौम प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। उसने विधिपूर्वक यह व्रत किया और भगवान शिव की आराधना की। भगवान शिव उसकी श्रद्धा से प्रसन्न होकर उसके पुत्र को नया जीवन प्रदान किया और उसे स्वस्थ बना दिया।
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि भक्ति और श्रद्धा से किया गया यह व्रत असंभव को भी संभव बना सकता है।
भौम प्रदोष व्रत की विधि (व्रत कैसे करें?)
व्रत का संकल्प:
सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।- निर्जल व्रत या फलाहार:
श्रद्धा अनुसार व्रती दिनभर निर्जल रह सकते हैं या केवल फलाहार कर सकते हैं। - शिव पूजन की तैयारी:
घर को स्वच्छ करके शिवलिंग की स्थापना करें। बेलपत्र, जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें। धूप, दीप, अक्षत, पुष्प, चंदन आदि अर्पित करें। - मंगल ग्रह की शांति हेतु उपाय:
लाल रंग के वस्त्र, लाल चंदन, मसूर दाल, गुड़ आदि भगवान शिव को अर्पण करें। मंगलवार के दिन मंगल मंत्र का जाप करें:
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः। - प्रदोष काल में शिव पूजन:
सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में भगवान शिव का विशेष पूजन करें। शिव चालीसा, रुद्राष्टक, शिव तांडव स्तोत्र, अथवा महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें। - आरती और व्रत कथा:
भगवान शिव की आरती करें और भौम प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। ब्राह्मण भोजन और दान:
व्रत पूर्ण होने के बाद अगले दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं और वस्त्र, दक्षिणा, तांबा, लाल मसूर, गुड़ आदि का दान करें।
भौम प्रदोष व्रत में क्या न करें?
- झूठ बोलने से बचें।
- क्रोध, विवाद या अपवित्र व्यवहार से दूर रहें।
- मांस-मदिरा, प्याज-लहसुन आदि का सेवन न करें।
- रात को देर से भोजन न करें। संभव हो तो एक बार ही फलाहार करें।
भौम प्रदोष व्रत से जुड़े उपाय और टोटके
ऋण मुक्ति के लिए:
मंगलवार के दिन शिवलिंग पर मसूर दाल अर्पित करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।भूमि विवाद से मुक्ति के लिए:
तांबे के पात्र में जल, लाल फूल और गुड़ मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।स्वास्थ्य लाभ के लिए:
लाल चंदन और गंगाजल से शिव अभिषेक करें।शत्रु पर विजय पाने के लिए:
महामृत्युंजय मंत्र” का 108 बार जाप करें।
भौम प्रदोष व्रत के दिन क्या खाना चाहिए?
- फलाहार में फल, दूध, साबूदाना, मूंगफली, सिंघाड़ा आटा, आलू आदि का प्रयोग कर सकते हैं।
- सेंधा नमक का प्रयोग करें।
- ताजे और सात्विक भोजन का सेवन करें।
भौम प्रदोष व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है जो साधक को न केवल सांसारिक कष्टों से मुक्त करती है बल्कि आत्मिक बल भी प्रदान करती है। भगवान शिव की उपासना और मंगल ग्रह की शांति हेतु यह व्रत अत्यंत प्रभावी माना गया है। इसका नियमित पालन करने से जीवन में शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य, और सफलता प्राप्त होती है।
जो व्यक्ति भक्ति भाव से इस व्रत को करता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती