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Gauri Tapo Vrat | गौरी तपो व्रत किसे और कैसे करना चाहिए? | PDF

गौरी तपो व्रत विशेष रूप से अविवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है। यह व्रत देवी गौरी (जो भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के रूप में प्रसिद्ध हैं) की पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। अविवाहित महिलाएं इस व्रत को विशेष रूप से सुखमय जीवन साथी, विवाह के लिए योग्य वर, और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने के लिए करती हैं। इस व्रत का उद्देश्य देवी गौरी के आशीर्वाद से जीवन के सभी सुखों और सफलताओं की प्राप्ति करना होता है।

गौरी तपो व्रत का महत्व:

  1. विवाह के लिए उपयुक्त वर प्राप्ति: यह व्रत अविवाहित लड़कियां करती हैं, ताकि उन्हें जीवन साथी के रूप में एक अच्छा और योग्य वर मिले।
  2. सुखी दांपत्य जीवन की प्राप्ति: गौरी तपो व्रत से यह माना जाता है कि अविवाहित महिला को विवाह के बाद सुखी और शांतिपूर्ण दांपत्य जीवन की प्राप्ति होती है।
  3. आध्यात्मिक शांति और उन्नति: यह व्रत आस्था, तप, और साधना के माध्यम से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने में मदद करता है।
  4. देवी गौरी का आशीर्वाद: इस व्रत के माध्यम से देवी गौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो अविवाहित लड़कियों को पारिवारिक समृद्धि और खुशहाली के साथ जीवन साथी की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं।

गौरी तपो व्रत कैसे किया जाता है?

व्रत की विधि:

1. व्रत का संकल्प:

  • व्रत करने से पहले संकल्प लें और पूरे श्रद्धा भाव से इसे करने का मन बनाएं।
  • एक दिन पहले ही साफ-सफाई करके व्रत के लिए उपयुक्त स्थान चुनें।

2. उपवासी रहना:

  • इस व्रत के दौरान उपवासी रहना अनिवार्य है। अविवाहित महिलाएं इस दिन उपवास रखकर सिर्फ फलाहार (फल, दूध, और शाकाहारी भोजन) का सेवन करती हैं।
  • यह उपवास मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए किया जाता है।

3. पूजा विधि:

  • व्रति को देवी गौरी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में देवी गौरी की तस्वीर या मूर्ति को शुद्ध करके उनकी पूजा करें।
  • देवी गौरी को फूल, बेलपत्र, चंदन, धूप, दीपक, फल, जल और मिष्ठान अर्पित करें।
  • गौरी स्तोत्र का पाठ और गौरी तपो व्रत कथा का श्रवण करें।
  • व्रति को “ॐ गौरी शंकराय नमः” जैसे मंत्रों का जाप करना चाहिए।

4. ध्यान और प्रार्थना:

  • व्रति को ध्यान करते हुए देवी गौरी से विवाह के लिए एक अच्छा वर प्राप्त करने और जीवन में सुख, समृद्धि, और मानसिक शांति की प्रार्थना करनी चाहिए।
  • प्रार्थना में यह भी कहा जाता है कि देवी गौरी उनके जीवन में प्रेमपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण विवाह का आशीर्वाद दें।

5. दान और समाज सेवा:

  • पूजा के बाद दान देने की परंपरा है। इस दिन कुछ न कुछ गरीबों को भोजन या वस्त्र दान करना चाहिए।
  • व्रत के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और उन्हें आशीर्वाद देना भी उत्तम माना जाता है।

गौरी तपो व्रत के लाभ:

  1. विवाह योग्य वर की प्राप्ति: यह व्रत अविवाहित महिलाओं को एक योग्य और अच्छा जीवन साथी प्राप्त करने में मदद करता है।
  2. सुखी और शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन: देवी गौरी के आशीर्वाद से विवाह के बाद सुखी जीवन प्राप्त होता है।
  3. आध्यात्मिक शांति: यह व्रत मानसिक शांति, समृद्धि, और आत्मिक उन्नति की प्राप्ति करता है।
  4. परिवार में सुख-शांति: इस व्रत से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  5. संतान सुख: यह व्रत संतान सुख की कामना करने वाली महिलाओं के लिए भी लाभकारी होता है।

गौरी तपो व्रत करने के कुछ विशेष नियम:

  • इस दिन व्रति को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत करना चाहिए।
  • व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए और न ही शराब या तामसिक भोजन लेना चाहिए।
  • व्रत करने वाली महिला को शांति और भक्ति भाव से पूजा करनी चाहिए और देवी गौरी से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करनी चाहिए।
  • व्रत का पालन करते हुए किसी भी प्रकार की हिंसा या क्रोध से बचना चाहिए।

गौरी तपो व्रत अविवाहित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे वे देवी गौरी से विवाह के लिए अच्छा वर प्राप्त करने और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति के लिए करती हैं। यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति का भी स्रोत है, साथ ही यह देवी गौरी के आशीर्वाद से जीवन में सुख और समृद्धि को आकर्षित करने में मदद करता है।

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