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यह शिव स्तुति भगवान शिव के विराट और अनंत स्वरूप की मधुर अभिव्यक्ति है। इसमें उनके विभिन्न नामों, गुणों और लीलाओं का उल्लेख किया गया है, जो शिव भक्तों के हृदय को भक्ति से भर देता है।
स्तुति में “आशुतोष” के रूप में उन्हें जल्दी प्रसन्न होने वाला कहा गया है, तो “शशांक शेखर” के रूप में वह मस्तक पर चंद्रमा धारण करने वाले हैं। “दिगंबर” के रूप में उनकी सादगी और त्याग झलकता है, और “त्रिलोचन” के रूप में उनकी दिव्य दृष्टि का गुणगान होता है।
|| शिव स्तुति ||
श्लोक 1:
आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा ॥
अर्थ: हे आशुतोष (जल्दी प्रसन्न होने वाले), हे शशांक (चंद्रमा) को मस्तक पर धारण करने वाले शेखर! हे चंद्रमौली और चिदंबर निवास करने वाले प्रभु, आपको कोटि-कोटि प्रणाम। हे शंभू (कल्याणकारी) और दिगंबर (जो आकाश को वस्त्र मानते हैं), आपको बार-बार नमन।
श्लोक 2:
निर्विकार ओमकार अविनाशी,
तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता,
शिवम सत्यम सुंदरा ॥
अर्थ: हे निर्विकार (निर्दोष) और ओंकार स्वरूप अविनाशी भगवान! आप ही देवताओं के अधिपति हैं। आप इस जगत के सर्जक (रचनाकार) और प्रलयकर्ता (विनाशक) हैं। आप शिव (कल्याणकारी), सत्य (सच्चाई) और सुंदरता के परम प्रतीक हैं।
श्लोक 3:
निरंकार स्वरूप कालेश्वर,
महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय,
जटाधार अभयंकरा ॥
अर्थ: हे निराकार स्वरूप वाले कालेश्वर (समय के स्वामी), आप महायोगी के रूप में पूजनीय हैं। आप दया और दान के भंडार हैं। जय हो जटाधारी (जटा धारण करने वाले) और अभयंकर (भय को नष्ट करने वाले) महादेव की।
श्लोक 4:
शूल पानी त्रिशूल धारी,
औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय,
विश्वनाथ विशम्भरा ॥
अर्थ: हे शूलपाणी (त्रिशूल धारण करने वाले), औघड़ रूप वाले और बाघंबर (बाघ की खाल) धारण करने वाले प्रभु! जय हो महेश (महान ईश्वर), त्रिलोचन (तीन नेत्रों वाले), और विश्वनाथ (संसार के स्वामी) भगवान शंकर की।
श्लोक 5:
नाथ नागेश्वर हरो हर,
पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले,
सदा शिव शिव संकरा ॥
अर्थ: हे नाथ नागेश्वर (सर्पों के स्वामी), पाप और अभिशाप के अंधकार को हरने वाले महादेव, आपकी जय हो। आप महान और भोलेनाथ हैं। हे सदा शिव, शिव संकर! आपकी हमेशा जय हो।
श्लोक 6:
जगत पति अनुरकती भक्ति,
सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब,
जय जयति जगदीश्वरा ॥
अर्थ: हे जगत के स्वामी, मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि मेरी भक्ति और प्रेम हमेशा आपके चरणों में बनी रहे। मेरे सभी अपराध क्षमा करें। जय हो जगदीश्वर (संसार के ईश्वर) की।
श्लोक 7:
जनम जीवन जगत का,
संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन,
जपता रहे पञ्चाक्षरा ॥
अर्थ: हे प्रभु, जन्म, जीवन, और इस संसार के सारे कष्टों और तापों को हर लें। मेरा मन “ॐ नमः शिवाय” (पंचाक्षर मंत्र) का सदा जाप करता रहे।
श्लोक 8 (दोहराव):
आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा ॥
अर्थ: हे आशुतोष, शशांक शेखर (चंद्रमौलि), और चिदंबर निवासी प्रभु! कोटि-कोटि प्रणाम। हे शंभू और दिगंबर, आपको बार-बार नमन।
समाप्ति:
1. कोटि नमन दिगम्बरा..
2. कोटि नमन दिगम्बरा..
3. कोटि नमन दिगम्बरा..
अर्थ: हे दिगंबर भगवान, आपको अनंत बार नमन।
|| हर हर महादेव ||
शिव स्तुति करने के क्या फायदे हैं?
शिव स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह भगवान शिव की कृपा पाने का एक माध्यम है और उनके प्रति अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट करने का सरल और प्रभावी तरीका है। आइए इसे करने के लाभों को विस्तार से समझें:
1. मानसिक शांति और तनाव मुक्ति
- शिव स्तुति का पाठ करते समय “ओम नमः शिवाय” जैसे मंत्रों का उच्चारण मन को शांत करता है।
- यह मन की बेचैनी, तनाव और नकारात्मक विचारों को दूर करके एकाग्रता और आत्मिक शांति प्रदान करता है।
2. शिव की कृपा और जीवन में सकारात्मकता
- भगवान शिव “आशुतोष” (जल्दी प्रसन्न होने वाले) हैं। उनके प्रति श्रद्धा से की गई स्तुति तुरंत फलदायी होती है।
- जीवन में चल रही बाधाओं और परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है।
3. नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा
- शिव की स्तुति न केवल मानसिक बल्कि ऊर्जात्मक सुरक्षा भी प्रदान करती है।
- यह व्यक्ति को बुरी नजर, शत्रुओं के दुष्प्रभाव और नकारात्मक शक्तियों से बचाने में सहायक होती है।
4. कर्म सुधार और अच्छे परिणाम
- शिव को “कर्मफल दाता” माना जाता है। उनकी स्तुति से व्यक्ति अपने बुरे कर्मों के प्रभाव को कम कर सकता है।
- अच्छे कर्मों के लिए प्रोत्साहन मिलता है, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
5. स्वास्थ्य लाभ
- शिव के ध्यान और स्तुति से मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है।
- यह शरीर को तनाव और चिंता से मुक्त करके शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद करता है।
6. आध्यात्मिक उन्नति
- शिव स्तुति आत्मा को जागृत करती है और व्यक्ति को अपने वास्तविक स्वरूप (आत्मा) से जोड़ती है।
- यह ध्यान और साधना में गहराई लाने का एक प्रभावी तरीका है।
7. धन, समृद्धि और सौभाग्य
- शिव की स्तुति से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- जीवन में सफलता और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
8. परिवार में शांति और सुख
- शिव को “विश्वनाथ” कहा गया है, यानी वे सभी के स्वामी और रक्षक हैं। उनकी स्तुति करने से परिवार में शांति, प्रेम और समृद्धि बनी रहती है।
9. शिव दोष और ग्रह दोषों से मुक्ति
- यदि किसी की कुंडली में शिव दोष या अन्य ग्रह दोष हों, तो शिव की स्तुति और उनकी आराधना उन दोषों को दूर करने में सहायक होती है।
- यह जीवन में आने वाली अनचाही परेशानियों को खत्म करता है।
10. मोक्ष की प्राप्ति
- शिव की स्तुति आत्मा को मोक्ष (मुक्ति) के मार्ग पर ले जाती है।
- यह जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
कैसे करें शिव स्तुति का पाठ?
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ मन से शिवलिंग के सामने या शिव की मूर्ति के समक्ष स्तुति का पाठ करें।
- “ओम नमः शिवाय“ मंत्र का जाप करते रहें।
- शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और भस्म अर्पित करें।
- पूजा के अंत में शिव की आरती करें और प्रार्थना में अपने मन की बात रखें।
शिव स्तुति व्यक्ति के जीवन को हर प्रकार से बेहतर बनाती है। यह भगवान शिव की कृपा और भक्ति का प्रतीक है। इसे नियमित रूप से करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है। शिव स्तुति मात्र शब्द नहीं, यह जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलने वाला दिव्य उपाय है।
|| हर हर महादेव ||