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Shri Banke Bihari Lal Ji Ki Aarti | श्री बांके बिहारी लाल जी की आरती | PDF

Shri Banke Bihari Lal Ji Ki Aarti

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
 हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं । 

अर्थ – “श्री बांके बिहारी (Shri Banke Bihari), मैं आपकी आरती गाता हूँ, हे गिरिधर, मैं आपकी आरती गाता हूँ।”

मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे ।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं । 

अर्थ – “मोर मुकुट प्यारे श्री कृष्ण के शीर्ष पर रहता है, और उनकी प्यारी बांसुरी मेरे मन को मोह लेती है। मैं उनकी छवि को देख कर निछावर होने के लिए तैयार हूँ।”

चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी ।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं । 

अर्थ – “मेरी प्यारी  गंगा माँ  भगवान की पदकमल से उत्पन्न हुई हैं, जिन्होंने सारी दुनिया को पावन किया है। मैं उनके चरणों का दर्शन करना चाहता हूँ।”

दास अनाथ के नाथ आप हो,
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो ।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं ।

अर्थ  – “आप हैं दासों के अनाथों के नाथ, आपके साथ हमारे जीवन में सुख-दुःख है। हम हमेशा आपके पादों में शीर्ष करते हैं।”

श्री हरीदास के प्यारे तुम हो ।
मेरे मोहन जीवन धन हो। देख युगल छवि बलि बलि जाऊं । 

अर्थ  – “श्री हरीदास के प्रिय, आप मेरे प्यारे मोहन हैं, आप ही मेरा जीवन और धन हैं। मैं युगल रूप की छवि को देखकर बलि चढ़ाने के लिए तैयार हूँ।”इस आरती के शब्द भक्ति और प्रेम की भावना को व्यक्त करते हैं और श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं।

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