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विनायकी गणेश चतुर्थी प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि भगवान श्री गणेश को समर्पित होती है और विशेष रूप से उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उपवास, पूजा और मंत्र जाप किए जाते हैं। हालाँकि, भाद्रपद मास में आने वाली गणेश चतुर्थी सबसे प्रमुख होती है, लेकिन मासिक विनायकी चतुर्थी भी भक्तों के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
विनायकी गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
इस दिन गणपति बप्पा की विधि-विधान से पूजा करने से समस्त विघ्न-बाधाओं का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं पूजा की संपूर्ण विधि:
1. व्रत एवं स्नान
- प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- व्रत का संकल्प लें और भगवान गणेश का स्मरण करें।
2. पूजन सामग्री का संग्रह
पूजा के लिए आवश्यक सामग्रियों में निम्नलिखित चीजें शामिल होती हैं:
- गणेश जी की मूर्ति या चित्र
- फूल (विशेष रूप से दूर्वा घास)
- रोली, चंदन, अक्षत (चावल)
- मोदक या लड्डू
- धूप-दीप
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
- सुपारी, नारियल
- पीला वस्त्र
- जल से भरा कलश
3. पूजा की प्रक्रिया
- स्थान शुद्धि: पूजा स्थल को साफ कर लें और भगवान गणेश की मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित करें।
- आवाहन एवं स्थापना: गणेश जी का आह्वान करें और मूर्ति पर जल छिड़ककर शुद्ध करें।
- संकल्प: पूजा का संकल्प लें और अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
- अभिषेक: पंचामृत से भगवान गणेश का अभिषेक करें और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएँ।
- श्रृंगार: भगवान गणेश को रोली, अक्षत, चंदन, और पुष्प अर्पित करें।
- भोग अर्पण: भगवान को मोदक, लड्डू और अन्य मिठाइयाँ अर्पित करें।
- आरती: धूप और दीप जलाकर गणेश जी की आरती करें।
- मंत्र जाप: गणपति मंत्रों का जाप करें और गणेश स्तुति का पाठ करें।
विनायकी गणेश चतुर्थी का महत्व
- विघ्नहर्ता की कृपा: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं। इस दिन उनकी पूजा करने से जीवन में आने वाली समस्याएँ दूर होती हैं।
- बुद्धि एवं ज्ञान का आशीर्वाद: गणेश जी को बुद्धि और विवेक का दाता माना जाता है। विद्यार्थी एवं विद्वान इस दिन विशेष रूप से गणपति जी की पूजा करते हैं।
- समृद्धि एवं सौभाग्य: व्यापारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है क्योंकि गणेश जी समृद्धि के दाता भी हैं।
- पारिवारिक सुख: इस दिन गणेश जी की आराधना करने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
- कार्यों में सफलता: यदि कोई नया कार्य शुरू करना चाहता है, तो विनायकी गणेश चतुर्थी पर पूजा करने से कार्य सिद्धि होती है।
विनायकी गणेश चतुर्थी के मंत्र
इस दिन निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है:
1. गणेश मूल मंत्र
“ॐ गं गणपतये नमः”
यह मंत्र सभी कार्यों में सफलता के लिए जपा जाता है।
2. गणेश गायत्री मंत्र
“ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।”
यह मंत्र बुद्धि, विवेक और ज्ञान की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली है।
3. गणपति बीज मंत्र
“गं गं गं गणपतये नमः”
यह मंत्र विशेष रूप से विघ्न नाश के लिए जपा जाता है।
4. गणेश तांत्रिक मंत्र
“ॐ ह्रीं ग्रीं ह्रीं”
इस मंत्र का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
5. गणेश स्तुति मंत्र
“वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।”
इस मंत्र का जाप करने से जीवन के समस्त कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होते हैं।
विनायकी गणेश चतुर्थी पर विशेष उपाय
- मोदक का भोग: इस दिन गणेश जी को मोदक अर्पित करने से सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
- दूर्वा अर्पण: गणेश जी को 21 दूर्वा अर्पित करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- पीले वस्त्र धारण करें: यह रंग गणेश जी को प्रिय है और इसे धारण करने से शुभ फल मिलता है।
- 108 बार मंत्र जाप: किसी भी गणपति मंत्र का 108 बार जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- सफेद या पीले फूल चढ़ाएँ: गणपति पूजा में सफेद एवं पीले रंग के फूल चढ़ाने से समृद्धि बढ़ती है।
- गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें: इस दिन गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
विनायकी गणेश चतुर्थी एक अत्यंत शुभ तिथि है जो भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम मानी जाती है। इस दिन की गई पूजा से बुद्धि, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। जो भी श्रद्धालु इस दिन पूरे विधि-विधान से गणपति की आराधना करता है, उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। गणपति बप्पा मोरया!