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Shri Balaji Aarti

ॐ जय हनुमत वीरा स्वामी जय हनुमत वीरा,
संकट मोचन स्वामी तुम हो रणधीरा।।ॐ।।

अर्थ – हे भक्त हनुमान और शंकर भगवान के अवतार!! आप बहुत बलवान हो, आप हम सभी के स्वामी हो और आपकी जय हो। आप सभी के संकटों को दूर कर देते हो और आप युद्ध भूमि में विजयी हो।

पवन-पुत्र अंजनी-सुत महिमा अति भारी,
दुःख दरिद्र मिटाओ संकट सबहारी।।ॐ।।

अर्थ – आप पवन देव के पुत्र हो और अंजनी माता के गर्भ से जन्म लिए हुए हो। आप हम सभी के दुःख, दरिद्रता, संकट सब मिटा दो अर्थात उन्हें दूर कर दो।

बाल समय में तुमने रवि को भक्ष लियो,
देवन स्तुति कीन्ही तब ही छोड़ दियो।।ॐ।।

अर्थ – अपने बाल रूप में आपने सूर्य देव को अपने मुख में ले लिया था और तब देवताओं की विनती पर आपने उन्हें छोड़ा था।

कपि सुग्रीव राम संग मैत्री करवाई,
बाली बली मराय कपीसहिं गद्दी दिलवाई।।ॐ।।

अर्थ – आपने वानर रूप में किष्किन्धा नरेश बालि द्वारा निष्कासित उनके छोटे भाई सुग्रीव की मित्रता प्रभु श्रीराम से करवायी थी। इसके फलस्वरूप ही उन्हें किष्किन्धा की राजगद्दी पुनः प्राप्त हुई थी।

जारि लंक को ले सिय की सुधि वानर हर्षाये,
कारज कठिन सुधारे रघुवर मन भाये।।ॐ।।

अर्थ – आपने समुंद्र पार करके माता सीता का पता लिया और लंका को जलाकर भस्म कर दिया। यह एक बहुत ही कठिन कार्य था लेकिन इसे करके आपने रघुवर अर्थात प्रभु श्रीराम के मन को जीत लिया था।

शक्ति लगी लक्ष्मण के भारी सोच भयो,
लाय संजीवन बूटी दुःख सब दूर कियो।।ॐ।।

अर्थ – लक्ष्मण-मेघनाद युद्ध में मेघनाद ने लक्ष्मण पर शक्तिबाण का प्रहार किया था जिससे वे मुर्छित हो गए थे। इससे संपूर्ण वानर दल में हाहाकार मच गया था। तब आपने वैद्य सुषेन के कहने पर वायु से भी तेज गति से उड़ कर संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की थी।

ले पाताल अहिरावण जबहि पैठि गयो,
ताहि मारि प्रभु लाये जय जयकार भयो।।ॐ।।

अर्थ – जब अहिरावण नामक राक्षस श्रीराम व लक्ष्मण को षड़यंत्र के तहत उठा कर पाताल लोक ले गया था तब आपने अपने पंचमुखी रूप से दोनों को वहां से बंधन मुक्त किया था और अहिरावण का वध कर दिया था।

घाटे मेंहदीपुर में शोभित दर्शन अति भारी,
मंगल और शनिश्चर मेला है जारी।।ॐ।।

अर्थ – आपने राजस्थान के मेहंदीपुर में अवतार लिया है और आपके दर्शन करने दूर-दूर से भक्त आते हैं। वहां पर हर मंगलवार व शनिवार को मेला लगता है।

श्री बालाजी की आरती जो कोई नर गावे,
कहत इन्द्र हर्षित मन वांछित फल पावे।।ॐ।।

अर्थ – जो कोई भी भक्तगण सच्चे मन से बालाजी महाराज की आरती करता है, इंद्र देव कहते हैं कि उसे अपनी इच्छानुसार फल की प्राप्ति होती है।