maa-shailputri-aarti

Maa Shailputri Aarti

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी॥

अर्थ — शैलपुत्री माता की सवारी बैल है। ऐसे में बैल की पूजा करने पर शैलपुत्री माता भी प्रसन्न होती हैं। सभी देवी-देवता शैलपुत्री देवी की जय-जयकार कर रहे हैं। माँ शैलपुत्री भगवान शिव शंकर को बहुत ही प्रिय हैं और वही भवानी का रूप हैं। कोई भी पूर्ण रूप से शैलपुत्री माता के रहस्य को नहीं जान पाया है।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू॥

अर्थ — शैलपुत्री माता को ही पार्वती व उमा के नाम से जाना जाता है। जो भी शैलपुत्री माँ का ध्यान करता है, उसे सुखों की प्राप्ति होती है। मां शैलपुत्री अपने भक्तों को रिद्धि-सिद्धि प्रदान करती हैं। इसी के साथ ही शैलपुत्री मां की ही कृपा से हमारे घर में सुख-संपत्ति आती है और हम धनवान बन जाते हैं।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो॥

अर्थ — सोमवार के दिन शैलपुत्री माता की आरती शिवजी के साथ की जाती है। इस दिन जो भी भक्तगण शिवजी व शैलपुत्री माता की आरती करते हैं, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। यदि उसके जीवन में कोई दुःख या पीड़ा है तो वह भी दूर हो जाते हैं।

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं॥

अर्थ — हम सभी माता शैलपुत्री की आरती करते समय उनके चित्र या मूर्ति के सामने घी का दीपक प्रज्ज्वलित करते हैं, उन्हें नारियल गिरी का भोग लगाते हैं, श्रद्धा भाव के साथ शैलपुत्री मंत्र का उच्चारण करते हैं तथा प्रेम भाव से उनके सामने अपना सिर झुकाते हैं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो॥

अर्थ — शैलपुत्री माता जो कि गिरिराज, किशोरी व अम्बे के नाम से भी जानी जाती हैं, उनकी जय हो। शैलपुत्री माता चंद्रमा जैसे मुख वाले शिवजी के मुख को हमेशा निहारती रहती हैं। हे शैलपुत्री मां!! अब आप हमारी सभी मनोकामनाओं को पूरा कर दीजिये और अपने भक्तों की झोली को सुख-संपत्ति से भर दीजिये।