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Anant Chaturdshi 2024 | अनंत चतुर्दशी: गणपति जी की विदाई और भगवान विष्णु जी की अनंत लीला | PDF

अनंत चतुर्दशी  हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और गणपति विसर्जन के लिए प्रसिद्ध है। अनंत चतुर्दशी का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से अत्यधिक महत्व है।

अनंत चतुर्दशी का महत्व:

1. भगवान विष्णु की पूजा:

– यह पर्व मुख्य रूप से भगवान विष्णु के “अनंत” रूप को समर्पित है, जिसका अर्थ है “असीम” या “अनंत”। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा कर उनसे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्रार्थना करते हैं।
– इस दिन भक्त अनंत व्रत का पालन करते हैं, जिसमें 14 वर्षों तक व्रत करने का संकल्प लिया जाता है। पूजा के बाद एक पवित्र धागा, जिसे अनंत सूत्र कहा जाता है, हाथ में बांधा जाता है, जो भगवान की कृपा और सुरक्षा का प्रतीक है।

2. गणेश विसर्जन:

– अनंत चतुर्दशी का दिन गणेश चतुर्थी के 10 दिवसीय उत्सव का समापन भी होता है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।
– भक्त गणेश जी को विदाई देते हुए नाचते-गाते हैं और उन्हें जल में विसर्जित करते हैं, यह प्रार्थना करते हुए कि गणपति अगले वर्ष फिर से आएं। इस विदाई के समय “गणपति बप्पा मोरया, अगले वर्ष तू जल्दी आ” के जयकारे लगाए जाते हैं।

अनंत चतुर्दशी पर पूजा और अनुष्ठान:

1. अनंत व्रत:

– भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं।
– पूजा में धूप, दीप, फूल और प्रसाद के साथ-साथ विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें से अनंत प्रसाद प्रमुख होता है, जिसे चावल, दूध और शक्कर से बनाया जाता है।
– पूजा के बाद, अनंत सूत्र बांधा जाता है, जो जीवन में सुख-समृद्धि और भगवान विष्णु की कृपा को दर्शाता है।

2. गणेश विसर्जन:

– गणपति विसर्जन की धूमधाम पूरे देश, विशेषकर महाराष्ट्र में, बड़े हर्षोल्लास से मनाई जाती है। भक्त गणेश की मूर्तियों को सजाते हैं और बड़े जुलूसों के साथ उन्हें जल में विसर्जित करते हैं।
– विसर्जन का यह अनुष्ठान सृजन और विनाश के चक्र का प्रतीक है, और यह आशा की जाती है कि भगवान गणेश अगले वर्ष फिर से आएंगे और भक्तों को आशीर्वाद देंगे।



अनंत चतुर्दशी की कथा:

इस दिन से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा राजा सुषेण और उनकी पत्नी दीक्षा  की है। कथा के अनुसार, राजा सुषेण को अनंत सूत्र के कारण असीम समृद्धि प्राप्त हुई, लेकिन उनकी पत्नी के अविश्वास के कारण उनकी समृद्धि समाप्त हो गई। बाद में दीक्षा ने अपनी गलती को महसूस किया और अनंत व्रत का पालन किया, जिसके परिणामस्वरूप राजा का राज्य फिर से समृद्ध हो गया। यह कथा अनंत व्रत की महिमा को दर्शाती है और इस व्रत को धारण करने वालों को जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

क्षेत्रीय उत्सव:

महाराष्ट्र में अनंत चतुर्दशी का मुख्य आकर्षण गणेश विसर्जन है, जिसमें विशाल जुलूसों के साथ गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।
उत्तर भारत में इस दिन को भगवान विष्णु की पूजा और अनंत व्रत के रूप में मनाया जाता है, जहां मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है।

2024 में अनंत चतुर्दशी:

2024 में अनंत चतुर्दशी का पर्व  17 सितंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह दिन भक्ति, आस्था, और आनंद का प्रतीक है, जो भगवान की अनंत कृपा और सृजन-प्रलय के चक्र को दर्शाता है।

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