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Shrimad Bhagavad Gita Chapter -1 Shalok – 9 | श्रीमद् भगवदगीता अध्याय एक – श्लोक नौ | PDF

  • जून 26, 2025

अध्याय 1 – अर्जुनविषादयोग

श्लोक 9

अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः ।
नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः ॥९॥

हिंदी भावार्थ:

(दुर्योधन कहता है)
और भी अनेक वीर योद्धा हैं जो मेरे लिए अपने प्राणों का त्याग करने को तैयार हैं, वे विभिन्न प्रकार के शस्त्रों से सुसज्जित हैं और सभी युद्ध-कला में निपुण हैं।

सरल व्याख्या / गूढ़ अर्थ:

इस श्लोक में दुर्योधन अपने गुरु द्रोणाचार्य को अपनी सेना की शक्ति का बखान कर रहा है। वह यह बताना चाहता है कि उसकी ओर से केवल कुछ प्रमुख योद्धा ही नहीं, बल्कि बहुत सारे ऐसे योद्धा भी हैं जो उतने ही पराक्रमी, वीर और समर्पित हैं।

  • वह कहता है कि ये सभी योद्धा मेरे लिए लड़ने को तैयार हैं और यदि आवश्यकता पड़ी तो अपने जीवन की आहुति देने से भी नहीं हिचकिचाएँगे।
  • ये योद्धा विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से लैस हैं, जैसे तलवार, भाला, धनुष-बाण आदि।
  • और सबसे महत्वपूर्ण बात – ये सभी युद्ध की रणनीति और कौशल में निपुण हैं, यानी वे केवल बलिष्ठ नहीं, चतुर योद्धा भी हैं।

यह श्लोक दुर्योधन की आत्ममुग्धता और अपने पक्ष की युद्ध-शक्ति में अत्यधिक विश्वास को दर्शाता है। वह यह जताना चाहता है कि उसकी सेना किसी भी दृष्टि से पांडवों से कमजोर नहीं है।

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