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Maa Chandraghanta 2025 – Navratri 3rd Day | नवरात्रि का तीसरा दिन – माँ चंद्रघंटा | PDF

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नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माँ चंद्रघंटा का यह रूप शक्ति, साहस, और युद्ध का प्रतीक है। उनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, जिसके कारण उन्हें “चंद्रघंटा” कहा जाता है। उनका यह रूप अत्यंत सौम्य और शांत होते हुए भी राक्षसों का नाश करने के लिए क्रोधित रूप धारण करता है।

माँ चंद्रघंटा का स्वरूप

  • रूप: माँ चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकदार है।
  • मस्तक पर चंद्र: उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, जो उनकी पहचान का प्रमुख प्रतीक है।
  • असली रूप: माँ के दस हाथ हैं, जिनमें वे अस्त्र-शस्त्र जैसे धनुष, बाण, तलवार, त्रिशूल, गदा आदि धारण करती हैं।
  • सवारी: माँ चंद्रघंटा का वाहन सिंह है, जो उनके वीरता और पराक्रम को दर्शाता है।
  • ध्वनि: जब माँ युद्ध में राक्षसों का नाश करती हैं, तब उनके घंटे की ध्वनि से असुर भयभीत हो जाते हैं।

माँ चंद्रघंटा के पूजन का महत्व

  • शक्ति और साहस का संचार – माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भय, शत्रु और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।
  • शांति और सौम्यता – इनका स्वरूप शांतिप्रिय है, इसलिए भक्तों को मन की शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  • आत्मबल और आत्मविश्वास – माँ की आराधना से साधक में आत्मबल और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
  • नकारात्मक शक्तियों का नाश – माँ चंद्रघंटा की कृपा से नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं का नाश होता है।
  • सुख-समृद्धि और सफलता – माँ का आशीर्वाद पाने से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।

माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्ध वस्त्र: सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा के लिए स्थान को साफ और पवित्र करें।
  2. कलश स्थापना: पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें और उसमें जल भरकर आम के पत्ते, सुपारी, सिक्का और नारियल रखें।
  3. माँ चंद्रघंटा का ध्यान और आवाहन: माँ चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र के सामने ध्यान लगाकर उनका आवाहन करें। उनका शांत रूप ध्यान में रखें और उनसे सुरक्षा, शक्ति, और साहस की कामना करें।
  4. सफेद फूल और अक्षत: पूजा में सफेद फूल, अक्षत (चावल), और कुमकुम अर्पित करें।
  5. मंत्र जप: माँ चंद्रघंटा के निम्न मंत्र का जप करें:
    • ध्यान मंत्र:
      पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
      प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघंटेति विश्रुता॥
    • मूल मंत्र:
      ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।
  6. भोग: माँ को दूध और उससे बने व्यंजन, जैसे खीर या दूध से बनी मिठाइयाँ अर्पित करें।
  7. आरती: पूजा के अंत में माँ की आरती गाएं और घी का दीपक जलाकर आरती करें।

माँ चंद्रघंटा की कथा

माँ चंद्रघंटा की कथा उनके साहस और शक्ति का प्रतीक है। जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह किया, तो वे इसी रूप में प्रकट हुईं। विवाह के समय भगवान शिव बारात के रूप में अपने गणों और अघोरी साधुओं के साथ आए, जिन्हें देखकर पार्वती की माता घबरा गईं। तब माँ पार्वती ने अपना चंद्रघंटा रूप धारण किया और शिव जी को उनके भयानक रूप से शांत किया, ताकि उनका विवाह अच्छे ढंग से संपन्न हो सके। इसके बाद उन्होंने संसार में शांति स्थापित करने के लिए इस रूप में असुरों का संहार किया।

माँ चंद्रघंटा का ध्यान मंत्र

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढ़ा चंद्रघंटा यशस्विनीम्॥

माँ चंद्रघंटा का स्तोत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माँ चंद्रघंटा का आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम॥

सभी सुखों को प्रदान करने वाली चंद्रघंटा माता की जय हो। हे चंद्रघंटा माँ!! आप मेरे सभी बिगड़े हुए काम बना दीजिये।

पूजा का उद्देश्य और लाभ

  • नवरात्रि में माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक के जीवन में साहस, पराक्रम, और निडरता का विकास होता है।
  • वे अपने भक्तों की हर प्रकार की बाधा और भय से रक्षा करती हैं।
  • उनकी कृपा से मानसिक शांति, आत्मबल, और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • माँ चंद्रघंटा की उपासना से भक्त के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का संचार होता है।
  • माँ चंद्रघंटा की पूजा से साधक का मणिपुर चक्र जागृत होता है, जो आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।

उपासना का फल

नवरात्रि में माँ चंद्रघंटा की कृपा से साधक को अपने कार्यों में सफलता, युद्ध या कठिन परिस्थितियों में विजय, और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।

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