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Maa Siddhidatri 2025 – Navratri 9th Day | नवरात्रि का नौवां दिन – माँ सिद्धिदात्री | PDF

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नवरात्रि के नौवें दिन माँ दुर्गा के नवें स्वरूप माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माँ सिद्धिदात्री को सिद्धियों की दात्री माना जाता है। वे सम्पूर्ण सिद्धियों और शक्तियों की प्रतीक हैं, और उनके आशीर्वाद से भक्त सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त कर सकते हैं। उनकी उपासना से व्यक्ति की इच्छाएँ पूरी होती हैं और जीवन में हर प्रकार की सफलता मिलती है।

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप

  • रूप: माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और सुंदर है। उनका रंग स्वर्ण के समान है, जो उनकी दिव्यता को दर्शाता है।
  • हाथों में शस्त्र: माँ के चार हाथ हैं, जिनमें वे शक्ति, ज्ञान, और भक्ति का प्रतीक देने वाले अस्त्र धारण करती हैं, जैसे कमल, त्रिशूल, और गदा।
  • सवारी: माँ सिद्धिदात्री का वाहन शेर या बाघ है, जो उनकी शक्ति और पराक्रम को दर्शाता है।

माँ सिद्धिदात्री की कथा

माँ सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व तब बढ़ जाता है जब भक्त को अपने जीवन में सिद्धियों की प्राप्ति करनी होती है। माँ सिद्धिदात्री ने सिद्धियों की प्राप्ति के लिए तपस्या की थी। यह माना जाता है कि जब देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया, तब उन्होंने सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट होकर सम्पूर्ण सिद्धियाँ प्राप्त कीं। उनके आशीर्वाद से भक्त अपने सभी कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्ध वस्त्र: सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को पवित्र करें।
  2. कलश स्थापना: माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र के सामने एक कलश स्थापित करें, जिसमें गंगाजल, सुपारी, सिक्का, और नारियल रखें।
  3. फूल और कुमकुम: माँ को लाल या सफेद फूल, कुमकुम (विराम) और अक्षत (चावल) अर्पित करें।
  4. मंत्र जप: पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जप करें:
    • ध्यान मंत्र:
      शुद्धं ज्ञानं च धर्मज्ञं सिद्धिदात्री महेश्वरी।
      शरणं तव नित्यमेव माता महागौरी भवे॥
    • मूल मंत्र:
      ॐ देवी सिद्धिदात्री नमः॥
  5. भोग अर्पण: माँ सिद्धिदात्री को भोग में फल, मिठाई या खीर अर्पित करें।
  6. आरती: पूजा के अंत में माँ की आरती गाएं और दीपक जलाकर आरती करें।

माँ सिद्धिदात्री का ध्यान मंत्र

शुद्धं ज्ञानं च धर्मज्ञं सिद्धिदात्री महेश्वरी।
शरणं तव नित्यमेव माता महागौरी भवे॥

माँ सिद्धिदात्री का स्तोत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

पूजा का उद्देश्य और लाभ

  • माँ सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ और शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
  • उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।
  • उनकी कृपा से मानसिक शांति, आत्मबल, और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • माँ सिद्धिदात्री की उपासना से साधक का सहस्त्रार चक्र जागृत होता है, जिससे आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।

उपासना का फल

नवरात्रि में माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को जीवन में हर कार्य में सफलता, सिद्धियाँ, और मानसिक शांति प्राप्त होती है। उनकी उपासना से भक्त का जीवन सुख, शांति, और समृद्धि से परिपूर्ण होता है।

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