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Guru Purnima 2025 | जानें तिथि, इस दिन के उपाय, और प्राप्त होने वाले लाभ | PDF

Guru Purima 2025

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्य अपने गुरुओं का आदर और सम्मान करते हैं, उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह शिष्य को अपने गुरु से आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शन प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। गुरु का आशीर्वाद शिष्य के जीवन में ज्ञान, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।

जानें कहां मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा का सबसे बड़ा उत्सव:

गुरु पूर्णिमा का उत्सव भारत में और विशेष रूप से धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों में व्यापक रूप से मनाया जाता है। इस दिन गुरु के आशीर्वाद लेने और उनकी पूजा करने की परंपरा है। शिष्यों द्वारा गुरु को फूल, फल, वस्त्र आदि अर्पित किए जाते हैं और उनके चरणों में प्रणाम किया जाता है।गुरु पूर्णिमा भारत के विभिन्न भागों में धूमधाम से मनाई जाती है। विशेष रूप से निम्नलिखित स्थानों पर यह पर्व बड़े पैमाने पर मनाया जाता है:

  1. व्यास पूजा के स्थान: विशेष रूप से हरिद्वार, ऋषिकेश और काशी जैसे धार्मिक स्थलों पर यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
  2. आध्यात्मिक और योग केंद्र: पतंजलि योगपीठ, आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम, और विभिन्न मठों में इस दिन विशेष कार्यक्रम होते हैं।
  3. शिक्षण संस्थान: गुरुकुल और अन्य शिक्षा संस्थानों में भी यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जहां विद्यार्थी अपने अध्यापकों का सम्मान करते हैं।
  4. साई बाबा के मंदिर: शिरडी और अन्य साई बाबा के मंदिरों में भी गुरु पूर्णिमा का उत्सव बड़े पैमाने पर होता है।

गुरु पूर्णिमा के दिन करने योग्य 10 कार्य जिनसे लाभ होगा:

  1. गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करें: अपने गुरु के चरणों में प्रणाम करें और उनका आशीर्वाद लें। इससे जीवन में शांति और सफलता मिलती है।
  2. व्रत रखें: इस दिन व्रत रखने से मन और शरीर की शुद्धि होती है। यह आत्मसंयम और अनुशासन को बढ़ावा देता है।
  3. पूजा और हवन करें: गुरु की पूजा और हवन करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  4. ध्यान और साधना करें: ध्यान और साधना का अभ्यास करें। यह मानसिक शांति और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति में सहायक होता है।
  5. शास्त्रों का अध्ययन करें: धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों का अध्ययन करें। यह आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ाता है।
  6. दान-पुण्य करें: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और समाज में सद्भावना बढ़ती है।
  7. गौ सेवा करें: गायों की सेवा करें और उन्हें भोजन कराएं। इससे कष्टों का निवारण होता है और सुख-समृद्धि मिलती है।
  8. सत्संग में भाग लें: सत्संग और प्रवचनों में भाग लें। इससे आत्म-ज्ञान और भक्ति की वृद्धि होती है।
  9. गुरु के उपदेशों का पालन करें: गुरु के उपदेशों और शिक्षाओं का पालन करें। इससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
  10. स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण करें: अपने आस-पास की सफाई करें और पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करें। इससे स्वास्थ्य में सुधार होता है और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है।

इस दिन न करें ये कार्य:

  1. झूठ बोलना या किसी को धोखा देना।
  2. अपने गुरु या शिक्षक के विरुद्ध अनुशासन या अनदेखी करना।
  3. किसी भी विधि से विवाद करना या आलोचना करना।
  4. अनैतिक कार्यों में शामिल होना।
  5. अपने परिवार या समाज के सदस्यों के प्रति अभद्र व्यवहार करना।
  6. बुरी संगत के साथ समय बिताना।
  7. भगवान के प्रति श्रद्धा न रखना या पूजन में विश्वास नहीं रखना।
  8. धर्मान्तरण या धर्म से संबंधित विवादों में प्रवृत्त होना।
  9. अनिष्ट कर्म या दुष्कर्म करना।
  10. गरीब व असहाय लोगों की मदद न करना।

इस दिन ध्यान रखने योग्य विशेषताएँ:

यह दिन गुरु और शिक्षा के महत्व को स्वीकार करने का उत्कृष्ट अवसर होता है। हमें गुरु की पूजा, स्मरण, और सेवा में समर्पित रहना चाहिए। इस दिन हमें अपने जीवन में उनके उपदेशों को अमल में लाने का प्रयास करना चाहिए और उनका आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। विचार-विमर्श करने, ध्यान और साधना में लगने के माध्यम से हम अपनी आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। इस दिन को सम्मान और श्रद्धांजलि के साथ मनाकर हम गुरुओं के प्रति अपनी आजीविका में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को याद रख सकते हैं।

गुरु पूर्णिमा का दिन एक महत्वपूर्ण अवसर है जब हमें गुरुओं की महिमा और उनके उपदेशों के महत्व को समझने का अवसर प्राप्त होता है। गुरु पूर्णिमा पर हमें गुरु का सम्मान करना, उनकी पूजा करना, उनके शिक्षाओं का आदर करना चाहिए। इस दिन हम गुरु के उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लाने का प्रयास करते हैं, जिससे हमारी आध्यात्मिक और व्यक्तिगत उन्नति हो।

गुरु पूर्णिमा के दिन हमें उनके आशीर्वाद का अवलोकन करना चाहिए और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए ताकि हम अपने जीवन में सफलता और संतोष की ओर अग्रसर हो सकें। इस दिन को विचार-विमर्श, ध्यान और साधना के साथ बिताने से हम अपने मार्गदर्शक गुरु के प्रति अपना समर्पण दिखा सकते हैं। गुरु पूर्णिमा हमें एक नई प्रेरणा और दिशा देता है जिससे हम अपने आत्मविश्वास को बढ़ाकर जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति कर सकते हैं।

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