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Hartalika Teej 2025 | हरतालिका तीज का धार्मिक महत्व और कथा | PDF

Hartalika Teej 2025

हरतालिका तीज एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जिसे मुख्य रूप से विवाहित और कुंवारी महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए मनाती हैं। इस व्रत को भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की कथा से जोड़ा जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर महीने में पड़ता है।

2025 में, यह पर्व  26 अगस्त को मनाया जाएगा। उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, और मध्य प्रदेश में इसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है।

हरतालिका तीज की पौराणिक कथा

हरतालिका तीज की कथा देवी पार्वती और भगवान शिव के मिलन की एक प्रेरणादायक कहानी है। देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।

उनके पिता, हिमालय, ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था, जिससे असंतुष्ट होकर पार्वती जी अपनी सखी के साथ घने जंगल में चली गईं।

वहां उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।

इस कथा के अनुसार ही इस व्रत का नाम “हरतालिका” पड़ा, जिसमें “हर” का अर्थ होता है ‘हरना' और “तालिका” का अर्थ होता है ‘सखी'। इसलिए यह दिन महिला शक्ति और उनके संकल्प की प्रतीक है।

हरतालिका तीज व्रत की विधि

हरतालिका तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जिसमें वे पूरे दिन बिना जल और भोजन के रहती हैं। व्रत को सही तरीके से करने के लिए कुछ विशेष विधियां और परंपराएं हैं जिनका पालन करना अनिवार्य होता है।

  1. प्रातःकालीन स्नान और शुद्धि: व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन प्रातः जल्दी उठकर गंगा स्नान या घर पर ही पवित्र स्नान करती हैं। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं।
  2. पूजा की तैयारी: पूजा के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियां या चित्र स्थापित किए जाते हैं। इन्हें फूलों और आभूषणों से सजाया जाता है। पूजा की थाली में कुमकुम, हल्दी, चंदन, धूप, दीप, फल, फूल, नारियल, और मिठाई रखी जाती है।
  3. व्रत कथा का पाठ: हरतालिका तीज की पूजा में व्रत कथा सुनना या पढ़ना अनिवार्य माना जाता है। इस कथा का महत्व इसलिए है क्योंकि यह महिलाओं को देवी पार्वती के त्याग और तपस्या की कहानी से प्रेरित करती है।
  4. रात्रि जागरण: व्रत के दौरान महिलाएं पूरी रात जागरण करती हैं। इस समय वे भजन-कीर्तन करती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करती हैं। माना जाता है कि जागरण से व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
  5. सोलह श्रृंगार: इस दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, जो उनके सुहाग के प्रतीक होते हैं। इसमें बिंदी, सिंदूर, चूड़ियां, बिछिया, मेंहदी, काजल आदि शामिल हैं। यह श्रृंगार उनके पति की लंबी आयु और उनके संबंधों में मिठास बनाए रखने के लिए किया जाता है।
  6. व्रत का पारायण: अगले दिन प्रातःकाल पूजा करने के बाद व्रत का पारायण किया जाता है। इस दौरान महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की आरती उतारती हैं और प्रसाद ग्रहण करती हैं। इस दिन कुमकुम, मेहंदी और सुहाग की सामग्री का वितरण भी किया जाता है।

हरतालिका तीज के दिन क्या करें ?

  1. स्नान और शुद्धि: इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शारीरिक और मानसिक शुद्धि का विशेष ध्यान रखें।
  2. निर्जला व्रत: व्रत को निर्जला रखा जाता है, जिसमें महिलाएं पूरे दिन और रात बिना पानी पीए रहती हैं। यह व्रत पूरी श्रद्धा और भक्ति से किया जाना चाहिए।
  3. पूजा और आराधना: भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करें। उनकी मूर्तियों को फूलों और आभूषणों से सजाएं। पूजा की थाली में कुमकुम, हल्दी, चंदन, धूप, दीप, फल, फूल, और मिठाई रखें।
  4. कथा का पाठ: हरतालिका तीज की कथा सुनना या पढ़ना अनिवार्य है। इससे व्रत का महत्व और बढ़ जाता है और यह पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  5. रात्रि जागरण: इस दिन पूरी रात जागरण करके भगवान शिव और माता पार्वती का स्मरण करें। भजन-कीर्तन करें और पूजा स्थल पर ध्यान केंद्रित करें।
  6. सोलह श्रृंगार: विवाहित महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार करें और अपने सुहाग की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करें।

हरतालिका तीज के दिन क्या न करें ?

  1. अन्न और जल का सेवन: इस दिन किसी भी प्रकार का अन्न और जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। यह व्रत निर्जला रहकर ही करना चाहिए।
  2. किसी का अपमान न करें: इस दिन किसी से कटु शब्दों का प्रयोग न करें और सभी से विनम्रता से व्यवहार करें।
  3. क्रोध और द्वेष से बचें: व्रत के दौरान क्रोध और द्वेष जैसी नकारात्मक भावनाओं से बचें। यह दिन शांति और संयम का प्रतीक है।
  4. विवाद से बचें: परिवार या समाज में किसी भी प्रकार के विवाद से दूर रहें। इस दिन का उद्देश्य शांति और संतुलन बनाए रखना है।
  5. पूजा में लापरवाही न करें: पूजा विधि को श्रद्धा और सही तरीके से करें, किसी प्रकार की लापरवाही न करें। पूजा का महत्व तभी होता है जब वह सही तरीके से की जाए।

हरतालिका तीज का व्रत महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत न केवल उनके पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है, बल्कि यह उनके परिवार की सुख-समृद्धि और शांति के लिए भी महत्वपूर्ण होता है।

कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। इस व्रत में श्रद्धा, भक्ति और संयम का विशेष महत्व है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

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