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Karwa Chauth Vrat 2025 | करवा चौथ – व्रत कथा, मुहूर्त और पूजा नियम | PDF

  • Vrat
  • अक्टूबर 9, 2025

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करवा चौथ एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जिसे सुहागिन महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए उपवास रखकर मनाती हैं। यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत, खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है।

2025 में चौथ का व्रत कब है?

2025 में करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025 को होगा।

संकेत:

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 09 अक्टूबर, रात 10:54 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्ति: 10 अक्टूबर, शाम 07:38 बजे

करवा चौथ का महत्त्व

करवा चौथ का व्रत वैवाहिक जीवन में प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत का धार्मिक और सामाजिक दोनों ही महत्त्व है:

  • धार्मिक महत्त्व: हिंदू धर्म में इस व्रत को बहुत पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ के व्रत से पति की उम्र लंबी होती है और उनके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
  • सामाजिक महत्त्व: करवा चौथ एक सामाजिक पर्व भी है जहाँ महिलाएँ एकत्रित होकर इस त्योहार को धूमधाम से मनाती हैं। यह आपसी मेल-मिलाप, एकता और सौहार्द का प्रतीक है।

 

करवा चौथ की कथा

एक समय की बात है एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्री अपने भाइयों की इकलौती बहन थी इस वजह से उसे सभी भाई बहुत प्रेम करते थे। एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को साहूकार की पत्नी समेत उसकी सातों बहुओं और पुत्री ने भी करवा चौथ का व्रत रखा।….आगे पढ़े

करवा चौथ पूजा विधि

1. व्रत की तैयारी:
  • महिलाएँ सूर्योदय से पहले सरगी (विशेष भोजन) करती हैं, जिसे उनकी सास तैयार करती हैं।
  • सरगी में फल, मिठाइयाँ, और सूखे मेवे होते हैं, जिससे दिन भर ऊर्जा बनी रहती है।
2. दिनभर का व्रत:
  • सरगी के बाद महिलाएँ दिनभर निर्जल व्रत रखती हैं। वे न तो कुछ खाती हैं और न ही पानी पीती हैं।
3. शाम की पूजा:
  • सूर्यास्त के समय महिलाएँ सज-धजकर एकत्रित होती हैं और करवा चौथ की कथा सुनती हैं।
  • मिट्टी से बना करवा (मटका) सजाया जाता है और उसमें पानी भरकर रखा जाता है।
  • चंद्रमा के दर्शन के बाद महिलाएँ छलनी के माध्यम से चाँद और अपने पति का चेहरा देखती हैं, फिर करवा से जल अर्पित करती हैं और अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
4. व्रत तोड़ने की विधि:
  • चंद्रमा के दर्शन के बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाते हैं और भोजन कराते हैं, जिससे व्रत टूटता है।

सरगी का महत्त्व

सरगी वह विशेष भोजन है जो सास अपनी बहू को व्रत से पहले सुबह देती है। इसे ब्रह्म मुहूर्त में खाया जाता है ताकि दिनभर ऊर्जा बनी रहे। सरगी में फल, मिठाई, सेवईं, और परांठे होते हैं, जो पौष्टिक होते हैं और पूरे दिन की भूख और प्यास को संतुलित करते हैं।

करवा चौथ पर क्या करें

  1. सुबह सरगी ग्रहण करें – सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गई सरगी खाएँ।
  2. सोलह श्रृंगार करें – सुहागिन महिलाएँ इस दिन पारंपरिक वेशभूषा, श्रृंगार व मंगल चिह्न (सिंदूर, चूड़ी, बिंदी आदि) धारण करें।
  3. पूजा सामग्री तैयार रखें – करवा, दीपक, कलश, मिट्टी का दीया, छलनी, मिठाई और साज-सज्जा की वस्तुएँ समय पर तैयार कर लें।
  4. करवा चौथ कथा वाचन करें – शाम को पूजा के समय करवा चौथ की व्रत कथा सुनना या पढ़ना जरूरी है।
  5. करवा चौथ का व्रत रखें – सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत का पालन करें।
  6. चाँद को अर्घ्य दें – छलनी से चाँद को देखकर पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें, फिर पति के हाथ से जल या मिठाई खाकर व्रत खोलें।
  7. पति के साथ आशीर्वाद लें – पूजा के बाद घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना शुभ होता है।

करवा चौथ पर क्या न करें

  1. व्रत के दौरान झगड़ा न करें – इस दिन क्रोध, कटु वचन और मनमुटाव से बचें।
  2. अनुशासन न तोड़ें – सूर्योदय से पहले सरगी के बाद कुछ भी न खाएँ और न ही पानी पिएँ (यदि व्रत निर्जला है)।
  3. नकारात्मक कार्य न करें – चुगली, अपशब्द, या किसी का अनादर न करें।
  4. काले कपड़े न पहनें – इस दिन लाल, गुलाबी, पीले जैसे शुभ रंग पहनना शुभ माना जाता है।
  5. पूजा का समय न चूकें – शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें, देर से पूजा करने से व्रत का फल कम हो सकता है।
  6. पति का अपमान न करें – इस दिन पति के साथ कटुता या उपेक्षा शुभ नहीं मानी जाती।
  7. पानी या भोजन छिपकर न लें – व्रत की शुद्धता बनी रहनी चाहिए।

 

करवा चौथ पर ध्यान रखने योग्य बातें

  • व्रत के दिन महिलाओं को स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए और मानसिक शुद्धता बनाए रखनी चाहिए।
  • व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार, क्रोध, और द्वेष से बचना चाहिए।
  • दिनभर भगवान शिव, माता पार्वती, और भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।
  • व्रत खोलने के बाद अपने परिवार और प्रियजनों के साथ भोजन करें और खुशियाँ बाँटें।

करवा चौथ का समाज पर प्रभाव

यह केवल एक धार्मिक व्रत नहीं, बल्कि समाज में स्त्रियों के आपसी मेल-जोल और समर्थन का भी प्रतीक है। महिलाएँ एक-दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा करती हैं और यह पर्व उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से भी सशक्त करता है।

आधुनिक समय में करवा चौथ

आज के समय में करवा चौथ ने एक नया रूप ले लिया है। अब यह त्योहार फैशन और सामाजिक कार्यक्रमों का भी हिस्सा बन गया है। महिलाएँ नए वस्त्र, आभूषण पहनकर सजती हैं और पारंपरिक रूप से व्रत का पालन करती हैं।

इसके अलावा, पति भी अब अपनी पत्नियों के साथ व्रत रखते हैं, जिससे यह त्योहार और भी विशेष हो जाता है।करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो न केवल धार्मिक रूप से बल्कि भावनात्मक और सामाजिक रूप से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और समर्पण को और भी गहरा करता है।

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