Maa Chandraghanta Stotra
॥ ध्यान ॥
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्विनीम्॥
अर्थ — मैं मनोवांछित लाभ प्राप्त करने के लिए, अर्ध चंद्र को अपने मस्तक पर धारण करने वाली, सिंह पर सवार व यश प्रदान करने वाली माता चंद्रघंटा, की वंदना करता हूँ।
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
अर्थ — माँ चंद्रघंटा हमारे मणिपुर चक्र में स्थित होती हैं। वे दुर्गा माता का तीसरा रूप हैं जिनकी तीन आँखें हैं। वे अपने हाथों में खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, कमल, कमंडल, त्रिशूल व धनुष-बाण लिए होती हैं।
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
अर्थ — वे पीले रंग के वस्त्र धारण करती हैं, मुख पर मंद मुस्कान लिए हुए होती हैं और कई तरह के आभूषणों से अपना अलंकर किये हुए होती हैं। माता चंद्रघंटा ने मंजीर का हार, किंकिणी तथा रत्नों से जड़ित कुण्डलों से अपना श्रृंगार किया हुआ है।
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
अर्थ — मैं आनंदित मन के साथ चंद्रघंटा माता की वंदना करता हूँ। उनका रूप बहुत ही सुंदर व रमणीय है। वे अपने इस रूप में सभी का मन मोह लेती हैं और हमें आनंद प्रदान करती हैं।
॥ स्तोत्र ॥
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चंद्रघटा प्रणमाम्यहम्॥
अर्थ — वे इस सृष्टि में दूध का प्रवाह करती हैं और आदि शक्ति के रूप में हमें शुभ फल प्रदान करती हैं। हमें सिद्धियाँ प्रदान करने वाली चंद्रघंटा माता को मेरा प्रणाम है।
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपिणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाम्यहम्॥
अर्थ — उनका मुख चंद्रमा के जैसा है, वे हमें इष्ट प्रदान करती हैं। उनका रूप बहुत ही सुन्दर है। वे हमें धन व आनंद प्रदान करती हैं और मैं उन चंद्रघंटा माता को प्रणाम करता हूँ।
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटे प्रणमाम्यहम्॥
अर्थ — चंद्रघंटा माता के कई रूप हैं और वे हमारी हरेक इच्छा को पूरा कर देती हैं। उन्हीं से ही हमारा यश बढ़ता है। वे हमें सौभाग्य व आरोग्य प्रदान करती हैं और मैं उन चंद्रघंटा माता को नमस्कार करता हूँ।
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