maa-kushmanda-stotra

Maa Kushmanda Stotra

॥ ध्यान मंत्र ॥

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

अर्थ — मैं मनोवांछित लाभ प्राप्त करने के लिए, सभी कामों को पूर्ण करने वाली, मस्तक पर अर्ध चंद्र धारण करने वाली, सिंह पर सवार, आठ भुजाओं वाली और यश प्रदान करने वाली कूष्मांडा माता, की वंदना करता हूँ।

भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥

अर्थ — कुष्मांडा माता ही सूर्य को तेज प्रदान करती हैं। वे हमारे शरीर के अनाहत चक्र में स्थित होकर इसे मजबूती प्रदान करती हैं। वे दुर्गा माता का चतुर्थ रूप हैं जिनके तीन नेत्र हैं। उन्होंने अपनी आठ भुजाओं में कमंडल, चाप, बाण, कमल पुष्प, कलश, चक्र व गदा पकड़ी हुई है।

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥

अर्थ — उन्होंने पीले रंग के वस्त्र पहने हुए हैं जिसमें वे कामना करने योग्य लग रही हैं। उनके मुख पर मंद-मंद मुस्कान है। उन्होंने कई प्रकार के आभूषणों से अपना श्रृंगार किया हुआ है। उन्होंने मंजीर, हार, केयूर, किंकिणी व रत्नों से जड़ित कुंडल से अपना श्रृंगार किया हुआ है।

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

अर्थ — मैं कूष्मांडा देवी के चरणों का ध्यान कर उनकी वंदना करता हूँ। उनके गाल बहुत ही कोमल व सुंदर है। उनका हरेक अंग कोमल, स्नेह से भरा हुआ मुख, शरीरे के मध्य में नाभि है जो उनके रूप को बहुत ही सुंदर बना रहा है।

॥ स्तोत्र ॥

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

अर्थ — कूष्मांडा देवी दुर्गति का नाश कर देती हैं और हमारी गरीबी को दूर कर देती हैं। हमें जय व धन प्रदान करने वाली कुष्मांडा माता को मैं प्रणाम करता हूँ। कहने का अर्थ यह हुआ कि कुष्मांडा माता की कृपा से ही हमें वैभव व धन की प्राप्ति होती है।

जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

अर्थ — माता कूष्मांडा ही इस जगत की माता हैं और वे इस जगत के सभी कामों को बना देती हैं। वे ही इस जगत की आधार रूप हैं। वे ही ब्रह्म रूप में इस सृष्टि की ईश्वरी हैं। मैं कुष्मांडा माता को प्रणाम करता हूँ।

त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

अर्थ — कूष्मांडा देवी इस जगत में सबसे अधिक सुंदर हैं। वे ही हमारे दुखों को दूर करती हैं और शोक हर लेती हैं। कुष्मांडा माता की ही कृपा से हमें परमानंद की प्राप्ति होती है। मैं देवी कूष्मांडा को नमस्कार करता हूँ।